जामताड़ा: झारखंड सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार आत्मनिर्भर स्वावलंबन बनाने को लेकर मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की शुरुआत की गई है. इसकी सफलता को लेकर जामताड़ा के पशुपालन विभाग ने लाभुकों के चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है. इसके साथ ही जरूरी दिशा-निर्देश भी दे दिए गए हैं.
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की सफलता को लेकर विभाग हुआ एक्टिव
ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर वर्ग के लोगों को आत्मस्वावलंबन बनाने और उन्हें स्वरोजगार देने को लेकर झारखंड सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना की शुरुआत की है. इसकी सफलता को लेकर जामताड़ा के पशुपालन विभाग ने लाभुकों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिले का पशुपालन विभाग ने इस योजना को लाभुक तक लाभ पहुंचाने के लिए संबंधित प्रखंड के पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दे दिया है.
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सरकारी अनुदान पर लाभुकों को उपलब्ध कराया जाएगा रोजगार
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत सरकारी अनुदान पर लाभुकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. इसको लेकर जामताड़ा में कुल 1,410 लाभुकों को योजना का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें बकरा विकास के लिए 463, अंडा उत्पादन 107, बत्तख चूजा 50,0 बॉयलर 190, शूकर उत्पादन के लिए 150 लाभुकों का लक्ष्य रखा गया है.
विधवा और दिव्यांग लाभुकों को 90 फीसदी अनुदान पर उपलब्ध कराया जाएगा योजना का लाभ
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के तहत विधवा दिव्यांग लाभुकों के लिए 90 फीसदी अनुदान पर योजना का लाभ उपलब्ध कराया जाना है. इसको लेकर जामताड़ा में कुल 47 लाभुकों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा गया है.
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अनुसूचित जनजाति को शत-प्रतिशत दिया जाएगा अनुदान
इस योजना के तहत कल्याण विभाग की ओर से सिर्फ अनुसूचित जनजाति को निशुल्क योजना का लाभ उपलब्ध कराया जाना है. इसमें शत-प्रतिशत अनुदान सरकार देगी. इसके लिए जामताड़ा में कुल 140 लाभुकों का लक्ष्य निर्धारित है.
क्या कहते हैं पशुपालन पदाधिकारी
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के बारे में जानकारी देते हुए जिले के पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत ग्राम सभा कर लाभुकों का चयन किया जाना है. अनुदान पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए लाभुकों को लाभ दिया जाना है, जिसको लेकर दिशा निर्देश दे दिया गया है.
किसान पशुपालक इस योजना की सफलता पर लगा रहे हैं प्रश्न चिन्ह
मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना को लेकर अभी से ही स्थानीय पशुपालक और किसान नेता इसकी सफलता पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं और प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं. स्थानीय किसान नेता ने बताया कि अन्य योजनाओं की तरह कहीं यह भी योजना धरातल पर टाय-टाय फिस न हो जाए. उन्होंने बताया कि जो भी योजनाएं पहले से चली आ रही हैं वो धरातल पर नहीं उतरी. पशुधन विकास योजना के तहत यदि लाभुकों को सीधे उनका लाभ नहीं पहुंच पाता है और एनजीओ सप्लायर की ओर से आपूर्ति होती है, तो अन्य योजनाओं की तरह यह भी फीसड्डी हो जाएगी.