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जामताड़ा: अपने अधिकार के लिए आंदोलन कर रहा कोल समुदाय, अब तक नहीं मिला आदिम जनजाति का दर्जा

जामताड़ा के कोल जाति समुदाय के लोग आज भी अपने अधिकार अस्तित्व को लेकर संघर्ष और लड़ाई लड़ने को मजबूर है. कोल जाति समुदाय के लोग आंदोलन कर रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें आदिम जनजाति का दर्जा नहीं मिला है.

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Published : Feb 16, 2020, 12:14 PM IST

Kol caste community have not got primitive tribe status in jamtara
कोल महासम्मेलन

जामताड़ा: विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति कोल समुदाय के लोग अपने हक अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. हर साल 15 फरवरी को जामताड़ा के में भारत प्राचीन आदिवासी कोल कल्याण जाति समिति के बैनर तले कोल जाति समुदाय के लोगों का जुटान होता है और सरकार से अपने मांग को लेकर एकजुट हो संघर्ष का आह्वान करते हैं लेकिन आज तक उन्हें आदिम जनजाति का दर्जा नहीं मिला और न ही कोई सुविधा हासिल हो पाई है.

देखें पूरी खबर

कोल समाज के नेता का कहना है कि आज तक उन्हें शोषण और अत्याचार किया जा रहा है जो सुविधा मिलनी चाहिए थी नहीं मिला है. कोल समाज के नेता कोल जाति को आदिम जनजाति की दर्जा देने और विशेष आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं.

कोल जाति समाज का रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा और उसके संस्कृति बिल्कुल आदिवासी संस्कृति से मिलता-जुलता है. वहीं, काफी लंबी लड़ाई और संघर्ष के बाद 8 जनवरी 2003 को आदिवासी का दर्जा मिला था पर जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाया है.

ये भी देखें- लालू यादव की किडनी बनी चिंता का सबब, AIIMS दिल्ली में जांच कराने की तैयारी में जुटा रिम्स प्रबंधन

कोल समाज के लोग बताते हैं कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूप से उनका समाज आज भी पिछड़ा हुआ है. जिससे आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं और राजनीतिक दल ने भी उन्हें उपेक्षित किया है. आज तक किसी राजनीतिक दल ने सांसद और विधायक बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ाया. जिससे कि उनका प्रतिनिधित्व कोई सांसद सदन में उठाए.

जामताड़ा: विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति कोल समुदाय के लोग अपने हक अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं. हर साल 15 फरवरी को जामताड़ा के में भारत प्राचीन आदिवासी कोल कल्याण जाति समिति के बैनर तले कोल जाति समुदाय के लोगों का जुटान होता है और सरकार से अपने मांग को लेकर एकजुट हो संघर्ष का आह्वान करते हैं लेकिन आज तक उन्हें आदिम जनजाति का दर्जा नहीं मिला और न ही कोई सुविधा हासिल हो पाई है.

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कोल समाज के नेता का कहना है कि आज तक उन्हें शोषण और अत्याचार किया जा रहा है जो सुविधा मिलनी चाहिए थी नहीं मिला है. कोल समाज के नेता कोल जाति को आदिम जनजाति की दर्जा देने और विशेष आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं.

कोल जाति समाज का रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा और उसके संस्कृति बिल्कुल आदिवासी संस्कृति से मिलता-जुलता है. वहीं, काफी लंबी लड़ाई और संघर्ष के बाद 8 जनवरी 2003 को आदिवासी का दर्जा मिला था पर जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाया है.

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कोल समाज के लोग बताते हैं कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूप से उनका समाज आज भी पिछड़ा हुआ है. जिससे आगे बढ़ नहीं पा रहे हैं और राजनीतिक दल ने भी उन्हें उपेक्षित किया है. आज तक किसी राजनीतिक दल ने सांसद और विधायक बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ाया. जिससे कि उनका प्रतिनिधित्व कोई सांसद सदन में उठाए.

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