हजारीबाग: आम तौर पर गांव देहातों में श्मशान घाट पर पानी और धूप से बचने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं होते हैं. इस ओर जनप्रतिनिधियों का भी ज्यादा ध्यान नहीं जाता, इससे आहत होकर एक गायत्री परिवार के सदस्य ने अपने पिता के मृत्यु के बाद उनके मृत्यु भोज में होने वाले खर्च को जनकल्याण में लगा दिया.
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चौपारण प्रखंड अंतर्गत नरचा खुर्द गांव में एक परिवार से आम लोगों के लिए एक मिसाल कायम की है. जहां गायत्री परिवार के प्रदीप गुप्ता ने अपने पिता बैजनाथ साव की मृत्यु के बाद श्राद्धकर्म में भोज नहीं करवाया. बल्कि उस भोज में लगने वाले पैसे से श्मशान घाट में बोरिंग करवाकर चापानल लगवा दिया. उनकी इस अनोखे पहल की सभी तारीफ कर रहे हैं.
चपानल लगवाने के बारे में प्रदीप गुप्ता कहते हैं कि उन्होंने मृत्यु भोज के नाम पर होने वाले फिजूलखर्च को बचाने का प्रयास किया है. उसी राशि से उन्होंने जनहित का काम कर दिया. ताकि अब श्मशान घाट में किसी को पानी की दिक्कत झेलनी ना पड़े. उन्होंने बताया कि नरचा खुर्द में श्मशान घाट और छठ तालाब दोनों एक ही मोड़ पर हैं. ये रास्ता कई गांवों को भी जोड़ता है. उधर से हर रोज सैकड़ों लोगों का आना जाना होता है. ऐसे में पानी के लिए चपानल लगा देने से राहगीरों को भी काफी फायदा होगा.
प्रदीप गुप्ता के इस फैसले की चारों तरफ चर्चा है. उनकी इस अच्छी सोच के लिए नरचा खुर्द के समाज के लोगों ने उनका समर्थन किया और कहा कि यह चापानल स्वर्गीय बैजनाथ साव के मृत्यु के उपरांत लगा इस चपानल से आम लोगों और राहगीरों को थोड़ी राहत मिलेगी.