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Lockdown effect in jamtara: भुखमरी की कगार पर नाई समाज, बोरा सिलकर चला रहे जिंदगी - Starvation

कोरोना महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन(Lockdown) के कारण जामताड़ा में नाई समाज भुखमरी(Starvation) की कगार पर पहुंच गया है. सैलून बंद होने के कारण इनके लिए परिवार चलाना अब मुश्किल हो गया है. गरीबी और भुखमरी से परेशान इन लोगों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

lokadaun mein berojagaar hue naee samudaay ke log 42 / 5000 अनुवाद के नतीजे Barber community people unemployed in lockdown
लॉकडाउन में बेरोजगार हुए नाई समुदाय के लोग
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Published : May 29, 2021, 3:05 PM IST

जामताड़ा: जिले में लॉकडाउन का असर साफ दिख रहा है(Lockdown effect in jamtara). कोरोना महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन(Lockdown) के कारण नाई समाज भुखमरी(Starvation) के कगार पर पहुंच गया है. सैलून बंद होने के कारण इनके लिए परिवार चलाना अब मुश्किल हो गया है. गरीबी और भुखमरी से परेशान इन लोगों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें: जामताड़ा: लॉकडाउन ने छोटे व्यापारियों की बढ़ाई परेशानी, बाजारों में ग्राहकों को टोटा


लॉकडाउन ने छीना रोजगार
कोरोना महामारी और लॉकडाउन(Lockdown) ने जामताड़ा जिले के नाई समाज की कमर तोड़कर रख दी है. सैलून चलाकर अपनी आजिविका चला रहे इन लोगों का रोजगार ठप पड़ गया है. आय का साधन नहीं होने से इनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है.

Saloon is closed, forced to stitch sack
बोरा सिल कर चलाना पड़ रहा घर

भुखमरी(Lockdown) के कगार पर नाई समाज
नाई समाज के लोगों के मुताबिक इनका मुख्य पेशा सैलून चलाना है और इसी से उनका घर परिवार चलता है. लेकिन अब लॉकडाउन(Lockdown) के कारण सैलून बंद है, जिससे उनकी आय भी बंद हो गई है. पैसा नहीं होने की वजह से अब ये लोग भुखमरी(Starvation) की कगार पर पहुंच गए है. इनका कहना है कि इस वक्त न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही समाज के लोग. आम लोगों के जीवन से मरण तक में साथ देने वाले इस समाज की हालत खराब है लेकिन कोई इनका सुध लेने वाला नहीं है.

The people of the barber society became unemployed due to the lockdown
लॉकडाउन से बेरोजगार हुए नाई समाज के लोग

बोरा सिलकर घर चलाने को मजबूर
जामताड़ा जिले में करीब 27 हजार नाई समाज का परिवार रहता है. काम धंधा ठप हो जाने की वजह से ये लोग अब बोरा सिलाई करने को मजबूर है. 80 साल के बुजुर्ग नाई मोहन भंडारी ने बताया की सैलून चलता था तो घर का खर्चा निकल जाता था, अब सैलून बंद है तो किसी तरह बोरा सिलाई कर घर का खर्चा निकालना मजबूरी हो गई है. जाहिर है कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने समाज के बड़े हिस्से पर असर डाला है, ऐसे में जरूरत है सरकार और प्रशासन को ऐसे लोगों पर ध्यान देने की ताकी किसी को भुखमरी जैसा दिन नहींं देखना पड़े.

जामताड़ा: जिले में लॉकडाउन का असर साफ दिख रहा है(Lockdown effect in jamtara). कोरोना महामारी और उसके बाद लगाए गए लॉकडाउन(Lockdown) के कारण नाई समाज भुखमरी(Starvation) के कगार पर पहुंच गया है. सैलून बंद होने के कारण इनके लिए परिवार चलाना अब मुश्किल हो गया है. गरीबी और भुखमरी से परेशान इन लोगों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

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लॉकडाउन ने छीना रोजगार
कोरोना महामारी और लॉकडाउन(Lockdown) ने जामताड़ा जिले के नाई समाज की कमर तोड़कर रख दी है. सैलून चलाकर अपनी आजिविका चला रहे इन लोगों का रोजगार ठप पड़ गया है. आय का साधन नहीं होने से इनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है.

Saloon is closed, forced to stitch sack
बोरा सिल कर चलाना पड़ रहा घर

भुखमरी(Lockdown) के कगार पर नाई समाज
नाई समाज के लोगों के मुताबिक इनका मुख्य पेशा सैलून चलाना है और इसी से उनका घर परिवार चलता है. लेकिन अब लॉकडाउन(Lockdown) के कारण सैलून बंद है, जिससे उनकी आय भी बंद हो गई है. पैसा नहीं होने की वजह से अब ये लोग भुखमरी(Starvation) की कगार पर पहुंच गए है. इनका कहना है कि इस वक्त न तो सरकार ध्यान दे रही है और न ही समाज के लोग. आम लोगों के जीवन से मरण तक में साथ देने वाले इस समाज की हालत खराब है लेकिन कोई इनका सुध लेने वाला नहीं है.

The people of the barber society became unemployed due to the lockdown
लॉकडाउन से बेरोजगार हुए नाई समाज के लोग

बोरा सिलकर घर चलाने को मजबूर
जामताड़ा जिले में करीब 27 हजार नाई समाज का परिवार रहता है. काम धंधा ठप हो जाने की वजह से ये लोग अब बोरा सिलाई करने को मजबूर है. 80 साल के बुजुर्ग नाई मोहन भंडारी ने बताया की सैलून चलता था तो घर का खर्चा निकल जाता था, अब सैलून बंद है तो किसी तरह बोरा सिलाई कर घर का खर्चा निकालना मजबूरी हो गई है. जाहिर है कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने समाज के बड़े हिस्से पर असर डाला है, ऐसे में जरूरत है सरकार और प्रशासन को ऐसे लोगों पर ध्यान देने की ताकी किसी को भुखमरी जैसा दिन नहींं देखना पड़े.

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