जामताड़ाः शहर में कचरा फेंकने को लेकर कोई ठोस व्यवस्था आज तक नहीं हो पाने के कारण शहर का सारा कचरा सड़क के किनारे डीसी आवास के पास फेंका जाता है. इससे शहर का वातावरण प्रदूषित हो रहा है. वहीं, आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि शहर में कचरा फेंकने का ठोस प्रबंधन नहीं हो पाया है. इसे देखने वाला भी कोई नहीं है.
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प्रतिदिन 6-7 गाड़ी कचरे का होता है उठाव
जामताड़ा शहर में काफी संख्या में आबादी है. शहर की साफ-सफाई करने का जिम्मा नगर पंचायत को है. नगर पंचायत के सफाईकर्मी की माने तो इस लॉकडाउन के समय में वे प्रतिदिन 6 से 7 गाड़ी कचरा उठाते हैं और सड़क के किनारे फेंकते हैं. सफाईकर्मियों ने लॉकडाउन समाप्त होने के बाद शहर का कचरा और बढ़ जाने की आशंका जताई है. उनका कहना है कि जगह नहीं होने के कारण शहर का कचरा सड़क के किनारे फेंका जाता है.
जमीन आवंटन के बाद भी उचित व्यवस्था नहीं
जामताड़ा नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी बताते हैं कि कचरा प्रबंधन के लिए जगह निर्धारित नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि प्रशासन के आदेश से ही सड़क के किनारे शहर का कचरा फेंका जा रहा है. कचरा फेंकने को लेकर जिला प्रशासन ने कई बार राजस्व विभाग के जरिए नगर निकाय को जमीन आवंटित भी किया है, लेकिन ग्रामीणों ने शहर का कचरा ग्रामीण इलाकों में नहीं फेंके जाने को लेकर विरोध किया है. जिसके कारण कचरा फेंकने की उचित व्यवस्था नहीं हो पाई है. नतीजतन दिन-प्रतिदिन जामताड़ा शहर का कचरा फेंकने को लेकर समस्या गहराती जा रही है. मामले में डीसी का कहना है कि नगर निकाय को खुद आगे आकर इस पर पहल करनी होगी.
जामताड़ा जिला बने हुए 15 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक जिला के प्रमुख शहर जामताड़ा में ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं हो पाई है. नगर पंचायत का चुनाव भी हुआ, लेकिन जगह निर्धारित नहीं होने के कारण कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं हो पाई. यह कब तक होगा या नहीं हो पाएगा यह कहना मुश्किल है.