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जामताड़ा में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल, एक ही टीचर के भरोसे पूरा स्कूल

जामताड़ा में प्रथामिक शिक्षा का हाल बेहाल है. एक ही शिक्षक पर निर्भर इन स्कूलों में मिड डे मील भी सही तरीके से नहीं दिया जाता.

जामताड़ा में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल
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Published : Mar 31, 2019, 3:28 PM IST

जामताड़ाः जिले में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का काफी बुरा हाल है. बच्चे समय पर विद्यालय पहुंच जाते हैं. लेकिन शिक्षक लेट से पहुंचते हैं. इन अनियमिताओं की खबर न तो शिक्षा विभाग को है और न ही उनके पदाधिकारियों को. जिन्हें यह व्यवस्था बनाए रखने का काम सौंपा गया है.

जिले के वाराडगाल गांव में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी दयनीय है. यहां बच्चे विद्यालय में समय से पहुंच जाते हैं. विद्यालय में शिक्षक का इंतजार करते हैं. लेकिन लेट लतीफ शिक्षकों के इंतजार में बच्चे बाहर बैठे रहते हैं. 8 बजे आने का समय निर्धारित है लेकिन शिक्षक 9 बजे स्कूल पहुंचते हैं. इसके प्रति शिक्षा विभाग न तो संवेदनशील है, न ही प्रशासन सक्रिय है. नतीजा इसका बुरा प्रभाव बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है. खासकर जामताड़ा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति काफी दयनीय है.

ये भी पढ़ें-केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का गोद लिया गांव नहीं बन सका 'आदर्श', बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे लोग

जब विद्यालय के बच्चों से पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि उनकी एक ही शिक्षक है, जो मिहिजाम से आती हैं. आलम यह है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मेनू के अनुसार भोजन भी नहीं मिलता है. अंडा और फल तो मिलते ही नहीं हैं. वहीं विद्यालय की शिक्षक जब पहुंची, तो खुद स्वीकार करती हैं कि लेट हो गया. अंडा नहीं मिलने के लिए आवंटन नहीं मिलने की बात कही गई.

वहीं जब इस बारे में जिला के शिक्षा पदाधिकारी बांके बिहारी सिंह को अवगत कराया गया. पहले तो उन्होंने आनाकानी की, फिर बाद में कहा कि इस बारे में वे जांच करवाएंगे और अगर जांच में सही पाया जाएगा तो उचित कार्रवाई करेंगे.


जामताड़ा में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल

जामताड़ाः जिले में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का काफी बुरा हाल है. बच्चे समय पर विद्यालय पहुंच जाते हैं. लेकिन शिक्षक लेट से पहुंचते हैं. इन अनियमिताओं की खबर न तो शिक्षा विभाग को है और न ही उनके पदाधिकारियों को. जिन्हें यह व्यवस्था बनाए रखने का काम सौंपा गया है.

जिले के वाराडगाल गांव में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी दयनीय है. यहां बच्चे विद्यालय में समय से पहुंच जाते हैं. विद्यालय में शिक्षक का इंतजार करते हैं. लेकिन लेट लतीफ शिक्षकों के इंतजार में बच्चे बाहर बैठे रहते हैं. 8 बजे आने का समय निर्धारित है लेकिन शिक्षक 9 बजे स्कूल पहुंचते हैं. इसके प्रति शिक्षा विभाग न तो संवेदनशील है, न ही प्रशासन सक्रिय है. नतीजा इसका बुरा प्रभाव बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है. खासकर जामताड़ा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति काफी दयनीय है.

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जब विद्यालय के बच्चों से पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि उनकी एक ही शिक्षक है, जो मिहिजाम से आती हैं. आलम यह है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मेनू के अनुसार भोजन भी नहीं मिलता है. अंडा और फल तो मिलते ही नहीं हैं. वहीं विद्यालय की शिक्षक जब पहुंची, तो खुद स्वीकार करती हैं कि लेट हो गया. अंडा नहीं मिलने के लिए आवंटन नहीं मिलने की बात कही गई.

वहीं जब इस बारे में जिला के शिक्षा पदाधिकारी बांके बिहारी सिंह को अवगत कराया गया. पहले तो उन्होंने आनाकानी की, फिर बाद में कहा कि इस बारे में वे जांच करवाएंगे और अगर जांच में सही पाया जाएगा तो उचित कार्रवाई करेंगे.


Intro:जामताड़ा में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का काफी बुरा हाल है। बच्चे समय पर पहले विद्यालय पहुंच जाते हैं ।लेकिन शिक्षक लेट से विद्यालय पहुंचते हैं। इसके प्रति शिक्षा विभाग और विभाग के पदाधिकारी हैं कि बिल्कुल बेखबर है।


Body:जामताड़ा में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का आलम यह है कि बच्चे विद्यालय में समय से पहले पहुंच जाते हैं। समय से पहले पहुंचकर विद्यालय में शिक्षक शिक्षिका का इंतजार करते हैं। और विद्यालय खुलने का इंतजार में बैठे रहते हैं। लेट लतीफ शिक्षक शिक्षिकाओं का आना नियति बन गयाहै ।इसके प्रति शिक्षा विभाग संवेदनशील है ना ही प्रशासन ही सक्रिय है ।नतीजा इसका बुरा हाल बच्चों के भविष्य पर पड़ रहा है। जामताड़ा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति काफी दयनीय है। वाराडगाल गांव का यह विद्यालय जहां बच्चे पहले आकर ठीक समय पर विद्यालय पहुंच जाते हैं। लेकिन इस विद्यालय के शिक्षिका का कोई समय निर्धारित नहीं है। गांव के बच्चे विद्यालय में आकर शिक्षिका का आने का इंतजार करते हैं और विद्यालय खुलने का प्रतीक्षा में बैठे रहते हैं। विद्यालय के बच्चे से पूछा गया तो बच्चों ने बताया कि उनकी एक ही शिक्षिका है जो मिहिजाम से आती है। और 9:00 बजे आती है तब तक वे लोग इंतजार करते हैं ।आलम यह है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मेनू के अनुसार भोजन भी नहीं मिलता है अंडा तो मिलता ही नहीं ।विद्यालय के बच्चों का कहना था अंडा या फल मिला ही नहीं । विद्यालय की शिक्षिका जब विद्यालय पहुंची उनसे पूछा गया आने का समय कब है तो खुद स्वीकार करती है लेट हो गया और अंडा नहीं मिलने के लिए आवंटन का नहीं होना बात कहती है । इस बारे में जिला के शिक्षा पदाधिकारी बांके बिहारी सिंह से शिक्षा की व्यवस्था से अवगत कराया जाता है पूछा जाता है तो पहले तो वह आनाकानी करते हैं बाद में यही कहते हैं कि इस बारे में वह जांच करवाएंगे और जांच में यदि सही पाया जाएगा तो उचित कार्रवाई करेंगे।
बाईट शिक्षिका
बाईट स्कूली बच्चे
बाईट बांके बिहारी सिंह जिला शिक्षा पदाधिकारी


Conclusion:सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने को लेकर लगातार प्रयास कर रही हैं बावजूद इसके जामताड़ा में शिक्षा का खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। जो कि जामताड़ा के शिक्षा विभाग की उदासीनता को और यहां के पदाधिकारी की लापरवाही को दर्शाता है।

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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