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मरांग बुरू बचाओ यात्रा पर सालखन मुर्मू, कहा- सरकार जल्द करे मामले में पहल, वरना फरवरी में करेंगे चक्का जाम

पारसनाथ पहाड़ को अपना मरांग बुरू ईश्वर बताते हुए आदिवासी सेंगल अभियान के अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने पूरे प्रदेश में मरांग बुरू यात्रा निकाली. इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार पर मामले में उदासीनता बरतने का आरोप लगाया. साथ ही केंद्र सरकार से मामले में पहल करने की मांग की.

Marang Buru Bachao Yatra
Former MP Salkhan Murmu Giving Information
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Published : Jan 27, 2023, 2:03 PM IST

जामताड़ाः झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित पारसनाथ पहाड़ को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ जहां यह पहाड़ जैन धर्मावलंबियों के लिए सम्मेद शिखर जी है तो आदिवासी समुदाय के लिए मरांग बुरू. आदिवासियों ने इसको लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. वहीं मरांग बुरू को बचाने के लिए आदिवासी सेंगल अभियान ने आंदोलन शुरू कर दिया है. जिसके तहत आदिवासी सेंगल अभियान ने फरवरी में पांच प्रदेशों में अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने का ऐलान किया है.आदिवासी सेंगल अभियान द्वारा मरांग बुरू बचाओ यात्रा के तहत आंदोलन चलाया जा रहा है और पारसनाथ पहाड़ को बचाने की कवायद तेज कर दी है. जिसके तहत पूरे प्रदेश में मरांग बुरू बचाओ भारत यात्रा निकाली जा रही है. जिसका नेतृत्व पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू कर रहे हैं.

ये भी पढे़ं-Sammed Shikharji Controversy: पारसनाथ मरांग बुरू था,मरांग बुरू है और मरांग बुरू ही रहेगा-गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार

पारसनाथ पहाड़ को आदिवासियों का बताया ईश्वरः मरांग बुरू बचाओ भारत यात्रा के तहत जामताड़ा पहुंचे पूर्व सांसद सलखान मुर्मू ने पारसनाथ पहाड़ को आदिवासियों का ईश्वर बताया है. उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का मरांग बुरू है. जिसे जैन धर्मावलंबियों द्वारा हड़प लिया गया है. पूर्व सांसद ने कहा कि झारखंड सरकार ने पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों को सौंप दिया है. उन्होंने झारखंड सरकार पर ईश्वर को बेचने का आरोप लगाया है.

पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों काः सलखान मुर्मू ने बताया कि पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों का है. इसे सुरक्षित करने की मांग केंद्र सरकार और राज्य सरकार से की है. उन्होंने कहा कि यदि मामले में पहल नहीं हुई तो करो या मरो का आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे. सालखन मुर्मू ने बताया कि 1911 में अंग्रेजों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट से पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों को दिया गया है. उन्होंने बताया कि पूरे पहाड़ को 15 हिस्सों में बांटा गया है. जो खतियानी आदिवासी के नाम से है. उन्होंने बताया कि अभी भी पहाड़ पर 120 गांव है. जहां संताल आदिवासी रहते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.

पांच राज्यों में चक्का जाम की चेतावनीः पूर्व सांसद ने कहा कि मामले में 30 जनवरी तक सकारात्मक पहल नहीं हुई तो पांच राज्यों में रेल चक्का जाम कर देंगे. पूर्व सांसद सालखान मुर्मू ने चेतावनी दी है कि भारत सरकार मरांग बुरू के मामले, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पुनः बहाल नहीं करती है और सरना धर्म कोड लागू नहीं करती है तो फरवरी में किसी भी दिन पांच पूर्वी भारत राज्यों में रेल चक्का जाम कर दिया जाएगा.

परासनाथ पहाड़ को लेकर बहस हुई तेजः बताते चलें कि झारखंड के गिरिडीह जिला में अवस्थित पारसनाथ पहाड़ में जैन धर्मावलंबियों के तीर्थ स्थल और आदिवासियों के द्वारा मरांग बुरू ईश्वर को लेकर बहस छिड़ गई है. जिसे लेकर अब आदिवासी समाज संगठन पारसनाथ पहाड़ पर अपने ईश्वर मरांगबुरू को बचाने को लेकर आंदोलन कर दिया है.

जामताड़ाः झारखंड के गिरिडीह जिला स्थित पारसनाथ पहाड़ को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ जहां यह पहाड़ जैन धर्मावलंबियों के लिए सम्मेद शिखर जी है तो आदिवासी समुदाय के लिए मरांग बुरू. आदिवासियों ने इसको लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. वहीं मरांग बुरू को बचाने के लिए आदिवासी सेंगल अभियान ने आंदोलन शुरू कर दिया है. जिसके तहत आदिवासी सेंगल अभियान ने फरवरी में पांच प्रदेशों में अनिश्चितकालीन चक्का जाम करने का ऐलान किया है.आदिवासी सेंगल अभियान द्वारा मरांग बुरू बचाओ यात्रा के तहत आंदोलन चलाया जा रहा है और पारसनाथ पहाड़ को बचाने की कवायद तेज कर दी है. जिसके तहत पूरे प्रदेश में मरांग बुरू बचाओ भारत यात्रा निकाली जा रही है. जिसका नेतृत्व पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू कर रहे हैं.

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पारसनाथ पहाड़ को आदिवासियों का बताया ईश्वरः मरांग बुरू बचाओ भारत यात्रा के तहत जामताड़ा पहुंचे पूर्व सांसद सलखान मुर्मू ने पारसनाथ पहाड़ को आदिवासियों का ईश्वर बताया है. उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ आदिवासियों का मरांग बुरू है. जिसे जैन धर्मावलंबियों द्वारा हड़प लिया गया है. पूर्व सांसद ने कहा कि झारखंड सरकार ने पहाड़ को जैन धर्मावलंबियों को सौंप दिया है. उन्होंने झारखंड सरकार पर ईश्वर को बेचने का आरोप लगाया है.

पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों काः सलखान मुर्मू ने बताया कि पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों का है. इसे सुरक्षित करने की मांग केंद्र सरकार और राज्य सरकार से की है. उन्होंने कहा कि यदि मामले में पहल नहीं हुई तो करो या मरो का आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे. सालखन मुर्मू ने बताया कि 1911 में अंग्रेजों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट से पारसनाथ पहाड़ पर पहला अधिकार आदिवासियों को दिया गया है. उन्होंने बताया कि पूरे पहाड़ को 15 हिस्सों में बांटा गया है. जो खतियानी आदिवासी के नाम से है. उन्होंने बताया कि अभी भी पहाड़ पर 120 गांव है. जहां संताल आदिवासी रहते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.

पांच राज्यों में चक्का जाम की चेतावनीः पूर्व सांसद ने कहा कि मामले में 30 जनवरी तक सकारात्मक पहल नहीं हुई तो पांच राज्यों में रेल चक्का जाम कर देंगे. पूर्व सांसद सालखान मुर्मू ने चेतावनी दी है कि भारत सरकार मरांग बुरू के मामले, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पुनः बहाल नहीं करती है और सरना धर्म कोड लागू नहीं करती है तो फरवरी में किसी भी दिन पांच पूर्वी भारत राज्यों में रेल चक्का जाम कर दिया जाएगा.

परासनाथ पहाड़ को लेकर बहस हुई तेजः बताते चलें कि झारखंड के गिरिडीह जिला में अवस्थित पारसनाथ पहाड़ में जैन धर्मावलंबियों के तीर्थ स्थल और आदिवासियों के द्वारा मरांग बुरू ईश्वर को लेकर बहस छिड़ गई है. जिसे लेकर अब आदिवासी समाज संगठन पारसनाथ पहाड़ पर अपने ईश्वर मरांगबुरू को बचाने को लेकर आंदोलन कर दिया है.

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