हजारीबाग: जिले में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. ऐसे में पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है. एक समय हजारीबाग झारखंड का मसूरी कहा जाता था. दिन भर गर्मी के बाबजूद शाम को हल्की बारिश हुआ करती थी. लेकिन यह पहली बार है कि इस मौसम में एक दिन भी बरसात नहीं हुई. यही वजह है कि हजारीबाग के कई क्षेत्रों में जल संकट गहराता जा रहा है.
हजारीबाग का एकमात्र पेयजल आपूर्ति करने वाला छलावा डैम अब सूखता जा रहा है. यहां भीषण गर्मी के कारण महज 10 से 12 फीट पानी ही डैम में बचा है. ऐसे में पेयजल के विभाग की ओर से पानी तो मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन समय अवधि घटा दी गई है. विभाग का कहना है कि अभी 15 दिनों तक का पानी डैम में बचा है. ऐसे में 15 जून तक अगर मॉनसून आ जाता है तो वो अच्छा होगा लेकिन अगर मासून पहुंचने में एक हफ्ते देर हुई तो जल संकट गहरा सकता है.
वहीं, पेयजल को लेकर लोगों की समस्या बढ़ती जा रही है. शहरी क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार कि ओर से 60 साल पहले, छठवां डैम में पंप हाउस लगाकर जलापूर्ति प्रारंभ किया गया था. लेकिन समय के साथ बढ़ती आबादी के दबाव को लेकर पानी की खपत बढ़ती गई, जिससे लोगों के लिए पेयजल एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है.
हालांकि 2004 में छठवां डैम में ही दूसरा पंप हाउस बनाया गया. इन दोनों पंपों के जरिए शहर की 6 जल मीनार से प्रतिदिन 6 लाख गैलन शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है. लेकिन इतने जल से भी हजारीबाग के लोगों की प्यास नहीं बुझ रही है. आने वाले दिनों में कोनार जलापूर्ति योजना के जरिए हजारीबाग और ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की जाएगी. इसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है. लेकिन इस परियोजना को धरातल पर उतरने में लगभग 4 से 5 साल लग जाएंगे.
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