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मददगार पवनः लॉ स्टूडेंट अपनी ई-रिक्शा से मरीजों को दे रहा मुफ्त सेवा - हजारीबाग में कोरोना

एक तरफ कोरोना की वजह से अपने ही अपनों का साथ छोड़ रहे हैं. ऐसे वक्त में समाज में कुछ ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं, जो इंसानियत की जिंदा मिसाल हैं. हजारीबाग के लॉ स्टूडेंट पवन कुमार के मदद के जज्बे को सलाम है.

Pawan of Hazaribagh is giving free service to patients with his auto
पवन कुमार
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Published : May 2, 2021, 3:30 PM IST

Updated : May 2, 2021, 8:37 PM IST

हजारीबागः कोरोना ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हरएक व्यक्ति घर में कैद है ताकि खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रह सके. ऐसे में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी सेवा भाव से लोगों की मदद कर रहे हैं. जिला में एक ऐसा युवक है, जो मदद के लिए गली-मोहल्ला घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहा है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग: इंसानियत भूले एंबुलेंस चालक, कोरोना संक्रमित मरीजों से वसूल रहे मनमाना किराया


कोरोना के संक्रमण के कारण इन दिनों अस्पताल में भीड़ लगी हुई है, सभी जगह मरीज देखे जा रहे हैं. आलम यह है कि अस्पतालों में भी जगह नहीं मिल रहा है. वहीं कई ऐसे मरीज हैं, जो घर पर अपना इलाज कर रहे हैं. लेकिन स्थिति खराब होने पर अस्पताल की ओर उन्हें रुख करना पड़ रहा है. ऐसे मरीज को एंबुलेंस समय नहीं मिल पा रहा है. जहां एक ओर एंबुलेंस चालक अपना भाड़ा बढ़ाकर उनकी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग के पवन कुमार ने बीड़ा उठाया है कि वो मरीजों को अपनी टोटो से अस्पताल तक की मुफ्त सेवा दे रहे हैं.

पवन लॉ के छात्र हैं और ऑफ टाइम में ऑटो चलाते हैं
पवन बताते हैं कि हजारीबाग में एंबुलेंस के कारण कई मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसलिए मैं अपनी टोटो से उन्हें अस्पताल पहुंचा रहा हूं. इसके लिए मैंने विभिन्न सोशल साइट्स पर अपना फोन नंबर वायरल कर दिया है. लोग मुझसे कॉन्टेक्ट करते हैं और फिर मैं उन्हें निशुल्क या सेवा देता हूं. उनका कहना है कि इस ऑटो का उपयोग अपने जीवन यापन के लिए कर रहा था. मैं विनोबा भावे विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई कर रहा हूं, पढ़ाई पूरा करने के लिए मैं ऑफ टाइम में टोटो चलाता हूं. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कॉलेज बंद है और ऑनलाइन क्लासेस चल रहा है. मेरे पास समय है और इस समय का उपयोग मैं मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए कर रहा हूं.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग: गोपलो गांव में कोरोना से भाइयों की मौत, गांव में दहशत

जज्बे को सलाम

पवन कुमार का यह प्रयास देखकर अन्य लोग भी कहते हैं कि यह प्रेरणा का स्रोत है. आज अपने लोग ही पराए हो गए हैं और संक्रमित मरीज को छूना पसंद नहीं कर रहे हैं. उस वक्त वह अपनी टोटो से मरीज को उठाकर अस्पताल लाता है और फिर अस्पताल में भी उनके लिए व्यवस्था करता है, यह काबिले तारीफ है. लोगों का कहना है कि पवन सबसे पहले सरकारी अस्पताल की ओर रुख करता है. क्योंकि वह वैसे मरीजों को लाता है जो गरीब तबके के होते हैं. ऐसे में उनके जज्बे को हम लोग सलाम करते हैं.

हजारीबागः कोरोना ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. हरएक व्यक्ति घर में कैद है ताकि खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रह सके. ऐसे में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो अपनी सेवा भाव से लोगों की मदद कर रहे हैं. जिला में एक ऐसा युवक है, जो मदद के लिए गली-मोहल्ला घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहा है.

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कोरोना के संक्रमण के कारण इन दिनों अस्पताल में भीड़ लगी हुई है, सभी जगह मरीज देखे जा रहे हैं. आलम यह है कि अस्पतालों में भी जगह नहीं मिल रहा है. वहीं कई ऐसे मरीज हैं, जो घर पर अपना इलाज कर रहे हैं. लेकिन स्थिति खराब होने पर अस्पताल की ओर उन्हें रुख करना पड़ रहा है. ऐसे मरीज को एंबुलेंस समय नहीं मिल पा रहा है. जहां एक ओर एंबुलेंस चालक अपना भाड़ा बढ़ाकर उनकी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग के पवन कुमार ने बीड़ा उठाया है कि वो मरीजों को अपनी टोटो से अस्पताल तक की मुफ्त सेवा दे रहे हैं.

पवन लॉ के छात्र हैं और ऑफ टाइम में ऑटो चलाते हैं
पवन बताते हैं कि हजारीबाग में एंबुलेंस के कारण कई मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसलिए मैं अपनी टोटो से उन्हें अस्पताल पहुंचा रहा हूं. इसके लिए मैंने विभिन्न सोशल साइट्स पर अपना फोन नंबर वायरल कर दिया है. लोग मुझसे कॉन्टेक्ट करते हैं और फिर मैं उन्हें निशुल्क या सेवा देता हूं. उनका कहना है कि इस ऑटो का उपयोग अपने जीवन यापन के लिए कर रहा था. मैं विनोबा भावे विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई कर रहा हूं, पढ़ाई पूरा करने के लिए मैं ऑफ टाइम में टोटो चलाता हूं. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से कॉलेज बंद है और ऑनलाइन क्लासेस चल रहा है. मेरे पास समय है और इस समय का उपयोग मैं मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए कर रहा हूं.

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जज्बे को सलाम

पवन कुमार का यह प्रयास देखकर अन्य लोग भी कहते हैं कि यह प्रेरणा का स्रोत है. आज अपने लोग ही पराए हो गए हैं और संक्रमित मरीज को छूना पसंद नहीं कर रहे हैं. उस वक्त वह अपनी टोटो से मरीज को उठाकर अस्पताल लाता है और फिर अस्पताल में भी उनके लिए व्यवस्था करता है, यह काबिले तारीफ है. लोगों का कहना है कि पवन सबसे पहले सरकारी अस्पताल की ओर रुख करता है. क्योंकि वह वैसे मरीजों को लाता है जो गरीब तबके के होते हैं. ऐसे में उनके जज्बे को हम लोग सलाम करते हैं.

Last Updated : May 2, 2021, 8:37 PM IST
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