हजारीबाग: कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सारे उद्योग धंधे बंद हो गए हैं. ऐसे में मजदूर को काम भी नहीं मिल रहा है और मजदूर घर लौटने को विवश है. जहां एक और पुलिस प्रशासन पैदल ना जाने को लेकर सक्ती भी बरत रहे हैं. इसके बावजूद पलायन का दौर जारी है. हजारीबाग में कोलकाता और दुर्गापुर से 8 मजदूर पहुंचे. आलम यह है कि इन लोगों के पास जो पैसे थे उससे इन लोगों ने साइकिल खरीदा. साइकिल से अपने गांव जाने को मन बना लिया लेकिन जैसे ही झारखंड बंगाल बॉर्डर पहुंचा तो मैथन के पास पुलिस ने साइकिल जब्त कर ली. ऐसे में अब वे पैदल जाने को विवश हैं.
मजदूरों का कहना है कि पुलिस ने 200 रुपये भी साइकिल के एवज में दिया था. काम करने वाले मजदूर काफी निराश हैं. उनका कहना है कि इस दौर में एक-एक रुपये की कीमत है. धनबाद पुलिस ने साइकिल को जब्त कर लिया है. अब पैदल गढ़वा जा रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि उन्होंने घर जाने को लेकर रजिस्ट्रेशन भी कराया लेकिन किसी भी तरह का है रिस्पांस नहीं मिला. इस कारण लोगों का गांव जाने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. इसी क्रम में जब वे हजारीबाग पहुंचे तो हजारीबाग विधायक कार्यालय की ओर से उन्हें कुछ खाने का सामान उपलब्ध कराया गया और मजदूर गढ़वा और पलामू जाने के लिए पैदल ही निकल गए.
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यह विचित्र स्थिति पूरे देश में बनी हुई है. जहां एक ओर सरकार चिंतित है कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके तो दूसरी ओर कुछ ऐसे मजदूर भी हैं जो परिस्थिति के कारण पैदल ही निकल पड़े हैं. ऐसे में पुलिसिया जुल्म भी उन पर हो रहा है. जरूरत है प्रशासन को इन बिंदुओं पर ध्यान देने की ताकि जो मजदूर पैदल चल दिए हैं उन्हें परेशानी ना हो.