जामताड़ाः झारखंड में विलुप्त हो रही कोल जनजाति आज भी अपने अस्तित्व व अधिकार की लड़ाई को लेकर संघर्ष कर रही है. आज तक आदिम जनजाति का दर्जा नहीं मिला और न ही कोई सुविधा. नतीजा आज भी यह समाज सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ है. विलुप्त होती आदिम जनजाति कोल जाति समाज आज भी अपने अधिकार और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.
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कॉल समाज के लोग आज भी आंदोलन कर रहे हैं और लड़ाई लड़ रहे हैं. कोल जाति के लोगों का कहना है कि काफी लंबी लड़ाई लड़ने और संघर्ष के बाद 8 जनवरी 2003 को आदिवासी सूची में कोल जाति को शामिल किया गया है, लेकिन आदिम जनजाति का दर्जा नहीं दिया गया. इससे उनको कोई विकास नहीं हो पा रहा है और ना ही उनके समाज के लोग आगे बढ़ पा रहे हैं.
आंदोलन की दी चेतावनी
कोल समाज के लोगों का कहना है कि कोल समाज अपने अधिकार और अस्तित्व की लड़ाई को लेकर पूरे देश भर में आंदोलन चलाएगा और दिल्ली में धरना प्रदर्शन कर अपनी लड़ाई लड़ेगा और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं उनका आया संघर्ष और आंदोलन जारी रहेगा. समाज के लोग शिक्षा और विकास से वंचित हैं. समाज का कोई व्यक्ति एमएलए नहीं है.
करीब 54,000 है आबादी
बताया जाता है कि झारखंड में कोल आदिम जनजाति की संख्या करीब 54000 के आसपास है, जिनक पेशा मजदूरी है. मजदूरी करना उनकी मजबूरी बन गई है. शिक्षा रोजगार के अभाव में यह समाज आगे नहीं बढ़ पा रहा है . विलुप्त होते इस जनजाति को संरक्षण देना और बचाने के भी मांग को समाज के लोगों ने किया है
कितनी सरकारें आई गईं, लेकिन किसी भी सरकार ने विलुप्त होती इस आदिम जनजाति कोल समाज के विकास को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बनाई. किसी राजनीतिक दल ने आज तक इस समाज के लोगों को आगे बढ़ाने का काम नहीं किया. नतीजा आज भी यह समाज उपेक्षित जिंदगी जीने को विवश है .