हजारीबागः शहर में आवारा कुत्तों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. नगर निगम के पास इन पर नियंत्रण करने के लिए किसी भी तरह का संसाधन नहीं है. शहर में आवारा कुत्तों की संख्या हजारों के पार पहुंच चुकी है. नतीजा यह है कि कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है. कुत्तों का ब्रीडिंग सीजन भी चल रहा है. ऐसे में आजकल कुत्ते ज्यादा खूंखार हो रहे हैं और डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं.
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दिसंबर एवं जनवरी में कुत्तों का ब्रीडिंग सीजन होता है. ऐसे में कुत्ते अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर और भी अधिक आक्रमक हो जाते हैं. गली-मोहल्लों में आवारा कुत्तों की संख्या ज्यादा होने की वजह से वह लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो प्रत्येक दिन हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगभग 15 से 20 डॉग बाइट के मामले आ रहे हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हजारीबाग कुत्तों के आतंक से दहल गया है.
बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा
दूसरी और पशुपालन विभाग में सेवा दे रहे डॉक्टर का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन के पास इस समस्या का समाधान करने के लिए किसी भी तरह कोई योजना नहीं है. इस कारण आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. जरूरत है कुत्तों की संख्या पर नियंत्रण पाने के लिए नसबंदी कराने का, साथ ही साथ आवारा कुत्तों को रेबिज सुई देने की भी जरूरत है. उनका यह भी कहना है कि आवारा कुत्ते कभी कभार गाय को भी काट ले ले रहे हैं. जिससे गाय को भी इंफेक्शन होने की बात सामने आ रही है. अगर वैसी गाय जिसे कुत्ते ने काट लिया हो उसका दूध का सेवन किया जाए तो सेवन करने वाले व्यक्ति को भी संक्रमण हो सकता है. ऐसे में जरूरत है संख्या नियंत्रण करने की.
निगम और प्रशासन के पास नहीं है कोई योजना
हजारीबाग नगर निगम की महापौर रोशनी तिर्की का भी कहना है कि हमारे पास आवारा कुत्ते को लेकर किसी भी तरह की योजना नहीं है. हाल के दिनों में हजारीबाग में एक स्वयंसेवी संगठन रांची से आकर कुत्तों का नसबंदी किया था. अब हम लोग भी यह प्रयास कर रहे हैं कि उस संस्था से तालमेल स्थापित किया जाए और हजारीबाग में भी इस तरह का कार्यक्रम चलाया जाए, ताकि शहर में से कुत्तों का आतंक कम हो.
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सुरक्षित नहीं आम लोग
हजारीबाग के रहने वाले लोगों का भी मानना है कि कुत्तों की संख्या में हाल के दिनों में काफी इजाफा हुआ है. शहर का ऐसा कोई भी मोहल्ला नहीं है जहां आवारा कुत्ते का आतंक ना हो. आलम यह है कि कभी-कभार कुत्ते इतने खूंखार हो जा रहे हैं कि वह लोगों को दौड़ाकर काट भी रहे हैं, ऐसे में हम लोग भी भय में रहते हैं. खासकर सबसे बड़ी समस्या बच्चों को लेकर होती अगर बच्चे को कुत्ता काट दिया तो एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है. वही कुत्ते अब इंसान को छोड़कर दूसरे जानवरों पर भी हमला कर दे रहे हैं. ऐसे उन्हें भी रेबीज होने की समस्या हो रही है. जरूरत है जिला प्रशासन को ऐसे नियम बनाने की जिसमें इस समस्या का समाधान हो.
जिस तरह से हजारीबाग शहर में आवारा कुत्तों की संख्या में हाल के दिनों में इजाफा हुआ है. ऐसे में जरूरत है नगर निगम को उचित व्यवस्था करने की. साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी को भी चाहिए कि वह रेबीज की सुई की इंतजाम अस्पताल में रखें अगर कोई पीड़ित आए तो उसे वैक्सीन पड़ सके.