जामताड़ा: एक महीने पहले चिरूडीह गांव के पांच दलित परिवारों को दबंगों ने उनके घर से बेदखल कर दिया गया था. तब से लेकर अब तक ये दलित परिवार सरकारी आश्रय गृह में जीवन बसर करने को मजबूर हैं. इन्हे न तो इनका घर वापस दिलाया गया और न हीं आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई. आश्रयगृह मे जैसे तैसे जीवन काट रहे इन लोगों ने न्याय की गुहार लगाई है.
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क्या है पूरा मामला ?
दरअसल चिरूडीह गांव में 5 दलित परिवारों को पिछले माह गांव के कुछ दबंगों ने उनके घर से बेदखल कर दिया था, जिसके बाद इन परिवारों ने अपने बच्चों के साथ धरना प्रदर्शन कर इंसाफ की गुहार लगाई जिसका संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय और झारखंड एससी एसटी आयोग की टीम जामताड़ा पहुंची और पीड़ित परिवारों के साथ इंसाफ करने को लेकर जिला प्रशासन को आदेश दिया.
प्रशासन ने आयोग से पीड़ित परिवार को जमीन पर दखल दिलाने, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक महीने का समय मांगा था. जिस पर आयोग की टीम ने एक माह तक प्रशासन की सुरक्षा के तहत महादलित पीड़ित परिवारों को आश्रयगृह में रखने का आदेश दिया था.
प्रशासन के रवैये से नाराज हैं पीड़ित
आश्रय गृह में इंसाफ की आस में रह रहे पीड़ित महादलित परिवार के लोगों का कहना है कि एक माह बीत जाने के बाद भी उन्हें घर जमीन वापस नहीं मिली. उन्होंने प्रशासन पर आश्रय गृह में सही ढंग से खाना पीना नहीं दिए जाने का भी आरोप लगाया. उनके मुताबिक उन्हें सिर्फ चावल और दाल दे दिया गया जिससे उनका गुजर बसर मुमकिन नहीं हैं.
इधर इस मामले में सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी ने दलित परिवारों के लिए अविलंब इंसाफ की मांग की है. बीजेपी जिलाध्यक्ष ने कहा दलित परिवारों के साथ बीजेपी खड़ी है. उन्होंने कहा प्रशासन पूरे मामले में तुरंत कार्रवाई करें नहीं तो पार्टी आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएगी.