हजारीबागः ग्राउंड वाटर दिन प्रतिदिन नीचे जा रहा है. इस स्थिति में झारखंड सरकार ने जल संचय को लेकर योजना बनाई और योजना पर काम भी किया जा रहा है. बारिश के पानी को संरक्षित करने के साथ साथ किसानों को बेहतर सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जाए, इसे लेकर राज्य में लाखों की संख्या में डोभा यानी ताबाल का निर्माण कराया जा रहा है, ताकि बरसात के पानी नदी नाले में बहकर बर्बाद ना हो सके.
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राज्य सरकार की योजना के तहत हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड के सलगा में भी डोभा का निर्माण किया गया है, लेकिन यहां सरकारी पैसे की बर्बादी दिख रही है. स्थिति यह है कि सलगा में नदी के किनारे ही 50 से अधिक डोभा का निर्माण कर दिया गया, जिसमें एक बूंद पानी नहीं है. इतना ही नहीं, डोभा के आसपास खेती के लिए जमीन भी नहीं है. अगर डोभा खेतीहर जमीन के पास बनाया जाता तो खेती के लिए पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन घने जंगल के बीच में डोभा का निर्माण करवाया गया है. यह डोभा जंगल की जमीन पर है या सरकारी जमीन है, यह भी स्पष्ट नहीं है. जंगल में डोभा का निर्माण कैसे कर दिया गया इसका जवाब प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास भी नहीं है. गांव के लोग डर की वजह से बोलने को तैयार नहीं है. इतना ही नहीं, इस डोभा का निर्माण मानव श्रम से तैयार करना था लेकिन इस डोभा को बनाने में मशीन का उपयोग किया गया है. कृषि विभाग के भूमि संरक्षण निदेशालय ने डोभा निर्माण की योजना बनाई. इसके साथ ही ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा के तहत भी डोभा बनाने की योजना है.