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पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने किया था जमीन पर अवैध कब्जा, प्रशासन ने चला दिया बुलडोजर - सदर प्रखंड के सीओ शशि भूषण

Hazaribag administration action. पूर्व मंत्री योगेंद्र साव द्वार कब्जा की गई जमीन को प्रशासन ने अतिक्रमणमुक्त करा लिया है. प्रशासन का कहना है कि जमीन सरकारी है और इस पर निर्माण कार्य करने पर रोक लगाई गई थी, इसके बावजूद जमीन पर चहारदीवारी खड़ी कर दी गई. Action against land encroachment. Former Minister Yogendra Sao.

Hazaribag Administration Action
Action Against Land Encroachment
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 22, 2023, 4:23 PM IST

हजारीबाग: झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव ने जिस जमीन पर कब्जा जमा रखा था, उस जमीन को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर अतिक्रमणमुक्त करा दिया. साथ ही अब पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी जाएगी. हजारीबाग जिला प्रशासन की टीम सुबह दल-बल के साथ जमीन पर पहुंची है और वहां बलपूर्वक अवैध रूप से कब्जा की गई जमीन को अतिक्रमणमुक्त करा दिया है. सदर प्रखंड के सीओ शशि भूषण की उपस्थिति में यह कार्रवाई की गई है.

सरकारी जमीन पर खड़ी गई थी चहारदीवारीः दरअसल, शहर के हुरहुरु स्थित खासमहाल की सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य पर रोक के बावजूद चहारदीवारी खड़ी कर दी गई थी. 11 नवंबर को खासमहाल की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद हुआ था और जांच के बाद सीओ ने तत्काल जमीन पर निर्माण कार्य करने पर रोक लगा दिया था. साथ ही जमीन से संबंधित कागजातों की जांच के लिए 22 नवंबर की तिथि सीओ के कोर्ट में निर्धारित की गई थी, लेकिन सुनवाई से पूर्व ही सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए जमीन पर चहारदीवारी खड़ी कर दी गई थी. ज्ञात हो कि जमीन पर कब्जा जमाने का आरोप पूर्व विधायक योगेंद्र साव पर था. इस संबंध में जांच करने के बाद नोटिस भेजकर पुलिस की मदद से काम को बंद करा दिया गया था.

लगभग 25 डिसमिल जमीन पर कराया गया था निर्माण कार्यः बताते चलें कि हुरहुरु स्थित जिस जमीन पर कब्जा को लेकर दावा किया जा रहा है, उसकी प्रकृति खासमहाल है. यह मौजा कैन्टोनमेंट, थाना नंबर 157, भवन पट्टा, होल्डिंग संख्या 302, प्लॉट संख्या 872, 1235, 873, 1336 और 893, 1337 है. जिसका रकबा 25 डिसमिल, 15 डिसमिल और 10 डिसमिल कुल 50 डिसमिल है. इसी 50 डिसमिल जमीन के आधे हिस्से में चहारदीवारी निर्माण का कार्य किया जा रहा था. जिसे जांच के बंद 11 नवंबर को बंद करा दिया गया था.

पूर्व में प्रशासन ने योगेंद्र साव और लीजधारक को भेजा था नोटिसः कुल 50 डिसमिल जमीन को लेकर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ-साथ लीजधारक अहसान अंसारी को नोटिस भेजा गया था. नोटिस में जमीन को खासमहाल की जमीन बताते हुए उसे सरकारी बताया गया था. प्रशासन का कहना था कि लीजधारी की मौत हो गई और इससे पूर्व 2008 में लीज की अवधि भी खत्म हो गई थी. ऐसे में यह जमीन सरकार की है. जानकारी के अनुसार इस जमीन को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने पावर ऑफ अटार्नी के माध्यम से ली थी. मामले में जब विवाद में आया तो अपर समाहर्ता ने सदर सीओ को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट तलब की थी. सीओ को दिए गए जांच पत्र में अपर समाहर्ता ने कहा है कि यह भूमि खासमहाल लीज की भूमि है. जो लीजधारी मो अहसान, पिता मो सामुएल के नाम से दिनांक 31 मार्च 2008 तक था. जांच में यह भी प्रतिवेदित किया गया है कि वर्तमान समय में लीज भूमि पर लीजधारी या उनके वंशज निवास नहीं करते हैं.

हजारीबाग: झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव ने जिस जमीन पर कब्जा जमा रखा था, उस जमीन को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर अतिक्रमणमुक्त करा दिया. साथ ही अब पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी जाएगी. हजारीबाग जिला प्रशासन की टीम सुबह दल-बल के साथ जमीन पर पहुंची है और वहां बलपूर्वक अवैध रूप से कब्जा की गई जमीन को अतिक्रमणमुक्त करा दिया है. सदर प्रखंड के सीओ शशि भूषण की उपस्थिति में यह कार्रवाई की गई है.

सरकारी जमीन पर खड़ी गई थी चहारदीवारीः दरअसल, शहर के हुरहुरु स्थित खासमहाल की सरकारी जमीन पर निर्माण कार्य पर रोक के बावजूद चहारदीवारी खड़ी कर दी गई थी. 11 नवंबर को खासमहाल की जमीन पर मालिकाना हक को लेकर विवाद हुआ था और जांच के बाद सीओ ने तत्काल जमीन पर निर्माण कार्य करने पर रोक लगा दिया था. साथ ही जमीन से संबंधित कागजातों की जांच के लिए 22 नवंबर की तिथि सीओ के कोर्ट में निर्धारित की गई थी, लेकिन सुनवाई से पूर्व ही सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए जमीन पर चहारदीवारी खड़ी कर दी गई थी. ज्ञात हो कि जमीन पर कब्जा जमाने का आरोप पूर्व विधायक योगेंद्र साव पर था. इस संबंध में जांच करने के बाद नोटिस भेजकर पुलिस की मदद से काम को बंद करा दिया गया था.

लगभग 25 डिसमिल जमीन पर कराया गया था निर्माण कार्यः बताते चलें कि हुरहुरु स्थित जिस जमीन पर कब्जा को लेकर दावा किया जा रहा है, उसकी प्रकृति खासमहाल है. यह मौजा कैन्टोनमेंट, थाना नंबर 157, भवन पट्टा, होल्डिंग संख्या 302, प्लॉट संख्या 872, 1235, 873, 1336 और 893, 1337 है. जिसका रकबा 25 डिसमिल, 15 डिसमिल और 10 डिसमिल कुल 50 डिसमिल है. इसी 50 डिसमिल जमीन के आधे हिस्से में चहारदीवारी निर्माण का कार्य किया जा रहा था. जिसे जांच के बंद 11 नवंबर को बंद करा दिया गया था.

पूर्व में प्रशासन ने योगेंद्र साव और लीजधारक को भेजा था नोटिसः कुल 50 डिसमिल जमीन को लेकर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ-साथ लीजधारक अहसान अंसारी को नोटिस भेजा गया था. नोटिस में जमीन को खासमहाल की जमीन बताते हुए उसे सरकारी बताया गया था. प्रशासन का कहना था कि लीजधारी की मौत हो गई और इससे पूर्व 2008 में लीज की अवधि भी खत्म हो गई थी. ऐसे में यह जमीन सरकार की है. जानकारी के अनुसार इस जमीन को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने पावर ऑफ अटार्नी के माध्यम से ली थी. मामले में जब विवाद में आया तो अपर समाहर्ता ने सदर सीओ को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट तलब की थी. सीओ को दिए गए जांच पत्र में अपर समाहर्ता ने कहा है कि यह भूमि खासमहाल लीज की भूमि है. जो लीजधारी मो अहसान, पिता मो सामुएल के नाम से दिनांक 31 मार्च 2008 तक था. जांच में यह भी प्रतिवेदित किया गया है कि वर्तमान समय में लीज भूमि पर लीजधारी या उनके वंशज निवास नहीं करते हैं.

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