गुमलाः आज लगभग हर हाथ में स्मार्ट फोन है, तमाम तरह के वैज्ञानिक साधन हैं. मर्ज ठीक करने के कई उपाय, दवाइयां और सुविधाएं मौजूद हैं. लेकिन इनके बीच भी आस्था और विश्वास का भी लोगों में अलग ही दर्जा है. अंधविश्वास, जी हां आज भी देसी टोटके और उपाय मरीजों पर आजमाए जाते हैं. आइए, आपको दिखाते में गुमला सदर अस्पताल में आडंबर (witchcraft in Gumla Sadar Hospital) का खेल.
इसे भी पढ़ें- सर्पदंश में सिर्फ जहर ही नहीं इस वजह से भी होती है मौत
पूरा वाकया गुमला जिला के दो अलग अलग घटनाओं का है. रविवार को सर्पदंश की दो अलग अलग घटनाओं में एक बच्चे की मौत हो गयी और दो लोगों के शरीर में सांप का जहर फैल गया. पहली घटना वृंदा भंडार टोली की है, जहां लगभग 8 वर्षीय बालक शिवम कुमार की मौत सर्पदंश से हो गई जबकि पिता बहुरा सदर अस्पताल में इलाजरत है.
दूसरी घटना डुमरडीह पंचायत के हुरहुरिया निवासी जोगेश्वर उरांव (पिता स्वर्गीय रोपना उरांव) के साथ घटी है. जिसे टहलने के दौरान गांव में जहरीले सांप ने काट लिया, जिसके बाद मुखिया रमेश उरांव व समाजसेवी सुमेश्वर उरांव सहित ग्रामीणों की मदद से इलाज के लिए उसे गुमला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसे डॉक्टर भी देख रहे हैं, दवाइयां भी दी जा रही (Snakebite patient treatment) हैं.
लेकिन थोड़ी देर के बाद अस्पताल का माहौल बदल गया. सर्पदंश के शिकार जोगेश्वर का अस्पताल परिसर में ही झाड़-फूंक शुरू (patient treatment with witchcraft) कर दिया गया. उनके गांव से आए ओझा-गुनी ने अस्पताल की चिकित्सा को दरकिनार करते हुए अस्पताल में आडंबर शुरू कर दिया. अस्पताल परिसर में जोगेश्वर को जमीन पर बैठाकर उसे गांव के ओझा ने घेर लिया. गांव के जंगलों से तोड़कर पत्ते मंगाए गए, बाल भी लिए गए. टोपी पहने एक बुजुर्ग पत्तों को हथेली पर रगड़ रहा है. दूसरी तरफ गुलाबी शर्ट पहले परिजन ओझा के कहे अनुसार हाथों में बालों का गुच्छा लिए सर्पदंश की जगह पर फेर रहा है. एक और लड़का हाथों में बाल का एक टुकड़ा लिए सांप काटने वाली जगह पर रगड़ रहा है. इस प्रक्रिया से जोगेश्वर के शरीर से सांप का जहर उतारने की कोशिश की जा रही है.
इस संदर्भ में चिकित्सक डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि सर्पदंश के अलावा किसी भी तरह की समस्या होने पर अस्पताल का जल्द से जल्द सहारा लेना चाहिए. जिससे उचित समय पर इलाज हो सके. उन्होंने आम लोगों से अपील करते हुए कहा कि अंधविश्वास को लेकर ओझा गुनी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए, इससे मरीज की जान पर भी बन सकती है.
जिला सदर अस्पताल में, ज्ञान और विज्ञान के बीच आडंबर का पूरा खेल चलता. लेकिन इसका किसी ने भी विरोध नहीं किया. विरोध होता भी कैसे आखिर मरीज की जान बचानी है. आधुनिक चिकित्सा पद्धति जरूरी है लेकिन गांव वालों का विश्वास उनके अपने तरीके पर है. इसलिए अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद जोगेश्वर पर दवाई और टोटका दोनों की आजमाइश की गयी.