हजारीबाग: जिला में कोरोना से बिगड़ते हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो दिन में 16 लोगों की मौत हो चुकी है. जिला में कोरोना से हुई मौत का आंकड़ा 85 पार कर गया है. संक्रमित शव का अंतिम संस्कार में काफी देरी हो रही है. प्रशासन शव का अंतिम संस्कार कराने में जुटा है. ऐसे कई मामले सामने आए जब मरीज की घर में मौत हो गई और परिजन अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते. ऐसे में हजारीबाग के तीन युवा आगे आए और अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया. इस काम में हजारीबाग के समाजसेवी मुन्ना सिंह भी मदद कर रहे हैं और निःशुल्क लकड़ी उपलब्ध करा रहे हैं.
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सावधानी बरतते हुए करते हैं अंतिम संस्कार
कोरोना संक्रमित मरीजों के शव का अंतिम संस्कार करने वाले युवक बताते हैं कि जैसे ही मोबाइल पर सूचना मिलती है वो तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए शव को पैक करते हैं. पीपीई किट पहनकर और सारी सावधानी बरतते हुए मरीज का अंतिम संस्कार करते हैं. अगर हिंदू मरीज की मौत होती है तो उसे मुक्तिधाम में जलाते हैं. अगर किसी मुस्लिम या क्रिश्चियन मरीज की मौत होती है तो कब्रिस्तान में दफनाते हैं.
इस काम में जुटे सोनू कुमार का कहना है कि ऐसे समय में समाज को तो आगे आना ही होगा. ऐसे हालात में सब हार मान जाएंगे तो कैसे काम चलेगा. विपत्ति के समय लोग अगर पीछे हट जाएंगे तो मानवता कहां रह जाएगी. हजारीबाग में अब तक मोहम्मद खालिद ही कोरोना संक्रमित शव का अंतिम संस्कार कर रहे थे लेकिन अब तीन और युवा इसमें जुट गए हैं.
अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी उपलब्ध करा रहे मुन्ना सिंह
जिस तरह कोरोना मरीज की मौत हो रही है, वैसे में लकड़ी मिलना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में समाजसेवी मुन्ना सिंह आगे आए हैं. वो अंतिम संस्कार के लिए निःशुल्क लकड़ी दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी दो-तीन दिन का लकड़ी और बचा है. अगर आगे भी जरूरत पड़ेगी तो बाहर से लकड़ी मंगाकर देंगे. ऐसे मुश्किल घड़ी में समाज के सभी सक्षम लोगों को आगे आना चाहिए ताकि जरूरतमंदों की मदद की जा सके. सचमुच ऐसी ही लोगों ने समाज में मानवता को जिंदा रख रखा है, ये भी किसी कोरोना योद्धा से कम नहीं.