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बांस भरोसे चल रही जिंदगी! सरकारी मदद की आस में अंबा गांव का दलित परिवार

जामताड़ा में अंबा गांव का दलित परिवार को सरकारी मदद मुहैया नहीं हो पायी है. जिसकी वजह से ये गरीबी और आर्थिक तंगी के शिकार हो रहे हैं. इन्होंने सरकार से मदद की अपील की है.

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Published : Sep 12, 2021, 5:13 PM IST

जामताड़ाः जिला के कुंड़हित प्रखंड के अंबा गांव के रहने वाले दलित परिवार बांस का मोढ़ा बनाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं. दलित परिवार के पास दूसरा कोई रोजगार का साधन नहीं है. उनके पास ना जमीन है और ना ही सरकार की ओर से उनके रोजगार के लिए कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग: बांस का रोजगार करने वाले तुरी समाज को सरकार से आस, ऋण मुहैया करवाने की कर रहे मांग


एक तरफ सरकार दलितों को उत्थान के लिए उनके विकास के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. उनके बच्चे को अच्छी शिक्षा अच्छे रोजगार नौकरी में लाभ देने को लेकर सरकार लंबे चौड़े वादे करती है. लेकिन जामताड़ा जिला का अंबा गांव में रहने वाले दलित परिवार को कोई सरकारी सहयोग नहीं मिलता है.

देखें पूरी खबर

अंबा गांव के रहने वाले दलित परिवार का रोजगार का एकमात्र साधन है बांस का मोढ़ा बनाना. इसे बेचकर जो आमदनी होती है उसी सें इनका परिवार चलता है. महिला-पुरुष सभी बांस का मोढ़ा बनाकर ही रोजगार करते हैं. इनका कहना है हमारे पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. बांस का मोढ़ा बनाकर बेचते हैं उसी से इनका घर परिवार चलता है.

Dalit family of Amba village not getting government help in Jamtara
दलित परिवार को नहीं मिल रही सरकारी मदद

इनको सरकारी सुविधा ना होने की वजह से अपना काम करने के लिए हमेशा इधर-उधर बैठ जाते हैं. कभी किसी बंद स्कूल के बरामदे में तो कभी किसी पेड़ के नीचे बैठकर मोढ़ा बनाते हैं. सरकार की ओर से इनके लिए किसी तरह की शेड की व्यवस्था नहीं की गई है. जिससे गर्मी, जाड़ा और बरसात के दिनों में इनको काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. इनके घर इतने छोटे हैं कि बमुश्किल ही पूरा परिवार इसमें एक साथ रह पाता है. ऐसे में बांस का सामान बनाना और उसे घर में रखा इनके लिए चुनौती से कम नहीं है.

इसे भी पढ़ें- गिरीडीह: पुस्तैनी धंधे को बचाने में कारीगरों को करना पड़ रहा जद्दोजहद, सरकार से मदद की लगा रहे गुहार


जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर कुंड़हित प्रखंड के अंबा गांव स्थित है. जहां 200 दलित परिवार रहते हैं, जिनका मुख्य रोजगार बांस का मोढ़ा बनाना है. महिला-पुरुष सभी बांस का मोढ़ा बनाने का काम करते हैं. इसे बेचने के लिए ये खुद ही बंगाल, बिहार, ओड़िशा, मध्य प्रदेश यहां तक दिल्ली तक सामान बेचने के लिए चले जाते हैं. उन पैसों से जो आमदनी होती है, उससे अपना घर परिवार चलाते हैं.

Dalit family of Amba village not getting government help in Jamtara
बांस का मोढ़ा बनाती महिला
सरकार से मदद की गुहारअंबा गांव के दलित परिवार के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन में उनके रोजगार पर काफी प्रभाव पड़ा है. जो भी पूंजी थी, वह भी खत्म हो गयी है और मुश्किल से घर परिवार चलाना पड़ रहा है. सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलता है. दलित परिवार के लोग सरकार से सहयोग की अपील कर रहे हैं, गुहार लगा रहे हैं ताकि उनका रोजगार ठीक ठाक चल सके.
Dalit family of Amba village not getting government help in Jamtara
मोढ़ा बनातीं ग्रामीण महिला

जामताड़ाः जिला के कुंड़हित प्रखंड के अंबा गांव के रहने वाले दलित परिवार बांस का मोढ़ा बनाकर अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं. दलित परिवार के पास दूसरा कोई रोजगार का साधन नहीं है. उनके पास ना जमीन है और ना ही सरकार की ओर से उनके रोजगार के लिए कोई सहयोग नहीं मिल रहा है.

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एक तरफ सरकार दलितों को उत्थान के लिए उनके विकास के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. उनके बच्चे को अच्छी शिक्षा अच्छे रोजगार नौकरी में लाभ देने को लेकर सरकार लंबे चौड़े वादे करती है. लेकिन जामताड़ा जिला का अंबा गांव में रहने वाले दलित परिवार को कोई सरकारी सहयोग नहीं मिलता है.

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अंबा गांव के रहने वाले दलित परिवार का रोजगार का एकमात्र साधन है बांस का मोढ़ा बनाना. इसे बेचकर जो आमदनी होती है उसी सें इनका परिवार चलता है. महिला-पुरुष सभी बांस का मोढ़ा बनाकर ही रोजगार करते हैं. इनका कहना है हमारे पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. बांस का मोढ़ा बनाकर बेचते हैं उसी से इनका घर परिवार चलता है.

Dalit family of Amba village not getting government help in Jamtara
दलित परिवार को नहीं मिल रही सरकारी मदद

इनको सरकारी सुविधा ना होने की वजह से अपना काम करने के लिए हमेशा इधर-उधर बैठ जाते हैं. कभी किसी बंद स्कूल के बरामदे में तो कभी किसी पेड़ के नीचे बैठकर मोढ़ा बनाते हैं. सरकार की ओर से इनके लिए किसी तरह की शेड की व्यवस्था नहीं की गई है. जिससे गर्मी, जाड़ा और बरसात के दिनों में इनको काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. इनके घर इतने छोटे हैं कि बमुश्किल ही पूरा परिवार इसमें एक साथ रह पाता है. ऐसे में बांस का सामान बनाना और उसे घर में रखा इनके लिए चुनौती से कम नहीं है.

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जामताड़ा जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर कुंड़हित प्रखंड के अंबा गांव स्थित है. जहां 200 दलित परिवार रहते हैं, जिनका मुख्य रोजगार बांस का मोढ़ा बनाना है. महिला-पुरुष सभी बांस का मोढ़ा बनाने का काम करते हैं. इसे बेचने के लिए ये खुद ही बंगाल, बिहार, ओड़िशा, मध्य प्रदेश यहां तक दिल्ली तक सामान बेचने के लिए चले जाते हैं. उन पैसों से जो आमदनी होती है, उससे अपना घर परिवार चलाते हैं.

Dalit family of Amba village not getting government help in Jamtara
बांस का मोढ़ा बनाती महिला
सरकार से मदद की गुहारअंबा गांव के दलित परिवार के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन में उनके रोजगार पर काफी प्रभाव पड़ा है. जो भी पूंजी थी, वह भी खत्म हो गयी है और मुश्किल से घर परिवार चलाना पड़ रहा है. सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलता है. दलित परिवार के लोग सरकार से सहयोग की अपील कर रहे हैं, गुहार लगा रहे हैं ताकि उनका रोजगार ठीक ठाक चल सके.
Dalit family of Amba village not getting government help in Jamtara
मोढ़ा बनातीं ग्रामीण महिला
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