जामताड़ा: कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन की स्थिति में पैदल चलकर बिहार जा रहे सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को जिले में बनाए गए आश्रय गृह में रखा गया है. उन्हें एक ही कमरे में ठूंस कर रखा गया है. सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा गया है. मजदूरों का कहना है कि किसी तरह उनको घर पहुंचा दिया जाए.
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नोवल कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाव और रोकथाम के लिए पूरे देश भर में लॉकाडाउन लागू किया गया है. लॉकडाउन को पूरी तरह से सफल बनाने को लेकर जामताड़ा जिला प्रशासन ने पूरे जिले को सील कर दिया है. सरकार के निर्देश के तहत सीमा पर प्रवेश करने वाले लोगों को रखने के लिए आश्रय गृह बनाए गए हैं.
जानकारी के अनुसार जामताड़ा के जेबीसी हाई स्कूल को अस्थाई तौर पर ऐसे लोगों के लिए आश्रय गृह जिला प्रशासन ने चयनित किया है. यहां सैकड़ों की संख्या में पश्चिम बंगाल से पैदल चलकर बिहार जाने वाले मजदूरों को जामताड़ा प्रवेश करने पर जिला प्रशासन ने उन्हें रोककर आश्रय गृह में रखा है. आश्रय गृह में एक ही कमरे में सभी मजदूरों को रखा गया है जिसने सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा दी है.
एक ही कमरे में किसी तरह यह प्रवासी मजदूर अपना दिन काट रहे हैं हालांकि जिला प्रशासन ने आश्रय गृह में खाने पीने की सुविधा देने की बात कही है. बावजूद इसके यहां सोशल डिस्टेंस का ख्याल नहीं रखा गया है.
बता दें कि जामताड़ा आश्रय गृह में रखे गए मजदूरों का हाल बेहाल हो रहा है. यहां रह रहे मजदूरों का कहना है कि एक ही कमरे में उन्हें रखा गया है. कोई व्यवस्था नहीं है. उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मजदूर अपनी आप बीती और दर्द सुनाते-सुनाते रो पड़ते हैं. इनका कहना है कि किसी तरह उन्हें घर पहुंचा दिया जाए इसके लेकर वो सरकार और प्रशासन से भी गुहार भी लगा रहे हैंय
कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रकोप से बचाव और रोकथाम के लिए जिला प्रशासन ने सीमा को और सील कर दिया है. वहीं, पैदल सैकड़ों की संख्या में आने वाले मजदूरों को रोका जा रहा है. ऐसे मजदूरों को रखने के लिए आश्रय गृह बनाया गया है जहां पर सारी सुविधा देने की बात कही गऊ है। लेकिन जामताड़ा में बनाया गया आश्रय गृह में प्रवासी मजदूरों ने दिए जाने वाले सुविधा का पोल खोल रहा है.