जामताड़ा: विधानसभा क्षेत्र जामताड़ा में आज भी आदिवासी समाज का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. आदिवासी समुदाय के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. राजनेता चुनावी मौसम में आदिवासियों के हित की बात तो करते हैं, लेकिन के बाद उनके सारे वादे हवा हवाई हो जाते हैं
जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश आबादी और मतदाताओं की संख्या आदिवासियों की है. बिजली, पानी, सड़क, पुल, पुलिया तो दूर रोजगार के लिए भी आदिवासी समुदाय के लोगों को भटकना पड़ता है. मजदूरी के लिए आदिवासी समुदाय के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन जामताड़ा विधानसभा और दुमका लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. जामताड़ा से ही शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा का आंदोलन शुरू किया और यहीं से वो राजनीति के शिखर तक पहुंचे. यहां के आदिवासी समाज ने उनको सिर आंखों पर बिठाया और शिबू गुरु जी नाम से प्रसिद्ध हुए. कंचन बड़ा गांव से शिबू सोरेन ने राजनीति की लड़ाई की शुरुआत की. लेकिन इस गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाों के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गुरु जी अब बड़े आदमी हो गए हैं, हम लोगों से मिलने भी नहीं आते.
आदिवासियों का अपेक्षित विकास नहीं होने को लेकर चुनावी मौसम में पक्ष औप विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. सत्ता पक्ष के नेता इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि झामुमो नेताओं का कहना है कि शिबू सोरेन आदिवासी समाज के मसीहा हैं. झारखंड राज्य उन्हीं की देन है. इससे आदिवासियों का मान सम्मान बढ़ा है.