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लेमन ग्रास की खेती कर महिलाएं हो रही हैं स्वावलंबी, सालाना कमा रही लाखों का मुनाफा

गुमला के बिशुनपुर प्रखंड में लेमन ग्रास की खेती से महिलाएं लाखों का मुनाफा कमा रही हैं. महिलाओं ने अपना एक समूह बनाया है जो फसल की कटाई से लेकर उससे बने उत्पादों की पैकेजिंग तक अहम भूमिका निभाती है. पेश है खास रिपोर्ट.

Women doing Lemon Grass cultivation in Gumla
चमेली आजीविका सखी मंडल ग्रुप की महिलाएं
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Published : Feb 17, 2020, 8:41 PM IST

गुमला: जिला के बिशुनपुर प्रखंड के बेती गांव की महिलाएं समूह बनाकर बंजर भूमि में लेमन ग्रास की खेती कर प्रत्येक साल लाखों रुपए का मुनाफा कमा रही है. इस गांव की महिलाओं को देखकर बिशुनपुर प्रखंड के अन्य गांव की महिलाएं भी लेमन ग्रास की खेती में लग गई है. फिलहाल बेती गांव की रहने वाली बिमला अपने समूह की महिलाओं से मिलकर लेमन ग्रास की खेती कर रही है. उन्होंने इसके लिए गांव के ही लोगों से दस एकड़ जमीन लीज में लेकर यह काम शुरू किया.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-जमशेदपुर मना रहा 100वां वर्षगांठ, उपराष्ट्रपति ने कहा- उद्योगपतियों को टाटा से सीखने की जरुरत

लेमनग्रास नहीं खाते मवेशी

बिमला बताती है कि वह चमेली आजीविका सखी मंडल ग्रुप की महिलाओं के साथ लेमन ग्रास की खेती कर रही है. बिमला ने बताया कि समूह में यह फैसला किया गया चूंकि लेमन ग्रास को कोई मवेशी नहीं खाता ऐसे में इसकी खेती करना और भी आसान हो जाता है. यह फैसला लेकर समूह में जमा राशि और लोगों से ऋण लेकर डेढ़ लाख रुपए खर्च कर खेती की शुरुआत की गई.

एक बार में हुई लाखों रूपए की आमदनी

समूह की महिलाओं ने बताया कि पहली बार लेमन ग्रास की खेती तैयार हुई तो इसे एक साल में चार बार काटा गया. जिससे लगभग एक लाख रुपये की आमदनी हुई. बिमला देवी ने बताया कि एक बार लगाने के बाद दूसरी बार लेमन ग्रास को नहीं लगाना पड़ता है. यह खेती चार-चार माह में तैयार होता है. ये महिलाएं खेती के तैयार होने के बाद उसे काटकर उसका तेल निकालकर बाजार में बेचती हैं. इस तेल की कीमत प्रति लीटर दो हजार रुपये है. हालांकि इस इलाके में लेमन ग्रास के तेल के लिए बाजार नहीं है इसलिए तेल को बाहर भेजना पड़ता है. महिलाओं का कहना है कि अगर यहां बाजार होता तो ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता था.

ये भी पढ़ें-बेतला नेशनल पार्क में बाघिन की मौत के बाद पार्क बंद, विधायक ने वन विभाग को बताया लापरवाह

लेमनग्रास की खेती एक बार, फायदे पांच साल

वहीं, बिशुनपुर प्रखंड क्षेत्र के सेरका गांव की महिलाएं भी समूह बनाकर लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं. यहां की महिलाओं ने बताया कि लेमनग्रास को एक बार लगाने के बाद यह 5 सालों तक रहता है. उन्होंने बताया कि साल में 4 बार इस फसल को काटा जाता है जिसके बाद उससे तेल निकाला जाता है. इसके साथ ही लेमनग्रास को चाय पत्ती के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.

लेमनग्रास की चाय से बिमारियों से छुटकारा

महिलाओं ने बताया कि लेमन ग्रास की चाय पीने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है. महिलाएं बताती है कि सबसे पहले लखनऊ से लेमन ग्रास का बिचड़ा मंगा कर एक जगह लगाया गया. बाद में इसे पूरे बिशुनपुर प्रखंड में फैलाया गया.

एमकेएसपी परियोजना के तहत मेडिसिनल प्लांट की खेती

गुमला की ये महिलाएं एमकेएसपी परियोजना के तहत मेडिसिनल प्लांट उपजाने का काम कर रही हैं. इस पलांट से, तेल निकालने, इसके जड़ को बिचड़े के रूप में बेचने और पत्ते को सुखाकर चाय पत्ती के रूप में बेचने का काम करते हैं. बिशुनपुर प्रखंड के 30 गांव में 32 उत्पादक समूह बनाकर लेमन ग्रास की खेती की जा रही है. उन्होंने बताया कि 1 एकड़ की भूमि में लेमन ग्रास लगाने के बाद सालाना 70 से 80 हजार की कमाई की जा सकती है.

गुमला: जिला के बिशुनपुर प्रखंड के बेती गांव की महिलाएं समूह बनाकर बंजर भूमि में लेमन ग्रास की खेती कर प्रत्येक साल लाखों रुपए का मुनाफा कमा रही है. इस गांव की महिलाओं को देखकर बिशुनपुर प्रखंड के अन्य गांव की महिलाएं भी लेमन ग्रास की खेती में लग गई है. फिलहाल बेती गांव की रहने वाली बिमला अपने समूह की महिलाओं से मिलकर लेमन ग्रास की खेती कर रही है. उन्होंने इसके लिए गांव के ही लोगों से दस एकड़ जमीन लीज में लेकर यह काम शुरू किया.

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लेमनग्रास नहीं खाते मवेशी

बिमला बताती है कि वह चमेली आजीविका सखी मंडल ग्रुप की महिलाओं के साथ लेमन ग्रास की खेती कर रही है. बिमला ने बताया कि समूह में यह फैसला किया गया चूंकि लेमन ग्रास को कोई मवेशी नहीं खाता ऐसे में इसकी खेती करना और भी आसान हो जाता है. यह फैसला लेकर समूह में जमा राशि और लोगों से ऋण लेकर डेढ़ लाख रुपए खर्च कर खेती की शुरुआत की गई.

एक बार में हुई लाखों रूपए की आमदनी

समूह की महिलाओं ने बताया कि पहली बार लेमन ग्रास की खेती तैयार हुई तो इसे एक साल में चार बार काटा गया. जिससे लगभग एक लाख रुपये की आमदनी हुई. बिमला देवी ने बताया कि एक बार लगाने के बाद दूसरी बार लेमन ग्रास को नहीं लगाना पड़ता है. यह खेती चार-चार माह में तैयार होता है. ये महिलाएं खेती के तैयार होने के बाद उसे काटकर उसका तेल निकालकर बाजार में बेचती हैं. इस तेल की कीमत प्रति लीटर दो हजार रुपये है. हालांकि इस इलाके में लेमन ग्रास के तेल के लिए बाजार नहीं है इसलिए तेल को बाहर भेजना पड़ता है. महिलाओं का कहना है कि अगर यहां बाजार होता तो ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता था.

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लेमनग्रास की खेती एक बार, फायदे पांच साल

वहीं, बिशुनपुर प्रखंड क्षेत्र के सेरका गांव की महिलाएं भी समूह बनाकर लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं. यहां की महिलाओं ने बताया कि लेमनग्रास को एक बार लगाने के बाद यह 5 सालों तक रहता है. उन्होंने बताया कि साल में 4 बार इस फसल को काटा जाता है जिसके बाद उससे तेल निकाला जाता है. इसके साथ ही लेमनग्रास को चाय पत्ती के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.

लेमनग्रास की चाय से बिमारियों से छुटकारा

महिलाओं ने बताया कि लेमन ग्रास की चाय पीने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है. महिलाएं बताती है कि सबसे पहले लखनऊ से लेमन ग्रास का बिचड़ा मंगा कर एक जगह लगाया गया. बाद में इसे पूरे बिशुनपुर प्रखंड में फैलाया गया.

एमकेएसपी परियोजना के तहत मेडिसिनल प्लांट की खेती

गुमला की ये महिलाएं एमकेएसपी परियोजना के तहत मेडिसिनल प्लांट उपजाने का काम कर रही हैं. इस पलांट से, तेल निकालने, इसके जड़ को बिचड़े के रूप में बेचने और पत्ते को सुखाकर चाय पत्ती के रूप में बेचने का काम करते हैं. बिशुनपुर प्रखंड के 30 गांव में 32 उत्पादक समूह बनाकर लेमन ग्रास की खेती की जा रही है. उन्होंने बताया कि 1 एकड़ की भूमि में लेमन ग्रास लगाने के बाद सालाना 70 से 80 हजार की कमाई की जा सकती है.

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