हजारीबाग: जिला में कोरोना संक्रमण के दौरान सरकारी खाद्यान्न उठाने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. लगभग 78,000 परिवार सरकारी अनाज का लाभ लेने वालों में शामिल हुए हैं. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत पहले से 3 लाख से अधिक परिवार के पास लाल कार्ड और पीला कार्ड है. जिन्हें एक रुपैया या फिर निशुल्क में राशन मिलता है.
ये भी पढ़ें- कोरोना ने तोड़ी कमर, खड़े-खड़े कबाड़ बन रहे स्कूल बस, छिन रहा लोगों का रोजगार
78,000 ग्रीन कार्ड
महामारी के बाद जिले में सरकारी अनाज पर आश्रितों की संख्या बढ़ गई है. ऐसे लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा से नहीं जोड़ा जा सका तो राज्य सरकार ने इनके लिए ग्रीन कार्ड की व्यवस्था की. लिहाजा अब हजारीबाग जिले में लाल और पीला कार्ड वालों के अतिरिक्त ग्रीन कार्ड वाले परिवारों की संख्या 78 हजार हो गई है.
जन वितरण प्रणाली केंद्र के संचालक और संघ के अध्यक्ष भी मानते हैं कि विगत 1 सालों से काम करने के तरीका और बेरोजगारी के कारण गरीब परिवारों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस कारण केंद्र सरकार ने तो राशन देने की व्यवस्था की ही थी. कई ऐसे परिवार हैं जो छूट गए थे. उन्हें राज्य सरकार के स्कीम के तहत जोड़ा गया है.
पदाधिकारी यह भी कहते हैं कि कई ऐसे आवेदन हमारे पास आते हैं जो राशन कार्ड के लिए दावा करते हैं. ऐसे में हम लोग उनके दावे को सत्यापित करते हैं और अहर्ता पूरा करने से ही राशन कार्ड दिया जाता है. लेकिन जिले में टारगेट था पूरा कर लिया गया है. अब हमारे पास योजनाओं में नया नाम शामिल करने के लिए वैकेंसी नहीं है.
ये भी पढ़ें- लाॅकडाउन में निर्माण क्षेत्र के कारोबार को करोड़ों का नुकसान! जानिए सरकार के राजस्व को कैसे लग रहा फटका
लाभुकों की संख्या में इजाफा
जन वितरण प्रणाली केंद्र के संचालक भी कहते हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा पहले अंत्योदय योजना चलाया जाता था. जिसे हम लोग पीला कार्ड कहते हैं. प्रत्येक कार्ड पर 35 किलो अनाज देना होता है. इसके बाद नवंबर माह तक प्रधानमंत्री की ओर से योजना चलाया गया. जिसमें 5 किलो अनाज प्रत्येक व्यक्ति को देना है. साथ ही साथ ग्रीन कार्ड की व्यवस्था भी झारखंड सरकार ने किया है. हम लोग के पास जो व्यक्ति जिस तरह का कार्ड लेकर आता है उसे उसी तरह का राशन दिया जाता है. लेकिन हाल के दिनों में लाभुकों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ है.
खाद्य सुरक्षा योजना के लाभुक परिवारों की संख्या
प्रखंड | लाल कार्ड | पीला कार्ड |
बरही | 14832 | 4254 |
बड़कागांव | 22291 | 5203 |
बरकट्ठा | 19975 | 4037 |
विष्णुगढ़ | 23535 | 5399 |
चल कुसा | 6637 | 1893 |
चौपारण | 22268 | 5587 |
चूरचू | 7307 | 2026 |
दाड़ी | 10598 | 1184 |
दारू | 7877 | 1715 |
सदर | 19714 | 2420 |
कटकमदाग | 13428 | 1984 |
कटकमसांडी | 16925 | 3258 |
केरेडारी | 13889 | 4014 |
पदमा | 10694 | 1760 |
टाटीझरिया | 8071 | 1925 |
रोजगार की व्यवस्था नहीं
सरकार के द्वारा गरीब परिवार के लिए अनाज की तो व्यवस्था कर दी गई. लेकिन हजारीबाग जैसे शहर में रोजगार के नाम पर कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. जहां ना तो बड़े-बड़े कल कारखाने हैं और ना ही कोई कंपनी है. ऐसे में यहां के लोगों का स्वरोजगार के लिए मात्र एक ही रास्ता है. वह छोटी-मोटी दुकान खोलें या फिर खोमचा लगाएं. हजारीबाग ने देश को यशवंत सिन्हा जैसा वित्त मंत्री दिया तो जयंत सिन्हा जैसा राज्य वित्त मंत्री. इसके बावजूद रोजगार के दृष्टिकोण से हजारीबाग में बहुत अधिक संभावना नहीं है.
सरकारी खाद्यान्न का लाभ गरीब परिवार के लोगों को दिया जाता है. अगर हजारीबाग में सरकारी अनाज का लाभ लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है तो यह माना जा सकता है कि यहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है. बहराल देखने वाली बात होगी कि गरीबी रेखा से नीचे जो लोग पहुंचे हैं वे कब और कैसे अपना जीवन स्तर ऊंचा कर पाते हैं.