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PROUD ON SHUBHAM: हजारीबाग में इंजीनियरिंग छोड़ शुरू किया नर्सरी का कारोबार, अब तक कई लोगों को दे चुके हैं रोजगार

हजारीबाग के शुभम ने 8 सालों तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई(engineering studies) और नौकरी करने के बाद नर्सरी का व्यवसाय(nursery business) शुरू किया. महज 2 लाख से शुरू हुआ व्यवसाय आज करोड़ों के टर्नओवर में तब्दील हो चुका है.

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Published : Jul 3, 2021, 11:00 PM IST

Updated : Jul 4, 2021, 6:13 AM IST

Hazaribag engineer started nursery business after quitting job
PROUD ON SHUBHAM: हजारीबाग के इस इंजीनियरिंग ने नौकरी छोड़ शुरू किया नर्सरी का कारोबार, अब तक कई लोगों को दे चुका है रोजगार

हजारीबाग: ऐसे तो कई इंजीनियर आपकी नजर में होंगे, जो पढ़ाई करने के बाद अपने ही क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं. लेकिन वैसे इंजीनियर जो दूसरों को रोजगार देकर नया स्टार्टअप शुरू करे, उसकी बानगी है हजारीबाग के शुभम. इंजीनियर होने के बावजूद शुभम ने 8 सालों तक पढ़ाई और नौकरी के बाद नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया और आज ये नर्सरी 3 से 4 एकड़ में फैली हुई है, जिससे कई लोगों को रोजगार भी मिला है.

देखें स्पेशल स्टोरी



इसे भी पढ़ें- बीएयू के कुलपति ने गेहूं के शोध प्रक्षेत्रों का किया निरीक्षण, वैज्ञानिकों को दिए कई दिशा निर्देश

भारत सरकार की कोशिश को रफ्तार

स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की प्रमुख पहल है. इसका उद्देश्य देश में नए विचारों के लिए मजबूत तंत्र का निर्माण करना है. देश का आर्थिक विकास हो और बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर उत्पन्न हो. हजारीबाग के कुम्हार टोली के रहने वाले शुभम ने भारत सरकार की कोशिश को रफ्तार देने की कोशिश की है, जिसने 3 साल पहले हजारीबाग पटना रोड झारखंड पुलिस अकादमी(Jharkhand Police Academy) के पास नर्सरी का व्यापार शुरू किया. शुरुआती दौर में अपने कमाए हुए 2 लाख रुपए इन्वेस्ट किए और धीरे-धीरे नर्सरी रफ्तार पकड़ने लगी. आज इस नर्सरी का टर्नओवर 10 करोड़ रुपए के आसपास है. हजार से ज्यादा पौधे हैं, जो बेहद ही मांग वाले हैं. तरह-तरह के आम, फूल, इंडोर प्लांट के अलावा विदेश के पौधे भी इनके पास हैं.

Hazaribag engineer started nursery business after quitting job
3 से 4 एकड़ में फैली है नर्सरी

मेहनत और खर्च करने की जरूरत

शुभम बताते हैं कि विदेश से लाए पौधों की मांग हजारीबाग में ज्यादा है. इसके लिए थोड़ी मेहनत और खर्च करने की जरूरत होती है, लेकिन पेड़-पौधे लगाने वाले शौकीन अब बढ़ने लगे हैं. वो पैसा खर्च करने को भी तैयार हैं. ऐसे में हम लोगों ने मांग को देखते हुए पौधे भी रखे हैं. इसके अलावा हस्त निर्मित गमले भी अपनी नर्सरी में रखते हैं. उनका कहना है कि हस्त निर्मित का मांग पहले से बढ़ी है.

पढ़ाई से सीखा बहुत कुछ

शुभम का ये मानना है कि कोई भी व्यवसाय क्यों ना करना हो, पढ़ाई बेहद जरूरी होती है. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उन्हें कई चीजों की जानकारी मिली. आज उनका उपयोग वे व्यवसाय में कर रहे हूैं. कंप्यूटर इंजीनियर(computer engineer) होने के कारण वे अपनी सारी जानकारी अपने व्यवसाय में लगा रहे हैं. आज ऑनलाइन नर्सरी(online nursery) के मामले में भी उनके व्यवसाय का नाम राज्य ही नहीं, बल्कि देश के कोने कोने में है.

इसे भी पढ़ें- आंगनबाड़ी का बदल रहा कायाकल्प, प्री-नर्सरी स्कूल की तर्ज पर बच्चे पढ़ेंगे सिलेबस

नर्सरी से उत्पन्न हुए रोजगार के अवसर

शुभम ने अपने व्यवसाय के जरिए लगभग 30 लोगों को रोजगार(employment) भी दिया है. वे बताते हैं कि संक्रमण के दौरान निजी क्षेत्र में काम करने वाले कितने लोग बेरोजगार हो गए थे. उनके व्यवसाय पर किसी भी तरह का असर नहीं हुआ. बल्कि ये व्यवसाय उसी दौरान बढा. लोग घरों में बंद थे और अपने घरों में वो पेड़ पौधे लगाने में भी व्यस्त थे. ऐसे में नर्सरी का व्यवसाय बढ़ा और हम लोगों ने रोजगार भी दिया.

Hazaribag engineer started nursery business after quitting job
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ शुभम ने की शानदार पहल



4 एकड़ तक फैली है नर्सरी
झारखंड में शायद ही ऐसा कोई नर्सरी मिले, जो 3 से 4 एकड़ में फैली हो. ऐसे में शुभम अपने व्यवसाय को और भी अधिक गति देना चाहते हैं, ताकि पैसे के साथ-साथ नाम शोहरत भी कमाया जा सके. जरूरत है शुभम से अन्य युवाओं को भी सीख लेने की, ताकि वे भी अपना केरियर अन्य क्षेत्रों में बना सके.

हजारीबाग: ऐसे तो कई इंजीनियर आपकी नजर में होंगे, जो पढ़ाई करने के बाद अपने ही क्षेत्र में नौकरी कर रहे हैं. लेकिन वैसे इंजीनियर जो दूसरों को रोजगार देकर नया स्टार्टअप शुरू करे, उसकी बानगी है हजारीबाग के शुभम. इंजीनियर होने के बावजूद शुभम ने 8 सालों तक पढ़ाई और नौकरी के बाद नर्सरी का व्यवसाय शुरू किया और आज ये नर्सरी 3 से 4 एकड़ में फैली हुई है, जिससे कई लोगों को रोजगार भी मिला है.

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भारत सरकार की कोशिश को रफ्तार

स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की प्रमुख पहल है. इसका उद्देश्य देश में नए विचारों के लिए मजबूत तंत्र का निर्माण करना है. देश का आर्थिक विकास हो और बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर उत्पन्न हो. हजारीबाग के कुम्हार टोली के रहने वाले शुभम ने भारत सरकार की कोशिश को रफ्तार देने की कोशिश की है, जिसने 3 साल पहले हजारीबाग पटना रोड झारखंड पुलिस अकादमी(Jharkhand Police Academy) के पास नर्सरी का व्यापार शुरू किया. शुरुआती दौर में अपने कमाए हुए 2 लाख रुपए इन्वेस्ट किए और धीरे-धीरे नर्सरी रफ्तार पकड़ने लगी. आज इस नर्सरी का टर्नओवर 10 करोड़ रुपए के आसपास है. हजार से ज्यादा पौधे हैं, जो बेहद ही मांग वाले हैं. तरह-तरह के आम, फूल, इंडोर प्लांट के अलावा विदेश के पौधे भी इनके पास हैं.

Hazaribag engineer started nursery business after quitting job
3 से 4 एकड़ में फैली है नर्सरी

मेहनत और खर्च करने की जरूरत

शुभम बताते हैं कि विदेश से लाए पौधों की मांग हजारीबाग में ज्यादा है. इसके लिए थोड़ी मेहनत और खर्च करने की जरूरत होती है, लेकिन पेड़-पौधे लगाने वाले शौकीन अब बढ़ने लगे हैं. वो पैसा खर्च करने को भी तैयार हैं. ऐसे में हम लोगों ने मांग को देखते हुए पौधे भी रखे हैं. इसके अलावा हस्त निर्मित गमले भी अपनी नर्सरी में रखते हैं. उनका कहना है कि हस्त निर्मित का मांग पहले से बढ़ी है.

पढ़ाई से सीखा बहुत कुछ

शुभम का ये मानना है कि कोई भी व्यवसाय क्यों ना करना हो, पढ़ाई बेहद जरूरी होती है. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. उन्हें कई चीजों की जानकारी मिली. आज उनका उपयोग वे व्यवसाय में कर रहे हूैं. कंप्यूटर इंजीनियर(computer engineer) होने के कारण वे अपनी सारी जानकारी अपने व्यवसाय में लगा रहे हैं. आज ऑनलाइन नर्सरी(online nursery) के मामले में भी उनके व्यवसाय का नाम राज्य ही नहीं, बल्कि देश के कोने कोने में है.

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नर्सरी से उत्पन्न हुए रोजगार के अवसर

शुभम ने अपने व्यवसाय के जरिए लगभग 30 लोगों को रोजगार(employment) भी दिया है. वे बताते हैं कि संक्रमण के दौरान निजी क्षेत्र में काम करने वाले कितने लोग बेरोजगार हो गए थे. उनके व्यवसाय पर किसी भी तरह का असर नहीं हुआ. बल्कि ये व्यवसाय उसी दौरान बढा. लोग घरों में बंद थे और अपने घरों में वो पेड़ पौधे लगाने में भी व्यस्त थे. ऐसे में नर्सरी का व्यवसाय बढ़ा और हम लोगों ने रोजगार भी दिया.

Hazaribag engineer started nursery business after quitting job
इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ शुभम ने की शानदार पहल



4 एकड़ तक फैली है नर्सरी
झारखंड में शायद ही ऐसा कोई नर्सरी मिले, जो 3 से 4 एकड़ में फैली हो. ऐसे में शुभम अपने व्यवसाय को और भी अधिक गति देना चाहते हैं, ताकि पैसे के साथ-साथ नाम शोहरत भी कमाया जा सके. जरूरत है शुभम से अन्य युवाओं को भी सीख लेने की, ताकि वे भी अपना केरियर अन्य क्षेत्रों में बना सके.

Last Updated : Jul 4, 2021, 6:13 AM IST
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