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हजारीबाग में मौत को दावत देता पुल, जानिए ग्रामीणों की तकलीफ

हजारीबाग में 5 साल से टाटीझरिया प्रखंड के बेडम पुल (Bedum bridge of Tatijharia block) का निर्माण कार्य अधूरा है, लोग जैसे-तैसे पुल को पार करते हैं. ये पुल दो गांवों को जोड़ता है, इसलिए इसका निर्माण जरूरी है.

construction of pull is incomplete in hazaribag
हजारीबाग में मौत को दावत देता पुल, जानिए ग्रामीणों की तकलीफ
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Published : Jul 26, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Jul 26, 2021, 5:41 PM IST

हजारीबाग: दो गांवों को जोड़ने वाला पुल अधूरा रहने से लोगों के लिए मुसीबत बन गई है. लगभग 5 साल से पुल का निर्माण नहीं हुआ है. नक्सलियों ने 5 साल पहले टाटीझरिया प्रखंड के बेडम पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया था. जान जोखिम में डालकर हर रोज लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पुल पार करते हैं.

देखें पूरी खबर


इसे भी पढ़ें- विद्युत विभाग के कनीय अभियंता से मारपीट मामले ने पकड़ा तूल, पदाधिकारियों को सौंपा पांच सूत्री मांग पत्र

यह पुल प्रखंड मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर और हजारीबाग जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कभी सेटरिंग लगा दिया गया, तो कभी आधा अधूरा काम करके छोड़ दिया गया. अब बारिश के दिनों में गांव के लोग पुल जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पार करते हैं. अगर थोड़ी सी भी सावधानी हटी, तो जान भी जा सकती है. पुल बनाने के लिए काम तो शुरू किया गया, लेकिन आधा अधूरा काम करके ठेकेदार फरार हो गया. अभी भी पुल पर बांस बल्ली लगा हुआ है. बीच में लकड़ी, लोहा और सीमेंट के जुगाड़ से लोग अपना मोटरसाइकिल, साइकिल और खुद भी पार होते हैं. अगर किसी के पास चार पहिया गाड़ी है तो पुल के दूसरी ओर रखते हैं. आलम यह है कि गांव के लोग अब चार पहिया गाड़ी भी खरीदना नहीं चाहते हैं. उनका कहना है कि अगर गाड़ी खरीद भी लेंगे तो लाभ नहीं मिलेगा. इस कारण हम लोग साइकिल से ही आना-जाना करते हैं.

construction of pull is incomplete in hazaribag
खतरनाक पुल को पार करते लोग

क्या कहती हैं गांव की महिलाएं

यह सिलसिला आज का नहीं है, बल्कि 5 सालों से हम लोग ऐसे ही चल रहे हैं. पहले तो सेटरिंग भी नहीं था. तो हम लोग सिढी बनाए थे. सिढी के जरिए पुल पर चढा जाता था और फिर हम लोग शहर जाते थे. अब ठेकेदार की ओर से सेटरिंग लगाया गया है, इससे हम लोग पुल पार करते हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि हमारे गांव में बारात भी जल्दी नहीं आती. अगर शादी ठीक हुई, तो हम लोग या तो शहर जाते हैं या फिर दूसरे रास्ते से बरात हमारे दरवाजे पर पहुंचता है. हम लोगों को 30 से 40 किलोमीटर चलना पड़ता है.

construction of pull is incomplete in hazaribag
जान जोखिम में डालकर पुल क्रॉस करते लोग

इसे भी पढ़ें- 12 वर्षों से अधूरे पड़े पुल के निर्माण की बाट जोह रहे ग्रामीण, नदी पार करने के लिए नाव बनी सहारा

त्योहार-पूजा पाठ में भी परेशानी

इसके अलावा महिलाएं कहती हैं कि अगर घर में त्योहार या पूजा पाठ होता है, तब भी हम लोगों को काफी परेशानी होती है. हम लोगों को सामान लाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. उनका ये भी कहना है कि सबसे बड़ी समस्या उस समय होती है, जब गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो हम लोग भगवान भरोसे ही रात भर इंतजार करते हैं. सुबह किसी भी तरह मरीज को ले जाना होता है.

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5 साल से निर्माण कार्य अधूरा

हाल के दिनों में बारिश के पानी के चलते सेटरिंग भी ढह गई. इससे अब ज्यादा समस्या हो रही है. ये पुल बेडम, जुल्मी, फ्लमा, आगों, गोविंदपुर, चरही चुरचू समेत कई गांव को जोड़ता है. इस पुल का निर्माण 32 लाख रुपए की लागत से किया जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि पुल का निर्माण कब होता है और कब गांव के लोगों को राहत मिल पाती है.

हजारीबाग: दो गांवों को जोड़ने वाला पुल अधूरा रहने से लोगों के लिए मुसीबत बन गई है. लगभग 5 साल से पुल का निर्माण नहीं हुआ है. नक्सलियों ने 5 साल पहले टाटीझरिया प्रखंड के बेडम पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया था. जान जोखिम में डालकर हर रोज लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पुल पार करते हैं.

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यह पुल प्रखंड मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर और हजारीबाग जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कभी सेटरिंग लगा दिया गया, तो कभी आधा अधूरा काम करके छोड़ दिया गया. अब बारिश के दिनों में गांव के लोग पुल जुगाड़ टेक्नोलॉजी से पार करते हैं. अगर थोड़ी सी भी सावधानी हटी, तो जान भी जा सकती है. पुल बनाने के लिए काम तो शुरू किया गया, लेकिन आधा अधूरा काम करके ठेकेदार फरार हो गया. अभी भी पुल पर बांस बल्ली लगा हुआ है. बीच में लकड़ी, लोहा और सीमेंट के जुगाड़ से लोग अपना मोटरसाइकिल, साइकिल और खुद भी पार होते हैं. अगर किसी के पास चार पहिया गाड़ी है तो पुल के दूसरी ओर रखते हैं. आलम यह है कि गांव के लोग अब चार पहिया गाड़ी भी खरीदना नहीं चाहते हैं. उनका कहना है कि अगर गाड़ी खरीद भी लेंगे तो लाभ नहीं मिलेगा. इस कारण हम लोग साइकिल से ही आना-जाना करते हैं.

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खतरनाक पुल को पार करते लोग

क्या कहती हैं गांव की महिलाएं

यह सिलसिला आज का नहीं है, बल्कि 5 सालों से हम लोग ऐसे ही चल रहे हैं. पहले तो सेटरिंग भी नहीं था. तो हम लोग सिढी बनाए थे. सिढी के जरिए पुल पर चढा जाता था और फिर हम लोग शहर जाते थे. अब ठेकेदार की ओर से सेटरिंग लगाया गया है, इससे हम लोग पुल पार करते हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि हमारे गांव में बारात भी जल्दी नहीं आती. अगर शादी ठीक हुई, तो हम लोग या तो शहर जाते हैं या फिर दूसरे रास्ते से बरात हमारे दरवाजे पर पहुंचता है. हम लोगों को 30 से 40 किलोमीटर चलना पड़ता है.

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जान जोखिम में डालकर पुल क्रॉस करते लोग

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त्योहार-पूजा पाठ में भी परेशानी

इसके अलावा महिलाएं कहती हैं कि अगर घर में त्योहार या पूजा पाठ होता है, तब भी हम लोगों को काफी परेशानी होती है. हम लोगों को सामान लाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. उनका ये भी कहना है कि सबसे बड़ी समस्या उस समय होती है, जब गांव में कोई बीमार पड़ जाता है तो हम लोग भगवान भरोसे ही रात भर इंतजार करते हैं. सुबह किसी भी तरह मरीज को ले जाना होता है.

construction of pull is incomplete in hazaribag
5 साल से निर्माण कार्य अधूरा

हाल के दिनों में बारिश के पानी के चलते सेटरिंग भी ढह गई. इससे अब ज्यादा समस्या हो रही है. ये पुल बेडम, जुल्मी, फ्लमा, आगों, गोविंदपुर, चरही चुरचू समेत कई गांव को जोड़ता है. इस पुल का निर्माण 32 लाख रुपए की लागत से किया जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि पुल का निर्माण कब होता है और कब गांव के लोगों को राहत मिल पाती है.

Last Updated : Jul 26, 2021, 5:41 PM IST
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