हजारीबाग: जिले में छात्रों को पोशाक उपलब्ध कराने में भारी अनियमितता सामने आयी है. करीब 12 करोड़ रुपये की पोषाक आपूर्ति में खेल खेल दिया गया. जिसके चलते जिले के 1.72 लाख छात्र-छात्राओं को बेहद खराब गुणवत्ता वाली पोशाक उपलब्ध कराई गई. इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है. रांची से प्राथमिक शिक्षा निदेशक नेहा अरोड़ा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने हजारीबाग डीएससी कार्यालय में अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं से पूछताछ की है.
जांच के दौरान प्राथमिक शिक्षा निदेशक नेहा अरोड़ा ने बताया कि पोशाक में गड़बड़ी के आरोपों का निरीक्षण करने के लिए वे हजारीबाग पहुंची हैं. जांच पूरी होने के बाद ही कुछ विशेष टिप्पणी की जा सकेगी. जो भी जांच आएगी, उससे सरकार को अवगत करा दिया जाएगा.
हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय ने बताया कि इस पूरे मामले को लेकर रांची से जांच टीम हजारीबाग पहुंच चुकी है. जिला स्तर पर भी एक जांच कमेटी का गठन किया गया है. जिन जिलों और ब्लॉकों में गुणवत्ता और आकार को लेकर सवाल उठे हैं, उनकी रिपोर्ट बनाई जाएगी, उसे राज्य सरकार को भेजा जायेगा.
उपायुक्त ने यह भी कहा कि स्वयं सहायता समूह, डीबीटी एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के माध्यम से पोशाक उपलब्ध करायी जानी है. पिछले वर्ष भी एसएचजी को कपड़ा उपलब्ध कराने के लिए राशि दी गयी थी. उनके अच्छे काम को देखते हुए इस बार भी हजारीबाग और लोहरदगा के स्वयं सहायता समूहों को काम दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पत्राचार के आलोक में यह कार्य किया गया है. लेकिन गुणवत्ता और साइज को लेकर हुई अनियमितता की जांच की जा रही है.
स्कूल पोशाक घोटाले को लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि इस विषय पर बोलने से राज्य सरकार को कोई फायदा नहीं होगा. अब इसकी शिकायत भारत सरकार से की जाएगी ताकि पूरे मामले की जांच हो सके और जिसने भी गलत काम किया है उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
बता दें कि प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए 600 रुपये निर्धारित किये गये थे. जिसमें 350 रुपये की दो जोड़ी ड्रेस, 150 रुपये का फुल स्वेटर और 100 रुपये के जूते दिए जाने हैं. जबकि उच्च प्राथमिक कक्षा के विद्यार्थियों के लिए 760 रुपये निर्धारित किये गये हैं. जिसमें 400 रुपये की दो जोड़ी ड्रेस, 200 रुपये का फुल स्वेटर और 160 रुपये का जूता मोजा उपलब्ध कराया जाना है.
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