हजारीबाग: सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है ताकि छात्रों को पढ़ाई में मदद मिल सके, लेकिन हजारीबाग के खिरगांव में पैसा खर्चा करने के बाद भी छात्रों को सुविधा देने के लिए बन रहा अल्पसंख्यक छात्रावास 10 सालों में भी पूरा नहीं हो सका है. आलम यह है कि अर्द्धनिर्मित भवन अपराधियों की शरण स्थली बनती जा रही है. इसे लेकर स्थानीय लोगों में सरकार के रवैये के प्रति खासी नाराजगी है.
बिना योजना के बनाया जा रहा था भवन
आम लोगों के आक्रोश का कारण सिर्फ इतना ही नहीं है कि उनकी गाढ़ी कमाई की इस तरह बर्बादी हो रही है. आम लोगों की नाराजगी का कारण यह भी है कि भवन ऐसी जगह बनाया जा रहा था जो कभी किसी के काम भी नहीं आता. दरअसल, यह छात्रावास ऐसी जगह है जहां छात्र रहने के लिए आ ही नहीं सकते हैं क्योंकि इसके आस-पास कोई स्कूल-कॉलेज, शिक्षण संस्थान है ही नहीं. भवन बिना किसी योजना के ही बनाया जा रहा था और बिना योजना का बना यह भवन 10 सालों बाद भी आखिर अधूरा ही रह गया.
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यहां से हुई थी लाश की बरामदगी
10 साल से अधूरा पड़ा यह भवन खंडहर में तब्दील तो हो ही रहा है साथ ही अपराधियों की शरण स्थली भी बन गया है. स्थानीय लोगों को कहना है कि अपराधी किस्म के लोग इस भवन का इस्तेमाल अड्डेबाजी के लिए करते हैं, वहीं 2 साल पहले ही इस भवन से लाश भी बरामद किया जा चुका है. इसके साथ ही इस भवन को अब नगर निगम कूड़ा डंप करने के लिए भी उपयोग में ला रहा है. लोग कह रहे हैं कि भवन इसी तरह प्रशासन की देख-रेख के अभाव में रहा तो आने वाले समय में इसपर कोई दबंग व्यक्ति कब्जा कर लेगा और उसके बाद सरकार सिर्फ और सिर्फ सफाई देती रहेगी.
एक नहीं सैंकड़ों भवन हैं ऐसे
हजारीबाग के आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज गुप्ता ने ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल से सूचना के अधिकार के तहत यह मांग की थी कि पिछले 10 सालों में क्या-क्या कार्य किये गये हैं और अर्द्धनिर्मित भवनों की संख्या कितनी है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे भवनों की संख्या लगभग 200 के आसपास है. इन भवनों के लिए पैसे पास भी हुए, कुछ दिनों तक काम भी हुआ लेकिन फिर भवन के लिए आवंटित करोड़ों रुपए की निकासी कर ठेकेदार फरार हो गया.
जनसंवाद केंद्र में भी उठ चुका है मामला
अर्द्धनिर्मित भवनों का मुद्दा मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में भी उठाया जा चुका है. जनसंवाद केंद्र में मामला उठने के बाद कुछ दिनों तक प्रशासन ने काम भी किया. लेकिन फिर वही हाल हुआ और काम अधूरा ही रह गया. 6 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
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छात्रावास का काम अब भी हो सकता है पूरा
अर्द्धनिर्मित भवन और इस छात्रावास के मुद्दे पर विभाग के पदाधिकारी से ईटीवी भारत की टीम ने जब बात की तो उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्टर ने आधा अधूरा काम किया है और पूरे पैसे की निकासी कर ली है. अब 10 वर्षों के बाद प्राक्कलन राशि भी बढ़ गई है. इसकी जानकारी विभाग को पत्राचार के माध्यम से दिया जा चुका है. उनका कहना है कि विभाग ने कार्रवाई की है और भवन की जांच की गई है. भवन जांच करने के उपरांत यह पाया गया है कि भवन अभी ठीक है और इस काम को पूरा किया जा सकता है.
भवन कब बनेगा जवाब किसी के पास नहीं
सूचना के अधिकार के तहत विभाग ने जानकारी दी है कि निर्माण कार्य अधूरा है तो वहीं विभाग का मानना है कि छात्रावास बन जाने के बाद यह भवन छात्रों के लिए काफी हितकर रहता. लेकिन भवन बनकर कब तैयार होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है.