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हजारीबाग: छठ तालाबों में गंदगी का अंबार, नगर निगम ने दिया आश्वासन - हजारीबाग नगर निगम का आश्वासन

आस्था का महापर्व छठ हजारीबाग में कैसे होगा यह एक विकट सवाल बनकर उभर रहा है, दरअसल छठ में अर्घ देने के लिए हिंदू समाज के लोग विभिन्न तालाब और नदी की ओर रुख करते हैं, लेकिन हजारीबाग में जिस तालाब में अर्घ पड़ता है उसकी हालत बेहद खराब है. नगर निगम और स्थानीय जिला प्रशासन को इसकी कोई फिक्र नहीं है.

छठ तालाबों में गंदगी का अंबार
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Published : Oct 17, 2019, 4:49 PM IST

हजारीबाग: कार्तिक मास हिंदू समाज के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी महीने आस्था का महापर्व छठ बहुत ही शुद्धता के साथ किया जाता है. जहां हिंदू समाज का हर एक तबका आगे बढ़कर पर्व में हिस्सा लेता है और कोशिश करता है कि वह कुछ ऐसा करें जिससे छठ करने वाले को आराम मिले. इसके लिए सड़क की सफाई होती है और तालाबों को भी सफाई किया जाता है.

देखें पूरी खबर

हजारीबाग के तालाबों की दुर्दशा यह है कि नगर निगम के जनप्रतिनिधि आपस में लड़ रहे हैं, उन्हें यह नहीं पता कि हजारीबाग में छठ व्रती अर्घ कैसे देंगे, दरअसल हजारीबाग के चार प्रमुख जल स्रोत हैं जहां अर्घ पड़ता है. पहला झील, दूसरा छठ तालाब, तीसरा मीठा तालाब और चौथा खजांची तालाब. इन चारों तालाब की स्थिति बहुत ही खराब है. झील में जलकुंभी इस तरह फैला हुआ है कि वहां अर्घ देने के लिए महिलाएं उतर नहीं सकती. छठ तालाब में पानी ही नहीं है और गंदगी का अंबार है. मीठा तालाब जहां पर गंदगी है. खजांची तालाब की भी स्थिति खराब है, ऐसे में छठवर्ती अर्घ देने कहां जाएंगे यह एक बड़ा सवाल है. ये भी देखें- विकास का झूठा ढिंढोरा पीट रही रघुवर सरकार, प्रदेश में भय, भूख और भष्ट्राचार पैर पसारे हुए है: बाबूलाल मरांडी

हजारीबाग के नगर आयुक्त ने कहा कि झील मत्स्य विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन तालाब को साफ करने की कोशिश की जाएगी. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन के रवैये को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें तालाबों की साप-सफाई खुद ही करनी पड़ेगी.

हजारीबाग: कार्तिक मास हिंदू समाज के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी महीने आस्था का महापर्व छठ बहुत ही शुद्धता के साथ किया जाता है. जहां हिंदू समाज का हर एक तबका आगे बढ़कर पर्व में हिस्सा लेता है और कोशिश करता है कि वह कुछ ऐसा करें जिससे छठ करने वाले को आराम मिले. इसके लिए सड़क की सफाई होती है और तालाबों को भी सफाई किया जाता है.

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हजारीबाग के तालाबों की दुर्दशा यह है कि नगर निगम के जनप्रतिनिधि आपस में लड़ रहे हैं, उन्हें यह नहीं पता कि हजारीबाग में छठ व्रती अर्घ कैसे देंगे, दरअसल हजारीबाग के चार प्रमुख जल स्रोत हैं जहां अर्घ पड़ता है. पहला झील, दूसरा छठ तालाब, तीसरा मीठा तालाब और चौथा खजांची तालाब. इन चारों तालाब की स्थिति बहुत ही खराब है. झील में जलकुंभी इस तरह फैला हुआ है कि वहां अर्घ देने के लिए महिलाएं उतर नहीं सकती. छठ तालाब में पानी ही नहीं है और गंदगी का अंबार है. मीठा तालाब जहां पर गंदगी है. खजांची तालाब की भी स्थिति खराब है, ऐसे में छठवर्ती अर्घ देने कहां जाएंगे यह एक बड़ा सवाल है. ये भी देखें- विकास का झूठा ढिंढोरा पीट रही रघुवर सरकार, प्रदेश में भय, भूख और भष्ट्राचार पैर पसारे हुए है: बाबूलाल मरांडी

हजारीबाग के नगर आयुक्त ने कहा कि झील मत्स्य विभाग के अंतर्गत आता है, इसलिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन तालाब को साफ करने की कोशिश की जाएगी. हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन के रवैये को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें तालाबों की साप-सफाई खुद ही करनी पड़ेगी.

Intro:आस्था का महापर्व छठ हजारीबाग में कैसे होगा यह एक विकट सवाल बनकर उभर रहा है। दरअसल महापर्व छठ में अर्घ देने के लिए हिंदू समाज के लोग विभिन्न तालाब या नदी की ओर रुख करते हैं। लेकिन हजारीबाग में जिस जिस तालाब में अर्घ पड़ता है उसका हाल बेहाल है ।ना नगर निगम या फिर स्थानीय जिला प्रशासन को इसके लिए फिक्र है ।आलम यह है कि आम जनता को यह बात सता रही है कि वह कैसे अर्घ दे।


Body:कार्तिक मास हिंदू समाज के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है ।इसी माह में आस्था का महापर्व छठ बहुत ही शुद्धता के साथ किया जाता है। जहां हिंदू समाज के हर एक तबका आगे बढ़कर पर्व में हिस्सा लेता है और कोशिश करता है कि वह कुछ ऐसा करें जिससे छठ करने वाले को आराम मिले। इसके लिए सड़क की सफाई होती है तो तालाबों का भी सफाई किया जाता है।

लेकिन यह हजारीबाग की दुर्दशा है कि यहां नगर निगम के जनप्रतिनिधि आपस में लड़ रहे हैं ।लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि हजारीबाग में छठ व्रती अर्ध कैसे देगी ।दरअसल हजारीबाग के चार प्रमुख जल स्रोत है जहां आर्घ पड़ता है ।पहला झील दूसरा छठ तालाब तीसरा मीठा तालाब और चौथा खजांची तालाब। इन चारों तालाब की स्थिति बदतर है ।झील में जलकुंभी इस तरह फैला हुआ है कि वहां अर्घ देने के लिए महिलाएं झील पर उतर नहीं सकती । तो दूसरी ओर छठ तालाब में पानी ही नहीं है और गंदगी का अंबार है। तीसरा मीठा तालाब जहां पर गंदगी है और कोई सुध लेने वाला नहीं है । चौथा खजांची तलाब इसकी भी स्थिति खराब है। ऐसे में छठवर्ती अर्घ देने कहां जाएंगे यह एक बड़ा सवाल है।

ऐसे में हजारीबाग के नगर आयुक्त से जब पूछा गया तो उन्होंने अपनी बेबसी बताई और कहा कि झील मत्स्य विभाग के अंतर्गत आता है इसलिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं। लेकिन कोशिश किया जाएगा सफाई की जाए ।अन्य जो 3 तालाब है उसके बारे में उन्होंने कहा कि अब दीपावली के बाद सफाई किया जाएगा। क्या 4 दिन की समय में सफाई हो सकती है या एक बड़ा सवाल है। ऐसे में हजारीबाग वासियों का कहना हैं कि अब अपना व्यवस्था खुद ही करना होगा। क्योंकि प्रशासन और नगर निगम को सोचने के लिए वक्त ही नहीं है।

byte... कमलेश्वर प्रसाद सिंह, नगर आयुक्त हजारीबाग


Conclusion:अब देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन और नगर निगम का नींद कब खुलती है और कब हजारीबाग के विभिन्न जल स्रोतों का सफाई होती है।
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