हजारीबाग: कार्तिक मास हिंदू समाज के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी महीने आस्था का महापर्व छठ बहुत ही शुद्धता के साथ किया जाता है. जहां हिंदू समाज का हर एक तबका आगे बढ़कर पर्व में हिस्सा लेता है और कोशिश करता है कि वह कुछ ऐसा करें जिससे छठ करने वाले को आराम मिले. इसके लिए सड़क की सफाई होती है और तालाबों को भी सफाई किया जाता है.
हजारीबाग के तालाबों की दुर्दशा यह है कि नगर निगम के जनप्रतिनिधि आपस में लड़ रहे हैं, उन्हें यह नहीं पता कि हजारीबाग में छठ व्रती अर्घ कैसे देंगे, दरअसल हजारीबाग के चार प्रमुख जल स्रोत हैं जहां अर्घ पड़ता है. पहला झील, दूसरा छठ तालाब, तीसरा मीठा तालाब और चौथा खजांची तालाब. इन चारों तालाब की स्थिति बहुत ही खराब है. झील में जलकुंभी इस तरह फैला हुआ है कि वहां अर्घ देने के लिए महिलाएं उतर नहीं सकती. छठ तालाब में पानी ही नहीं है और गंदगी का अंबार है. मीठा तालाब जहां पर गंदगी है. खजांची तालाब की भी स्थिति खराब है, ऐसे में छठवर्ती अर्घ देने कहां जाएंगे यह एक बड़ा सवाल है. ये भी देखें- विकास का झूठा ढिंढोरा पीट रही रघुवर सरकार, प्रदेश में भय, भूख और भष्ट्राचार पैर पसारे हुए है: बाबूलाल मरांडी
हजारीबाग के नगर आयुक्त ने कहा कि झील मत्स्य विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन तालाब को साफ करने की कोशिश की जाएगी. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन के रवैये को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें तालाबों की साप-सफाई खुद ही करनी पड़ेगी.