हजारीबाग: टाटीझरिया प्रखंड का कोनार पुल 7 साल के बाद भी नहीं बन सका है. सरकारें बदल गई लेकिन इस पुल की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. करीब 100 गांवों को जोड़ने वाला पुल आज भी अधूरा है. नक्सलियों ने 2014 में इसे बम से उड़ा दिया था. इसके बाद पुल बनाने को लेकर कवायद तो की गई लेकिन पुल नहीं बन सका. धीरे-धीरे नक्सल समस्या खत्म हो रही है लेकिन सरकार की उदासीनता कम नहीं हो रही है. यह वजह है कि इस पुल का निर्माण अब तक नहीं हो सका है. पुल हजारीबाग, रामगढ़ और बोकारो को जिले के भी जोड़ता है. हजारीबाग जिले के टाटीझरिया, अंगों, चुरचू, बिष्णुगढ़, झुमरा पहाड़, बेगम पतंगा आदि कई गांव इस पुल से ही जुड़ते हैं.
यह भी पढ़ें: नमाज के लिए आवंटित कमरे पर सदन से सड़क तक संग्राम, विधानसभा घेराव कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज
आपस में बैठकर बनाई रणनीति
पुल नहीं बनने पर ग्रामीण काफी परेशान थे. ऐसे में ग्रामीणों ने आपस में बैठक कर रणनीति बनाई. आपस में 16 हजार रुपए जुटाए और उसी पैसे से लकड़ी के कुंदे से ही पुल बना डाला. इसमें पेड़ के पत्ते, बालू, बोरा, बांस बल्ली, छड़ लगाया गया है. ग्रामीणों ने तय किया कि जिसके घर में पुरानी लकड़ी है वह लाकर पुल बनाने में अपना सहयोग करें. ऐसे में लकड़ी का भी इंतजाम हो गया और लोगों ने मिलकर पुल बना दिया.
पुल अब तैयार हो गया है जिससे गांव के लोग आवागमन करते हैं. पुल पर भारी वाहन ले जाना मना है. अगर भारी वाहन पुल पर चलेगा तो यह जुगाड़ का पुल टूट सकता है और बड़ी दुर्घटना हो सकती है. ऐसे में छोटी चार पहिया गाड़ी और बाइक का आना-जाना शुरू हो गया है. लोगों में खुशी है कि उनकी मेहनत रंग लाई और ग्रामीण अब अपने घर तक गाड़ी से पहुंच रहे हैं.
तो ऐसे लिया गया पुल बनाने का फैसला
दरअसल, पुल बनाने के पीछे की भी एक कहानी है. एक बच्ची पुल पार करते वक्त 20 फीट नीचे नदी में गिर गई जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई. आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया और बच्ची की जिंदगी बचाने में लाखों रुपए खर्च हो गए. बड़ी मुश्किल से उसकी जान बची. इसके बाद ही ग्रामीणों ने बैठक कर पुल बनाने का निर्णय लिया था. अब ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द पुल बनवा दिया जाए ताकि आने जाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.
बिना काम किए भाग गए ठेकेदार
तीन करोड़ की लागत से पुल बनना था जिसकी लंबाई करीब 300 मीटर है. स्पेशल डिवीजन हजारीबाग की ओर से 29 लाख की लागत से दो स्पैन का काम कराया जा रहा था. काम स्थानीय ठेकेदारों को दिया गया था. लेकिन काम पूरा किए बगैर ही ठेकेदार फरार हो गए. इस पुल से हर रोज करीब 5 हजार से अधिक लोग आना-जाना करते हैं. परेशानी को देखते हुए पहले सीढ़ी बनाई गई और अब बांस बल्ला से जाने के लिए पुल तैयार किया गया है.