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आत्मनिर्भर बनाने के सपने से छली गईं महिलाएं, माया मिली ना राम

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Published : Aug 31, 2021, 12:06 PM IST

Updated : Aug 31, 2021, 12:45 PM IST

हजारीबाग के बरही प्रखंड के बेंदगी गांव में श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन के तहत हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई. ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराना इसका उद्देश्य था. महिलाओं को प्रशिक्षण भी मिला. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से आज यह योजना यहां पर दम तोड़ती दिख रही है.

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रोजगार की सपना लिए महिलाओं ने ली कपड़ा बुनने का प्रशिक्षण

हजारीबागः ग्रामीण क्षेत्रों को विकतिस करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन चलाया जा रहा है, ताकि ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके. इस योजना के तहत बरही प्रखंड के बेंदगी गांव में हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की गई. इस यूनिट के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षिण भी दिया गया, ताकि महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. प्रशिक्षण के दौरान जो पैसा मिलना चाहिए, वह पैसा भी नहीं मिला और न ही रोजगार मिल रहा है.

यह भी पढ़ेंःचाईबासा के 2 गांवों में क्लस्टर का निर्माण, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना लक्ष्य

सरकार की कई योजनाएं महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई जा रही है. लेकिन, कभी-कभी प्रशासनिक अनदेखी के कारण योजनाएं तार-तार हो जाती हैं. इसमें एक है केंद्र सरकार की ओर से चल रही श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन. इसके तहत बेंदगी गांव में संचालित हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट, जहां तैयार कपड़े के लिए बाजार उपलब्ध नहीं है. स्थिति यह है कि प्रशिक्षण लेकर कपड़े की बुनाई कर रही महिलाएं आर्थिक संकट से जूझने लगी हैं. जबकि, ग्रामीण महिलाओं को हैंडलूम का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि कपड़ा बनाकर बाजार में बेचे और आर्थिक रूप से मजबूत हो सके. लेकिन, जानकर आश्चर्य होगा कि योजना अब सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नहीं मिल रही प्रशासनिक मदद

हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर एक माह तक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया. रोजाना हजारीबाग से प्रशिक्षण देने वाले अधिकारी बेंदगी गांव पहुंचते थे और पूरे दिन ग्रामीण महिलाओं को कपड़ा बुनने की बारीकियां सिखाते थे, ताकि महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन सकें. प्रोसेसिंग यूनिट में काम कर रही महिलाएं बताती हैं कि जो कपड़ा बना रहे हैं उसका ना बाजार मिल रहा है और ना ही उचित कीमत. उम्मीद थी कि प्रशिक्षण लेने के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो कर रोजगार कर पाएंगे. लेकिन, प्रशासनिक मदद के अभाव में ठगा महसूस कर रहे हैं.

दिखेंगे बेहतर परिणाम

महिलाओं को थोड़ा सपोर्ट मिल जाए, तो वह सिर्फ अपने परिवार की देखभाल ही नहीं बल्कि सामाजिक आर्थिक रूप से सशक्त भी बन सकती हैं. इसी उद्देश्य से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कई योजनाएं सरकार की ओर से चलाई जा रही हैं. कई ऐसी योजना हैं जहां महिलाएं अपना दमखम दिखा कर ऊंची उड़ान उड़ने को तैयार हैं, तो कई ऐसी योजनाएं भी हैं, जिसने महिलाओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया है. हालांकि, ब्लॉक प्रोग्रामिंग ऑफिसर कहते हैं कि महिलाओं को थोड़ा सब्र रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान पैसा क्यों नहीं मिला. इसकी जानकारी नहीं है. वरीय अधिकारियों से बात कर शीघ्र समस्या दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का अच्छा प्लेटफॉर्म है और आने वाले दिनों में अच्छा परिणाम दिखेगा.

हजारीबागः ग्रामीण क्षेत्रों को विकतिस करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन चलाया जा रहा है, ताकि ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन सके. इस योजना के तहत बरही प्रखंड के बेंदगी गांव में हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की गई. इस यूनिट के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षिण भी दिया गया, ताकि महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. प्रशिक्षण के दौरान जो पैसा मिलना चाहिए, वह पैसा भी नहीं मिला और न ही रोजगार मिल रहा है.

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सरकार की कई योजनाएं महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई जा रही है. लेकिन, कभी-कभी प्रशासनिक अनदेखी के कारण योजनाएं तार-तार हो जाती हैं. इसमें एक है केंद्र सरकार की ओर से चल रही श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन. इसके तहत बेंदगी गांव में संचालित हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट, जहां तैयार कपड़े के लिए बाजार उपलब्ध नहीं है. स्थिति यह है कि प्रशिक्षण लेकर कपड़े की बुनाई कर रही महिलाएं आर्थिक संकट से जूझने लगी हैं. जबकि, ग्रामीण महिलाओं को हैंडलूम का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि कपड़ा बनाकर बाजार में बेचे और आर्थिक रूप से मजबूत हो सके. लेकिन, जानकर आश्चर्य होगा कि योजना अब सिर्फ सफेद हाथी साबित हो रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

नहीं मिल रही प्रशासनिक मदद

हैंडलूम प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर एक माह तक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया. रोजाना हजारीबाग से प्रशिक्षण देने वाले अधिकारी बेंदगी गांव पहुंचते थे और पूरे दिन ग्रामीण महिलाओं को कपड़ा बुनने की बारीकियां सिखाते थे, ताकि महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बन सकें. प्रोसेसिंग यूनिट में काम कर रही महिलाएं बताती हैं कि जो कपड़ा बना रहे हैं उसका ना बाजार मिल रहा है और ना ही उचित कीमत. उम्मीद थी कि प्रशिक्षण लेने के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो कर रोजगार कर पाएंगे. लेकिन, प्रशासनिक मदद के अभाव में ठगा महसूस कर रहे हैं.

दिखेंगे बेहतर परिणाम

महिलाओं को थोड़ा सपोर्ट मिल जाए, तो वह सिर्फ अपने परिवार की देखभाल ही नहीं बल्कि सामाजिक आर्थिक रूप से सशक्त भी बन सकती हैं. इसी उद्देश्य से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कई योजनाएं सरकार की ओर से चलाई जा रही हैं. कई ऐसी योजना हैं जहां महिलाएं अपना दमखम दिखा कर ऊंची उड़ान उड़ने को तैयार हैं, तो कई ऐसी योजनाएं भी हैं, जिसने महिलाओं के सपनों को चकनाचूर कर दिया है. हालांकि, ब्लॉक प्रोग्रामिंग ऑफिसर कहते हैं कि महिलाओं को थोड़ा सब्र रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान पैसा क्यों नहीं मिला. इसकी जानकारी नहीं है. वरीय अधिकारियों से बात कर शीघ्र समस्या दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार का अच्छा प्लेटफॉर्म है और आने वाले दिनों में अच्छा परिणाम दिखेगा.

Last Updated : Aug 31, 2021, 12:45 PM IST
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