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यहां के लोग 'गुरुजी' को मानते हैं मसीहा, फिर भी दिया 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा

आम चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों के साथ-साथ अब आम जनता भी अपने मुद्दे गिनाने में जुट गई है. वे अपनी समस्याओं को लेकर सक्रिय नजर आ रहे है. जामताड़ा के कंचनबेड़ा गांव के ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा दिया है. साथ ही वोट का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है.

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Published : Mar 11, 2019, 3:25 AM IST

Updated : Mar 11, 2019, 7:10 AM IST

जामताड़ा: लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही आम जनता भी अपनी समस्याओं को लेकर अब सक्रिय नजर आ रही है. जिले के कंचनबेड़ा गांव के ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा दिया है. साथ ही वोट का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है.

जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव आदिवासी बहुल है. जहां के ग्रामीणों के लिए आने-जाने के लिए प्रमुख सड़क नहीं बन पाई है. मजबूरन इन्हें इस जर्जर सड़क से ही आना-जाना पड़ता है. जिससे दुर्घटना होने का भी खतरा बना रहता है. आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों काफी गुस्से में हैं. इस बार ग्रामीणों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की भी बात कही है.

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बता दें कि कंचनबेड़ा गांव से ही जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उन्होंने यहहीं से महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत की थी. हालांकि यहां के ग्रामीण आज भी शिबू सोरेन को अपना मसीहा मानते हैं. लेकिन उनका कहना है कि जब तक रोड नहीं बनेगा तब तक वोट नहीं देंगे.

ग्रामीणों का आरोप है कि इस रोड के लिए पिछले 20 सालों से सिर्फ टेंडर होता आया है. इधर, इस पूरे मामले को लेकर तमाम राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कोई इसके लिए वर्तमान बीजेपी सरकार को दोषी ठहरा रहै है तो कोई इस क्षेत्र के पिछड़ेपन के लिए जेएमएम को जिम्मेदार बता रहा है.

जामताड़ा: लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही आम जनता भी अपनी समस्याओं को लेकर अब सक्रिय नजर आ रही है. जिले के कंचनबेड़ा गांव के ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 'रोड नहीं तो वोट नहीं' का नारा दिया है. साथ ही वोट का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया है.

जिला मुख्यालय से मात्र 2 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव आदिवासी बहुल है. जहां के ग्रामीणों के लिए आने-जाने के लिए प्रमुख सड़क नहीं बन पाई है. मजबूरन इन्हें इस जर्जर सड़क से ही आना-जाना पड़ता है. जिससे दुर्घटना होने का भी खतरा बना रहता है. आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों काफी गुस्से में हैं. इस बार ग्रामीणों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की भी बात कही है.

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बता दें कि कंचनबेड़ा गांव से ही जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. उन्होंने यहहीं से महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन की शुरूआत की थी. हालांकि यहां के ग्रामीण आज भी शिबू सोरेन को अपना मसीहा मानते हैं. लेकिन उनका कहना है कि जब तक रोड नहीं बनेगा तब तक वोट नहीं देंगे.

ग्रामीणों का आरोप है कि इस रोड के लिए पिछले 20 सालों से सिर्फ टेंडर होता आया है. इधर, इस पूरे मामले को लेकर तमाम राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कोई इसके लिए वर्तमान बीजेपी सरकार को दोषी ठहरा रहै है तो कोई इस क्षेत्र के पिछड़ेपन के लिए जेएमएम को जिम्मेदार बता रहा है.

Intro:कंचन बेड़ा आदिवासी गांव के ग्रामीणों ने इस बार लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया है और चुनाव में वोट का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।


Body:जामताड़ा जिला मुख्यालय से सटे मात्र 2 किलोमीटर करीब पर स्थित है आदिवासी बहुल गांव कंचनबेड़ा। जहां के ग्रामीणों को आने जाने के लिए प्रमुख सड़क नहीं बन पाई है। आज तक इस गांव को जाने के लिए सड़क अधूरा पड़ा हुआ है। जर्जर सड़क से ही गांव के ग्रामीण बच्चे आने जाने को मजबूर है ।जिससे दुर्घटना खतरा होने की संभावना बनी रहती है। सड़क आज तक नहीं बनने को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा और नाराजगी ज्यादा बढ़ गई हैं। नतीजा इस बार ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में जब तक रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा देकर वोट बहिष्कार करने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि कंचन बेड़ा गांव वही गांव है जहां से झामुमो सुप्रीमो शिबू शरण अपना राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी ।यहीं से वह आंदोलन शुरू किए थे। महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाए थे ।आज शिबू सोरेन सांसद से लेकर मुख्यमंत्री तक पहुंच गए। लेकिन आज तक इस गांव में सड़क नहीं बना ।जिसका कि यहां के लोगों को मलाल है ।हालांकि यहां के ग्रामीण आज भी शिबू सोरेन को अपना मसीहा मानते हैं। ग्रामीण जनता का कहना है कि जब तक रोड नहीं बनेगा तब तक वोट नहीं करेंगे। ग्रामीणों का आरोप है कि आने जाने वाले रोड 20 साल से करीब पड़ा हुआ है। सिर्फ टेंडर होता है और काम नहीं हो पा रहा है। इसके चलते स्कूल जाने वाले बच्चे और ग्रामीणों को आने जाने में काफी परेशानी होती है। इसलिए इस बार चुनाव में उन्होंने फैसला लिया है कि जब तक रोड नहीं बनेगा तब तक वे लोग वोट नहीं करेंगे। बाईट ग्रामीण जनता V2 ग्रामीण जनता सड़क नहीं बनने को लेकर रोड नहीं तो वोट नहीं का बहिष्कार करने का नारा दिया है। वहीं अब तक ग्रामीण जनता का रोड नहीं बनने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं ।सत्ता पक्ष के नेता जहां इसके लिए सांसद और प्रतिनिधित्व करने वाले शिबू सोरेन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो ही झारखंड मुक्ति मोर्चा सत्ता पक्ष भाजपा के.नेता औंर भाजपा सरकार को ही दोषी ठहरा रहे हैं। बाईट विष्णु प्रसाद भैया पूर्व विधायक भाजपा नेता बाइट आनंद टू डू केंद्रीय समिति सदस्य झारखंड मुक्ति मोर्चा


Conclusion:कंचन बेड़ा के गांव के ग्रामीणों ने पहले भी बिजली नहीं रहने के कारण चुनाव का वोट में बहिष्कार किया था ।उसके बाद गांव में किसी तरह बिजली तो पहुंच गई । सड़क अभी तक नहीं बन पाई है। जिसको लेकर अब ग्रामीण गोलबंद हो रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया है ।देखना है अब ग्रामीणों की मांग प्रशासन और सरकार पूरी करती है या नहीं। संजय तिवारी ईटीवी भारत जामताड़ा
Last Updated : Mar 11, 2019, 7:10 AM IST
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