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'गुरुजी हमारे सांसद हैं, गांव तक सड़क नहीं पहुंची तो इस बार वोट का बहिष्कार करेंगे' - शिबू सोरेन

जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश आबादी और मतदाताओं की संख्या आदिवासियों की है. बिजली, पानी, सड़क, पुल, पुलिया तो दूर रोजगार के लिए भी आदिवासी समुदाय के लोगों को भटकना पड़ता है. मजदूरी के लिए आदिवासी समुदाय के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं.

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Published : Mar 7, 2019, 3:52 PM IST

जामताड़ा: विधानसभा क्षेत्र जामताड़ा में आज भी आदिवासी समाज का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. आदिवासी समुदाय के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. राजनेता चुनावी मौसम में आदिवासियों के हित की बात तो करते हैं, लेकिन के बाद उनके सारे वादे हवा हवाई हो जाते हैं

जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश आबादी और मतदाताओं की संख्या आदिवासियों की है. बिजली, पानी, सड़क, पुल, पुलिया तो दूर रोजगार के लिए भी आदिवासी समुदाय के लोगों को भटकना पड़ता है. मजदूरी के लिए आदिवासी समुदाय के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं.

झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन जामताड़ा विधानसभा और दुमका लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. जामताड़ा से ही शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा का आंदोलन शुरू किया और यहीं से वो राजनीति के शिखर तक पहुंचे. यहां के आदिवासी समाज ने उनको सिर आंखों पर बिठाया और शिबू गुरु जी नाम से प्रसिद्ध हुए. कंचन बड़ा गांव से शिबू सोरेन ने राजनीति की लड़ाई की शुरुआत की. लेकिन इस गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाों के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गुरु जी अब बड़े आदमी हो गए हैं, हम लोगों से मिलने भी नहीं आते.

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आदिवासियों का अपेक्षित विकास नहीं होने को लेकर चुनावी मौसम में पक्ष औप विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. सत्ता पक्ष के नेता इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि झामुमो नेताओं का कहना है कि शिबू सोरेन आदिवासी समाज के मसीहा हैं. झारखंड राज्य उन्हीं की देन है. इससे आदिवासियों का मान सम्मान बढ़ा है.

जामताड़ा: विधानसभा क्षेत्र जामताड़ा में आज भी आदिवासी समाज का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. आदिवासी समुदाय के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. राजनेता चुनावी मौसम में आदिवासियों के हित की बात तो करते हैं, लेकिन के बाद उनके सारे वादे हवा हवाई हो जाते हैं

जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश आबादी और मतदाताओं की संख्या आदिवासियों की है. बिजली, पानी, सड़क, पुल, पुलिया तो दूर रोजगार के लिए भी आदिवासी समुदाय के लोगों को भटकना पड़ता है. मजदूरी के लिए आदिवासी समुदाय के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं.

झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन जामताड़ा विधानसभा और दुमका लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं. जामताड़ा से ही शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा का आंदोलन शुरू किया और यहीं से वो राजनीति के शिखर तक पहुंचे. यहां के आदिवासी समाज ने उनको सिर आंखों पर बिठाया और शिबू गुरु जी नाम से प्रसिद्ध हुए. कंचन बड़ा गांव से शिबू सोरेन ने राजनीति की लड़ाई की शुरुआत की. लेकिन इस गांव के लोग आज भी मूलभूत सुविधाों के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गुरु जी अब बड़े आदमी हो गए हैं, हम लोगों से मिलने भी नहीं आते.

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आदिवासियों का अपेक्षित विकास नहीं होने को लेकर चुनावी मौसम में पक्ष औप विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. सत्ता पक्ष के नेता इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि झामुमो नेताओं का कहना है कि शिबू सोरेन आदिवासी समाज के मसीहा हैं. झारखंड राज्य उन्हीं की देन है. इससे आदिवासियों का मान सम्मान बढ़ा है.

Intro:जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र आज भी आदिवासी समाज का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। आदिवासी और संथाल को आज भी रोजी रोजगार के लिए या तो बाहर पलायन करना पड़ता है या मजदूरी कर रोजी रोजगार करना पड़ता है ।आदिवासी समाज की स्थिति सुधर नहीं पाई है।


Body:जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश आबादी और मतदाताओं की संख्या आदिवासियों की है ।अधिकतर आदिवासी समाज गांव आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित है ।बिजली पानी सड़क पुल पुलिया तो दूर रोजी रोजगार के लिए भटकना पड़ता है । मजदूरी करना इनकी मजबूरी बन गई है। मजदूरी का काम नहीं मिलता है तो यहां तक बाहर दूसरे राज्य पलायन करना पड़ता है ।उनके अपने ही गांव में रोजी रोजगार नहीं मिल पाता है नतीजा उन्हें बाहर पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं।
बाईट आदिवासी मजदूर

V2 जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र दुमका लोकसभा से लगातार प्रतिनिधित्व करने वाले झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं ।जिनका जामताड़ा से विशेष लगाव है ।जामताड़ा से ही शिबू सोरेन महाजनी प्रथा का आंदोलन शुरू किया और यहीं से वे राजनीति के शिखर तक पहुंचे। यहाँ के आदिवासी समाज उनको सर आंखों में बिछाया और गुरु जी नाम से प्रसिद्ध हुए। कंचन बड़ा गांव आज भी उदाहरण है। जहां से शिबू सोरेन राजनीति लड़ाई शुरू की थी आज वहां के गांव के लोग को बिजली तो मुश्किल से मिली है। लेकिन समय पर बिजली ना रहती है ।गांव में सड़क तक नहीं है गांव के लोगों का कहना है कि आज भी वह गुरु जी को मानते हैं लेकिन गुरु जी बड़ा आदमी बन गए आते भी नहीं। लेकिन संथाल समाज को अपने गुरु जी के प्रति आस्था है और उम्मीद है कि उनकी समस्या को निदान करेंगे।
बाईट ग्रामीण

v3 जामताड़ा क्षेत्र में अब तक आदिवासी और संथाल समाज एवं क्षेत्र में अपेक्षित विकास नहीं होने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में चुनाव को लेकर एक दूसरे के ऊपर आरोप भी लगा रहे हैं। सत्ता पक्ष के नेता इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन को ही जिम्मेदार ठहराया है और शिबू सोरेन गुरु जी पर आदिवासी समाज को ठगने का आरोप लगा रहे हैं जबकि झामुमो के नेता भाजपा के लगे आरोप को पलटवार करते हुए कहा है कि झामुमो सुप्रीमो आदिवासी समाज के मसीहा है झारखंड अलग राज उन्हीं की देन है ।इसके चलते आदिवासी समाज का मान-सम्मान बढ़ा है बल्कि पूरे क्षेत्र का विकास भी हो रहा है।

बाईट 1 प्रवीण प्रभाकर प्रवक्ता भाजपा
बाईट 2 असित मंडल नेता जेएमएम


Conclusion:आदिवासी समाज के उत्थान और विकास के लिए सरकार द्वारा कई बड़ी योजनाएं चलाई जाती है। करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं सत्ता पक्ष हो या विपक्ष उनके हित के लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। बावजूद इसके उनकी दशा दशा तकदीर बदल नहीं पाई हैं।

संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
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