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हजारीबाग: मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल रहा उचित मजदूरी, घर चालने में हो रही है परेशानी

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Published : Jun 15, 2020, 8:49 PM IST

झारखंड सरकार बड़ी संख्या में अकुशल मजदूरों को रोजगार दे रही है. हजारीबाग में भी हर प्रखंड में बड़ी संख्या में मजदूर काम पर लगाए गए हैं, लेकिन इनकी मजदूरी इतनी कम है कि वो इससे खुश नहीं है. जितनी मजदूरी उन्हें मिलनी चाहिए उतनी उन्हें नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें अपना परिवार चलाने में काफी परेशानी हो रही है.

हजारीबाग: मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल रहा उचित मजदूरी
MNREGA workers not getting fair wages in Hazaribag

हजारीबाग: सरकार अकुशल मजदूरों को रोजगार देने के लिए भरसक प्रयास कर रही है और बड़ी संख्या में मजदूर को रोजगार भी मिल रहा है, लेकिन मजदूर अपने मजदूरी से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि उनकी मजदूरी बढ़ाई जाए.

देखें स्पेशल खबर

पगार में 23 रुपये की बढ़ोतरी

झारखंड सरकार बड़ी संख्या में अकुशल मजदूरों को रोजगार दे रही है. हजारीबाग में भी हर एक प्रखंड में बड़ी संख्या में मजदूर लगाए गए हैं, लेकिन इनकी मजदूरी महज 194 रुपये हैं. ऐसे में मजदूर अपने मजदूरी से खुश नहीं है. उनका कहना है कि इतने पैसे में वो अपना घर भी नहीं चला पा रहे हैं, साथ ही झारखंड का मिट्टी बहुत अधिक बंजर है, इस कारण मेहनत भी काफी लग रही है और उसके अनुसार पैसा भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी मजदूरी बढ़ाई जाए. कुछ दिन पहले तक मनरेगा मजदूरों की पगार 171 रुपये प्रतिदिन थी और, जिसमें 23 रुपये की बढ़ोतरी की गई और अब 194 रुपये मिलते हैं.

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सरकार से पगार बढ़ाने की मांग

ऐसे तो झारखंड में न्यूनतम मजदूरी 242 रुपये प्रतिदिन है, लेकिन मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रहा है. निजी कार्यों में लगे मजदूरों को 250 से 300 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है. ऐसे में सरकार की ओर से चलाई जा रही मनरेगा कार्य में महज 194 मिलता है. यही कारण है कि मजदूर मनरेगा में काम करने के बजाए किसी निजी घरों या फिर ठेकेदार के यहां काम करना बेहतर समझते हैं. ऐसे में मजदूर खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं और अब उन्होंने सरकार से पगार बढ़ाने की मांग की है.

देशभर के मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का आंकड़ा

आंध्र प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन 237 रुपये, अरुणाचल प्रदेश में 205 रुपये, असम में 213 रुपये, बिहार में 194 रुपये, छत्तीसगढ़ में 190 रुपये, गोवा में 280 रुपये, गुजरात में 224 रुपये, हरियाणा में 309 रुपये, जम्मू-कश्मीर में 204 रुपये, लद्दाख में 204 रुपये, झारखंड में 194 रुपये, कर्नाटक में 275 रुपये, केरल में 275 रुपये, महाराष्ट्र में 238 रुपये, मणिपुर में 238 रुपये, तमिलनाडु में 256 रुपये, तेलंगाना में 237 रुपये, अंडमान निकोबार में 267 रुपये और पांडिचेरी में 256 रुपये मिलते हैं.

ये भी पढ़ें-सुशांत को अमिताभ ने दी श्रद्धांजलि, फेसबुक पोस्ट में बयां किया दुख

मजदूरों का अकाउंट एक्टिव मोर्ड में रखने का निर्देश

सरकार के निर्धारित मनरेगा योजना को धरातल पर उतारने के लिए जिला प्रशासन पूरी ताकत के साथ कार्य कर रही है. कोशिश किया जा रहा है कि हर एक व्यक्ति जो बेरोजगार है और काम करना चाहता है, उसे रोजगार मुहैया कराया जाए. इस बाबत हजारीबाग के सभी प्रखंड में कार्य हो रहे हैं, जिसमें यह विशेष रुप से ध्यान रखा जा रहा है कि जो भी व्यक्ति काम कर रहे हैं, उन्हें उनका मेहनताना उनके अकाउंट में जाए. इस बाबत बैंक को भी आदेश दिया गया है कि वह मजदूरों का अकाउंट खोलें और उसे एक्टिव मोर्ड में रखा जाए, ताकि पैसा उनके अकाउंट में सीधे पहुंच सके.

मजदूरों का भरण-पोषण हो रहा मुश्किल

राज्य सरकार भी मनरेगा के कार्य दिवस और मजदूरी को बढ़ाने की मांग करती रही है. हालांकि बीते दिनों केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव एनएन सिन्हा ने साफ तौर पर कह दिया कि फिलहाल न तो मानदेय बढ़ाया जा सकता है और ना ही सौ दिनों से ज्यादा कार्य दिवस होगा. उन्होंने कहा कि मनरेगा में मुख्य रोजगार के तहत कार्य नहीं मिल सकता है. अगर आपके पास कोई काम नहीं है तो थोड़े समय के लिए ही इसमें रोजगार मिल सकता है. हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के मनरेगा मजदूरों को राज्य सरकार कि निर्धारित न्यूनतम मजदूरी 242 रुपये भी नहीं मिल रहे हैं. जरूरत है झारखंड के मनरेगा मजदूरों की मजदूरी को 194 से बढ़ाकर 242 की जाए, ताकि ये मजदूर अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके.

हजारीबाग: सरकार अकुशल मजदूरों को रोजगार देने के लिए भरसक प्रयास कर रही है और बड़ी संख्या में मजदूर को रोजगार भी मिल रहा है, लेकिन मजदूर अपने मजदूरी से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि उनकी मजदूरी बढ़ाई जाए.

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पगार में 23 रुपये की बढ़ोतरी

झारखंड सरकार बड़ी संख्या में अकुशल मजदूरों को रोजगार दे रही है. हजारीबाग में भी हर एक प्रखंड में बड़ी संख्या में मजदूर लगाए गए हैं, लेकिन इनकी मजदूरी महज 194 रुपये हैं. ऐसे में मजदूर अपने मजदूरी से खुश नहीं है. उनका कहना है कि इतने पैसे में वो अपना घर भी नहीं चला पा रहे हैं, साथ ही झारखंड का मिट्टी बहुत अधिक बंजर है, इस कारण मेहनत भी काफी लग रही है और उसके अनुसार पैसा भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में मजदूरों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी मजदूरी बढ़ाई जाए. कुछ दिन पहले तक मनरेगा मजदूरों की पगार 171 रुपये प्रतिदिन थी और, जिसमें 23 रुपये की बढ़ोतरी की गई और अब 194 रुपये मिलते हैं.

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सरकार से पगार बढ़ाने की मांग

ऐसे तो झारखंड में न्यूनतम मजदूरी 242 रुपये प्रतिदिन है, लेकिन मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रहा है. निजी कार्यों में लगे मजदूरों को 250 से 300 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है. ऐसे में सरकार की ओर से चलाई जा रही मनरेगा कार्य में महज 194 मिलता है. यही कारण है कि मजदूर मनरेगा में काम करने के बजाए किसी निजी घरों या फिर ठेकेदार के यहां काम करना बेहतर समझते हैं. ऐसे में मजदूर खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं और अब उन्होंने सरकार से पगार बढ़ाने की मांग की है.

देशभर के मनरेगा मजदूरों की मजदूरी का आंकड़ा

आंध्र प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन 237 रुपये, अरुणाचल प्रदेश में 205 रुपये, असम में 213 रुपये, बिहार में 194 रुपये, छत्तीसगढ़ में 190 रुपये, गोवा में 280 रुपये, गुजरात में 224 रुपये, हरियाणा में 309 रुपये, जम्मू-कश्मीर में 204 रुपये, लद्दाख में 204 रुपये, झारखंड में 194 रुपये, कर्नाटक में 275 रुपये, केरल में 275 रुपये, महाराष्ट्र में 238 रुपये, मणिपुर में 238 रुपये, तमिलनाडु में 256 रुपये, तेलंगाना में 237 रुपये, अंडमान निकोबार में 267 रुपये और पांडिचेरी में 256 रुपये मिलते हैं.

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मजदूरों का अकाउंट एक्टिव मोर्ड में रखने का निर्देश

सरकार के निर्धारित मनरेगा योजना को धरातल पर उतारने के लिए जिला प्रशासन पूरी ताकत के साथ कार्य कर रही है. कोशिश किया जा रहा है कि हर एक व्यक्ति जो बेरोजगार है और काम करना चाहता है, उसे रोजगार मुहैया कराया जाए. इस बाबत हजारीबाग के सभी प्रखंड में कार्य हो रहे हैं, जिसमें यह विशेष रुप से ध्यान रखा जा रहा है कि जो भी व्यक्ति काम कर रहे हैं, उन्हें उनका मेहनताना उनके अकाउंट में जाए. इस बाबत बैंक को भी आदेश दिया गया है कि वह मजदूरों का अकाउंट खोलें और उसे एक्टिव मोर्ड में रखा जाए, ताकि पैसा उनके अकाउंट में सीधे पहुंच सके.

मजदूरों का भरण-पोषण हो रहा मुश्किल

राज्य सरकार भी मनरेगा के कार्य दिवस और मजदूरी को बढ़ाने की मांग करती रही है. हालांकि बीते दिनों केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव एनएन सिन्हा ने साफ तौर पर कह दिया कि फिलहाल न तो मानदेय बढ़ाया जा सकता है और ना ही सौ दिनों से ज्यादा कार्य दिवस होगा. उन्होंने कहा कि मनरेगा में मुख्य रोजगार के तहत कार्य नहीं मिल सकता है. अगर आपके पास कोई काम नहीं है तो थोड़े समय के लिए ही इसमें रोजगार मिल सकता है. हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के मनरेगा मजदूरों को राज्य सरकार कि निर्धारित न्यूनतम मजदूरी 242 रुपये भी नहीं मिल रहे हैं. जरूरत है झारखंड के मनरेगा मजदूरों की मजदूरी को 194 से बढ़ाकर 242 की जाए, ताकि ये मजदूर अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके.

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