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हजारीबाग: बांस का रोजगार करने वाले तुरी समाज को सरकार से आस, ऋण मुहैया करवाने की कर रहे मांग - हजारीबाग में तुरी समाज के लोग करते हैं बांस का काम

हजारीबाग में तुरी समाज के लोगों ने सरकार से ऋण मुहैया करवाने की मांग की है. वहीं, लोगों का कहना है कि अगर पूंजी की व्यवस्था हो जाए तो अपने बांस के व्यापार में वृद्धि कर सकते हैं.

Turi samaj demanded the government to provide loans
हजारीबाग में तुरी समाज के लोग करते हैं बांस का काम
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Published : Jun 8, 2020, 4:23 PM IST

हजारीबाग: जिले के कोनरा पंचायत में तुरी समाज के लोग बांस की विभिन्न घरेलू उपकरण टोकरी, सूप, मौनी, पंखा बनाने का काम करते हैं. वहीं, महापर्व छठ के समय सुप, दऊरी, पंखा की पूर्ति अधिकतर इन लोगों के जरिए ही की जाती है.

कोनरा पंचायत के पडीरमा और हरिला क्षेत्र में रह रहे लोगो का मुख्य काम बांस से समान बनाने का ही है. इनमें अधिकतर लोग टोकरी, सुप और पंखा बनाते हैं, जबकि कुछ लोग प्रशिक्षित भी है. तुरी समाज हरिला के लोगों ने बताया कि हम सभी पूंजी के अभाव में अपना पूरा काम नहीं कर पाते हैं. प्राइवेट बैंक से 30 से 35% के सूद पर ऋण लेकर काम करते है, जिससे बचत कम होती है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के जरिए ऋण मुहैया करवा दी जाए, तो हम अपना व्यपार बढ़ा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- रांचीः कांग्रेस विधायक दल की बैठक, राज्यसभा चुनाव में जीत की रणनीति है मुख्य एजेंडा

तुरी समाज के लोगों ने बताया कि हर सप्ताह एक से डेढ़ हजार रुपए की बिक्री करते हैं. अगर पूंजी की व्यवस्था हो जाए तो अपने व्यापार में वृद्धि कर सकते हैं. वहीं, लोगों ने सरकार से सहायता की मांग की है. इन लोगों ने बताया कि इस संबंध में कई बार बैंकों में भी संपर्क किया है लेकिन निराशा ही हाथ लगी. कई बार अधिकारियों का भी हमारे क्षेत्र में भ्रमण हुआ लेकिन कोई लाभ नहीं मिला.

हजारीबाग: जिले के कोनरा पंचायत में तुरी समाज के लोग बांस की विभिन्न घरेलू उपकरण टोकरी, सूप, मौनी, पंखा बनाने का काम करते हैं. वहीं, महापर्व छठ के समय सुप, दऊरी, पंखा की पूर्ति अधिकतर इन लोगों के जरिए ही की जाती है.

कोनरा पंचायत के पडीरमा और हरिला क्षेत्र में रह रहे लोगो का मुख्य काम बांस से समान बनाने का ही है. इनमें अधिकतर लोग टोकरी, सुप और पंखा बनाते हैं, जबकि कुछ लोग प्रशिक्षित भी है. तुरी समाज हरिला के लोगों ने बताया कि हम सभी पूंजी के अभाव में अपना पूरा काम नहीं कर पाते हैं. प्राइवेट बैंक से 30 से 35% के सूद पर ऋण लेकर काम करते है, जिससे बचत कम होती है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के जरिए ऋण मुहैया करवा दी जाए, तो हम अपना व्यपार बढ़ा सकते हैं.

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तुरी समाज के लोगों ने बताया कि हर सप्ताह एक से डेढ़ हजार रुपए की बिक्री करते हैं. अगर पूंजी की व्यवस्था हो जाए तो अपने व्यापार में वृद्धि कर सकते हैं. वहीं, लोगों ने सरकार से सहायता की मांग की है. इन लोगों ने बताया कि इस संबंध में कई बार बैंकों में भी संपर्क किया है लेकिन निराशा ही हाथ लगी. कई बार अधिकारियों का भी हमारे क्षेत्र में भ्रमण हुआ लेकिन कोई लाभ नहीं मिला.

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