जामताड़ा: 5 दिन से चितरा रेलवे साइडिंग में कोयला की ढुलाई ठप है. डंपर मालिक और चालक अपनी मांग पर अड़े हैं. जामताड़ा रेलवे साइडिंग के कांटा घर में कोयले से लदा डंपर को जाम कर कोयले की ढुलाई को ठप कर दिया गया है. इससे हर दिन लाखों का नुकसान हो रहा है.
डंपर से कोयले की ढुलाई ठप
चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक करीब सैकड़ों की संख्या में डंपर से कोयले की ढुलाई होती है, जो कि ट्रांसपोर्टरों के द्वारा किया जाता है. डंपर ट्रांसपोर्टर के अधीन परिचालन किया जाता है, जिसका की भुगतान ट्रांसपोर्टर करते हैं. चितरा कोलियरी कोयले की ढुलाई के लिए ट्रांसपोर्टरों को टेंडर करती है. इसके लिए एग्रीमेंट कर पैसे का भुगतान ट्रांसपोर्टर को करती है.
बताया जाता है कि चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर की क्षमता से अधिक कोयले की ढुलाई की जाती है. नतीजा डंपर से रास्ते में ही कोयले की चोरी की जाती है. इसके साथ ही पानी धूल पत्थर से वजन को बढा दिया जाता है. अधिकतर डंपर बिना कागज के परिचालन किया जाता है, जिसे लेकर कई बार मामला उठा, लेकिन राजनीतिक सफेदपोश नेताओं के संरक्षण दिए जाने के कारण प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं की जाती.
डंपर मालिक और चालकों के मांगों के समर्थन में सारठ विधानसभा के विधायक रणधीर सिंह और जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी सामने आए हैं. सारठ के विधायक रणधीर सिंह और जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने संयुक्त रूप से जामताड़ा जिला के उपायुक्त से मिलकर समाधान करने की पहल की है. सारठ विधानसभा के विधायक रणधीर सिंह ने कहा है कि ट्रांसपोर्टरों द्वारा डंपर मालिक को 130 रुपए प्रति टन कोयले के हिसाब से भुगतान किया जाता है. क्षमता से अधिक कोयले के ढुलाई की बात नहीं बनती है, जबकि चितरा कोलियरी ट्रांसपोर्टर को 230 के आसपास भुगतान करती है. विधायक रणधीर सिंह का कहना है कि ट्रांसपोर्टर डंपर ढुलाई रेट बढ़ा दे तो कोई दिक्कत नहीं आएगी और समस्या का समाधान भी हो जाएगा.