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25 लाख का इनामी नक्सली जेल से रिहा, 14 जुलाई 2016 को किया था आत्मसमर्पण

झारखंड और छत्तीसगढ़ का कुख्यात नक्सली बड़ा विकास उर्फ बालकेश्वर उरांव को जेल से रिहा कर दिया गया है. 14 जुलाई 2016 को तत्कालीन डीजीपी डी के पांडे के सामने उसने हथियार के साथ आत्मसमर्पण किया था. बालकेश्वर पर झारखंड पुलिस ने 25 लाख का इनाम रखा था.

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नक्सली रिहा
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Published : May 12, 2021, 3:08 AM IST

हजारीबाग: कुख्यात इनामी नक्सली बड़ा विकास उर्फ बालकेश्वर उरांव हजारीबाग ओपन जेल से मंगलवार को बेल पर बाहर निकल गया. जेल से निकलने के बाद वह अपने परिवार के साथ घर गया. 14 जुलाई 2016 को तत्कालीन डीजीपी डी के पांडे के सामने उसने हथियार के साथ आत्मसमर्पण किया था. बालकेश्वर के खिलाफ झारखंड और छत्तीसगढ़ में 78 मामले विभिन्न थाने में दर्ज हैं. 78 में से 60 मामले में वह रिहा हुआ है, बाकी 18 केस में विविध कोर्ट से उसे जमानत मिल गई है.

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बालकेश्वर को आत्मसमर्पण करने के बाद हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा के टी सेल में रखा गया था. उस पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही थी. उसके व्यवहार में परिवर्तन देखे जाने के बाद उसे उसे 2017 में ओपन जेल में शिफ्ट किया गया, जहां वह परिवार के साथ रहता था.

डीजीपी के सामने किया आत्मसमर्पण
लातेहार जिला के मनिका प्रखंड का रहने वाला बड़ा विकास बचपन से ही 1994 में नक्सली संगठन से जुड़ा था. धीरे-धीरे उसे संगठन ने केंद्रीय कमेटी मेंबर का सदस्य बना दिया. बताया जाता है कि अब तक के इतिहास में सबसे कम उम्र का केंद्रीय कमेटी के मेंबर बड़ा विकास रहा है. उसके ऊपर झारखंड पुलिस ने 25 लाख रुपये का इनाम रखा था. बाद में उसके आतंक को देखते हुए इनाम की राशि दोगुनी 50 लाख करने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन बालकेश्वर ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यधारा से जुड़ने का मन बनाया और तत्कालीन डीजीपी डी के पांडे के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने के बाद डीजीपी ने गला लगाकर उसका स्वागत किया और मुख्यधारा में आने को लेकर शुभकामनाएं दी.

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बालकेश्वर गौशाला में करता था काम

ओपन जेल में बालकेश्वर गौशाला में काम करता था. इस दौरान उसके व्यवहार में काफी परिवर्तन देखा गया. जेल में 1 साल तक उसके ऊपर विशेष रूप से हर एक गतिविधि पर नजर रखी गई थी. कारा अधीक्षक ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में भी बालकेश्वर समाज के लिए अच्छा कार्य करेगा और हमेशा मुख्यधारा में रहेगा.

हजारीबाग: कुख्यात इनामी नक्सली बड़ा विकास उर्फ बालकेश्वर उरांव हजारीबाग ओपन जेल से मंगलवार को बेल पर बाहर निकल गया. जेल से निकलने के बाद वह अपने परिवार के साथ घर गया. 14 जुलाई 2016 को तत्कालीन डीजीपी डी के पांडे के सामने उसने हथियार के साथ आत्मसमर्पण किया था. बालकेश्वर के खिलाफ झारखंड और छत्तीसगढ़ में 78 मामले विभिन्न थाने में दर्ज हैं. 78 में से 60 मामले में वह रिहा हुआ है, बाकी 18 केस में विविध कोर्ट से उसे जमानत मिल गई है.

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बालकेश्वर को आत्मसमर्पण करने के बाद हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा के टी सेल में रखा गया था. उस पर विशेष रूप से नजर रखी जा रही थी. उसके व्यवहार में परिवर्तन देखे जाने के बाद उसे उसे 2017 में ओपन जेल में शिफ्ट किया गया, जहां वह परिवार के साथ रहता था.

डीजीपी के सामने किया आत्मसमर्पण
लातेहार जिला के मनिका प्रखंड का रहने वाला बड़ा विकास बचपन से ही 1994 में नक्सली संगठन से जुड़ा था. धीरे-धीरे उसे संगठन ने केंद्रीय कमेटी मेंबर का सदस्य बना दिया. बताया जाता है कि अब तक के इतिहास में सबसे कम उम्र का केंद्रीय कमेटी के मेंबर बड़ा विकास रहा है. उसके ऊपर झारखंड पुलिस ने 25 लाख रुपये का इनाम रखा था. बाद में उसके आतंक को देखते हुए इनाम की राशि दोगुनी 50 लाख करने की अनुशंसा की गई थी, लेकिन बालकेश्वर ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यधारा से जुड़ने का मन बनाया और तत्कालीन डीजीपी डी के पांडे के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने के बाद डीजीपी ने गला लगाकर उसका स्वागत किया और मुख्यधारा में आने को लेकर शुभकामनाएं दी.

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बालकेश्वर गौशाला में करता था काम

ओपन जेल में बालकेश्वर गौशाला में काम करता था. इस दौरान उसके व्यवहार में काफी परिवर्तन देखा गया. जेल में 1 साल तक उसके ऊपर विशेष रूप से हर एक गतिविधि पर नजर रखी गई थी. कारा अधीक्षक ने उम्मीद जताई है कि आने वाले समय में भी बालकेश्वर समाज के लिए अच्छा कार्य करेगा और हमेशा मुख्यधारा में रहेगा.

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