खूंटी: जिले में 70 प्रतिशत लोग एनीमिया से ग्रसित हैं. जिले के सिविल सर्जन प्रभात कुमार ने बताया कि जिले में अब गंभीर एनीमिया के मामले नहीं के बराबर हैं लेकिन माइल्ड एनीमिया और मॉडरेट एनीमिया के मामले महिलाओं और बच्चों में अब भी पाए जाते हैं.
क्या है एनीमिया
शरीर में खून की कमी या हीमोग्लोबिन की मात्रा खून में कम हो तो इसे एनीमिया मरीज कहते हैं. महिलाओं और पुरुषों में यदि 12 ग्राम से ऊपर हीमोग्लोबिन की मात्रा पाई जाती है, तो इसे सही माना जाता है, लेकिन यदि इससे कम हो, तो इसे एनीमिया पीड़ित मरीज कहते हैं. 7 ग्राम के बीच हीमोग्लोबिन की मात्रा वाले लोगों को मॉडरेट एनीमिया कहा जाता है. 12 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाले मरीजों को माइनर एनीमिया कहते हैं. आयरन और प्रोटीन की कमी से एनीमिया के मामले बढ़ते हैं. साथ ही B-12 की कमी या कुछ अन्य बीमारियों में भी शरीर में आयरन की कमी होती है.
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क्या है एनीमिया के लक्षण
कमजोरी लगना, थकान लगना, चक्कर आना, धुंधला दिखाई पड़ना या अचानक चक्कर आकर गिरना ये सभी एनीमिया के लक्षण माने जाते हैं. एनीमिया से स्वस्थ होने के लिए विभिन्न तरह के साग-पात, मुनगा, भाजी, पालक, भथुवा, मेथी का साग, गुड़, दूध और चना खाया जा सकता है. इससे शरीर में आयरन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है और खून की कमी नहीं होगी.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन ने बताया कि एनीमिया मरीज को आयरन की गोली या फोलिक एसिड और प्रोटीन दिया जा सकता है. साथ ही B-12 की कमी वाले मरीजों को B-12 दिया जाता है. महिलाओं बच्चों और किशोर- किशोरियों में खून की कमी पायी जाती है. स्वास्थ्य विभाग एनीमिया मरीजों की जांच के लिए महिलाओं बच्चों और किशोर-किशोरियों की समय-समय पर जांच करती है. जिले में अब भी ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग एनीमिया से पीड़ित है, लेकिन अब गंभीर एनीमिया या सीवियर एनीमिया के मरीज नहीं के बराबर हैं.