रांची: इन दो तस्वीरों को झारखंड की आदिवासी सभ्यता, संस्कृति, शहादत और त्याग का प्रतिबिंब कहना शायद गलत नहीं होगा. आपके मन में सवाल जरुर उठेगा कि आखिर इसमें खास क्या है. अब हम आपको बताते हैं इसकी खासियत. यह कोई आम घर नहीं है. यह है झारखंड के आदिवासियों के भगवान कहे जाने वाले शहीद क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के वंशजों का घर.
ये भी पढ़ें- पीएम मोदी रच रहे नया इतिहास, तीसरी बार रांची में करेंगे रात्रि विश्राम, क्यों यह राज्य कहलाता था मोदी का लांचिंग पैड
वह बिरसा मुंडा जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी. अचानक उनका गांव उलिहातू सुर्खियों में आ गया है. वजह बने हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. वह देश के पहले पीएम हैं जो जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर बिरसा मुंडा की जन्मस्थली में पधार रहे हैं. श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे. उनके आने का प्रोग्राम क्या बना, शहीद के वंशज के घर की तस्वीर ही बदल गई. रंग रोगन होने लगा. सोहराय पेंटिंग होने लगी. फर्श चमकने लगा. पीएम के आगमन के 48 घंटा पहले जल जीवन मिशन वाले नल से जल आने लगा.
इन दो तस्वीरों में उम्मीद और बदलाव की झलक महसूस की जा सकती है. पीला टी-शर्ट और धोती पहने जो बुजुर्ग दिख रहे हैं, वह हैं भगवान बिरसा के परपोते सुखराम मुंडा. उम्र 80 साल से ज्यादा हो चुकी है. उनके बगल में दीवार पर टिकी छड़ी से उनकी ताकत आंकी जा सकती है. पीएम के आगमन का प्रोग्राम बनने से पहले तक बेड पर थे. जैसे पता चला कि पीएम मोदी उनसे मिल सकते हैं, बातें कर सकते हैं तो प्रशासन जाग उठा. उनका इलाज कराया गया. उसी की बदौलत अब चल-फिर पा रहे हैं. एक सुबह जब एस्बेस्टस वाले अपने घर से बाहर निकले तो देखा कि दीवार पर कोई सोहराय पेंटिंग कर रहा है. दो किसान खेती करते नजर आ रहे हैं. मोर नाच रहे हैं. एक किसान खेत की जुताई कर रहा है. सोहराय पेंटिंग को निहारते सुखराम मुंडा की आंखों की चमक महसूस की जा सकती है.
दूसरी तस्वीर में बर्तन धोती एक महिला दिख रही हैं. वह सुखराम मुंडा की बहू हैं. 13 नवंबर को पहली बार उनके घर के आंगन में लगे नल से जल गिरना शुरू हुआ है. उससे पहले बिरसा ओड़ा के पीछे खेत में मौजूद पारंपरिक कुआं या चुआं से पानी भरकर लाना पड़ता था. गर्मियों में कुआं का पानी सूखने पर डेढ़ से दो किलोमीटर दूर पानी के लिए जाना पड़ता था. अब तकलीफ दूर हो गई है.
ये भी पढ़ें- भगवान बिरसा के वंशज सुखराम के घर की हो रही पेंटिंग, पीएम आगमन को लेकर जानिए उनकी क्या है उम्मीद
शहीद के वंशज के नाते सुखराम मुंडा के दोनों बेटों कानू मुंडा और जंगल मुंडा को सरकारी नौकरी मिली हुई है. खूंटी में ही सेवारत हैं. उनकी बेटी जावनी मुंडा स्नातक हो चुकी है. सुखराम के छोटे भाई बुधराम मुंडा रांची में अपने परिवार के साथ रहते हैं. लेकिन आज तक शहीद के वंशजों को पक्का मकान नहीं मिला. इसके पीछे की कहानी लंबी है. जमीन कम था, जिसे सरकारी स्तर पर देने की प्रक्रिया चल रही है.
खास बात है कि भगवान बिरसा की जन्मस्थली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेता आ चुके हैं. लेकिन पहली बार देश का कोई प्रधानमंत्री भगवान की जन्मस्थली आ रहे हैं. पूरा गांव उत्साहित है. लेकिन दो तस्वीरें बता रही हैं कि शहीद के घर तक बदलाव की किरण किश्तों में पहुंचीं. अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है.