हजारीबाग: जिला अब अपना विशेष स्थान शिक्षा के क्षेत्र में बना रहा है. मार्खम कॉलेज के प्राचार्य, प्रोफेसर डॉ विमल ने हजारीबाग के नाम को और भी रोशन किया है. डॉ विमल झारखंड-बिहार के पहले ऐसे गणितज्ञ हैं, जिन्हें लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स का फेलो चुना गया है.
डॉ मिश्रा को यह फेलो गणित के अनुप्रयोग के क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान के कारण प्राप्त हुआ. जिन्होंने गणित के क्षेत्र में कई अनुसंधान और रिसर्च किए हैं. उनके रिसर्च को अब पूरे विश्व ने स्वीकार किया है कि वे सर्वश्रेष्ठ हैं. इसी कारण उन्हें यह अवार्ड से नवाजा गया है. प्रोफेसर एक वैज्ञानिक भी हैं, इन्होंने अभी तक साइबर क्राइम और संक्रामक बीमारी के गणितीय मॉडल में 130 से अधिक विश्व प्रसिद्ध अनुसंधान पत्रिकाओं में अपना पत्र प्रकाशित कराया है.
250 विद्यार्थी इनके अंडर पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं. 50 वर्षीय हजारीबाग निवासी डॉ मिश्र देश के प्रतिष्ठित संस्थान बिट्स पिलानी और बीआईटी मेसरा में गणित के शिक्षक के रूप में भी अपना योगदान दे चुके हैं. 37 वर्ष की कम आयु में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी उपाधि डॉक्टर ऑफ साइंस प्राप्त किया. वो हजारीबाग के मटवारी स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व गणितज्ञ प्रोफेसर डॉ बीएन मिश्रा के पुत्र हैं.
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उन्होंने दसवीं की परीक्षा जिला स्कूल से पास कर, गणित विषय में स्नातक संत कोलंबस कॉलेज से किया. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में सक्रिय अनुसंधान में स्नाकोत्तर की उपाधि प्राप्त की. विनोबा भावे विश्वविद्यालय में गणित में पीएचडी प्राप्त करने वाले प्रथम शोधकर्ता हुए.
साइबर क्राइम की रोकथाम से संबंधित इनका एक शोध पत्र विश्व प्रतिष्ठित अनुसंधान पत्रिका नेचर पब्लिसिंग ग्रुप के साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है. साइबर अटैक पर उन्होंने 100 से अधिक अनुसंधान पत्र प्रकाशित किए हैं. उनकी रूचि संक्रामक बीमारियों के गणितज्ञ मॉडल में है. उस क्षेत्र में इन्होंने अनुसंधान पत्र विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित किया है. यही नहीं बल्कि नाट्य कलाकार और साहित्य प्रेमी और एक कराटेकार भी हैं.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिलने के बाद पूरे कॉलेज परिवार में खुशी की लहर है, हर कोई इनके शिक्षा के क्षेत्र में योगदान को सलाम कर रहा है. इनके कलीग प्रोफेसेस का भी कहना है कि डॉ विमल प्रखर विद्वान और एक सरल इंसान हैं, इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो काम किया है वह अविस्मरणीय है. साथ ही साथ आने वाले पीढ़ी के लिए प्रेरणा के स्रोत भी है.
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कहा जाए तो प्रोफेसर ने जो योगदान दिया है उसे आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी. साथ ही साथ यह सीख लेने का विषय है कि अगर निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में अगर कार्य किया जाए तो सम्मान भी अवश्य मिलता है.