जामताड़ा: भारत गांवों का देश है. भारत की अधिकतम जनता गांवों में निवास करती है. पहले भारत के गांव उन्नत और समृद्ध थे. गांव के लोग सुखी थे. समय बीतता गया और नगरों का विकास होता गया और गांव पिछड़ते गये. लेकिन 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद गांव के लोगों की उम्मीदें फिर से जगी.
गांवों को फिर से उन्नत और समृद्ध बनाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्तूबर, 2014 को लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती पर सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाइ) को जोर-शोर से लांच किया था. और सांसदों और सरकारी अधिकारियों से एक-एक गांव को गोद लेने की अपील की थी. लेकिन आज वही योजना सरकारी प्रक्रिया की ठोकरें खाकर बद से बदतर स्थिति में आ गई है.
जामताड़ा डीसी द्वारा बरजोरा गांव को सांसद आदर्श गांव के रूप में चिन्हित किया गया था. 2015 में जब आदर्श गांव के रूप में इस गांव को चयन हुआ तो ग्रामीणों को लगा कि अब सूरत बदल जाएगी. मगर लोगों को पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्या से आज भी जुझना पड़ रहा है. लेकिन सरकार और प्रशासन ग्रामीणों की इन समस्याओं से बिल्कुल बेखबर है.
गांव में एक विद्यालय तो है लेकिन भवन अधूरा पड़ा हुआ है. विद्यालय में चाहरदीवारी नहीं है. जैसे-तैसे शिक्षक और बच्चे पढ़ाई करते हैं. विद्यालय की शिक्षिका का कहना था कि स्कूल भवन अधूरा रहने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं गांव में सबसे बड़ी समस्या पानी की किल्लत की है. पानी के लिए ग्रामीणों को मिलों पैदल चलना पड़ता है.
बहरहाल जामताड़ा का बरजोरा गांव आदर्श बन कर भी अबतक आदर्श नहीं बन पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इस योजना की शुरुआत की थी तो सांसदों और अधिकारियों को 2016 तक गांव के विकास की डेडलाइन दी थी. लेकिन इतना समय निकल चुका है और अबतक गांव की ये स्थिति बनी हुई है. अब तो लोगों के सामने चमत्कार की उम्मीद करने के अलावा कुछ बचा ही नहीं है.