गुमला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व में इसका खासा असर हुआ है. इस महामारी ने लाखों लोगों की जान ले ली है जबकि अभी भी भारत सहित कई देशों में इस महामारी से लोग जूझ रहे हैं. ऐसे में इससे बचने के लिए सरकार ने लॉकडाउन के बाद अनलॉक जारी कर दिया है, जिसके तहत कुछ कारोबार में ढील दी है. हालांकि अभी भी बड़े बड़े मॉल, शिक्षण संस्थाएं, पार्क, बड़े कार्यक्रम पर रोक लगी हुई है.
ढाबे पर आ रहे इक्के दुक्के लोग
ऐसे में रांची-गुमला मुख्य मार्ग नेशनल हाइवे 23 पर लांजी, सिलाफरी, नागफेनी आदि जगहों पर कई छोटे-बड़े ढाबे चलते हैं, जिनमें से कुछ ढाबे ऐसे हैं जहां दिन भर में दो-चार गाड़ियां भी नहीं रुकती हैं. वहीं, कुछ ढाबों में राहगीर जरूर रुकते हैं लेकिन सिर्फ चाय और पानी तक ही सिमट रहे हैं.
संचालकों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण जबसे लॉकडाउन हुआ है उसके बाद से विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है. इस बीच दो-तीन महीने तक ढाबे बंद थे. बाद में जब खुले भी तो अब उतने ग्राहक नहीं आ रहे हैं जितने आनी चाहिए. ग्राहकों के कम आने के कारण इतनी आमदनी नहीं हो रही है, जिससे ठीक से परिवार भी नहीं चला पा रहे हैं. जो थोड़े बहुत पैसे आ भी रहे हैं वह ढाबे में काम करने वाले स्टाफ को मजदूरी भुगतान करने में निकल जा रहे हैं.
ये भी देखें- हजारीबाग: घटिया सामान के कारण शुरू नहीं हो सका विद्युत शवदाह गृह, बनवाने वाली कंपनी हो गई बंद
संचालकों का कहना है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने ढाबा संचालकों को काफी नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन के कारण करीब ढाई महीने तक ढाबे बंद रहे और जब सरकार ने अनलॉक की घोषणा की उसके बाद ढाबे का संचालन तो कर रहे हैं लेकिन इतनी कमाई नहीं है कि परिवार का ठीक से खर्च भी उठा सकें.