गुमलाः जिला के हीरा दाह नदी में पिछले साल 15 नवंबर को पिकनिक मनाने के लिए गए तीन युवक सेल्फी लेने के दौरान बह गए थे. जिसके बाद एनडीआरएफ की टीम भी उनके शव को खोजने में असफल रही थी. एक सप्ताह बाद एक युवक अभिषेक गुप्ता का शव बरामद किया गया था, जबकि अन्य दो युवकों का शव नहीं मिला. 3 महीने बाद गुरुवार को हीरा दाह नदी में पत्थरों के बीच एक नर कंकाल के फंसे होने की सूचना के बाद मौके पर सुनील कुमार भगत के परिजन और सुरसांग की पुलिस पहुंचकर नर कंकाल को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए गुमला सदर अस्पताल भेजा था.
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सुनील कुमार भगत के परिजनों ने सुनील के बचपन से पैर के एक उंगली कटे रहने के कारण बरामद नर कंकाल को सुनील का होने का दावा कर रहे हैं. जिसके बाद गुमला के 5 सदस्य चिकित्सकों की टीम ने शुक्रवार को रिम्स रेफर कर दिया था. जिसके बाद कोर्ट का कोई आदेश पत्र नहीं रहने की वजह से रिम्स में फॉरेंसिक जांच के लिए लेने से मना कर दिया. जिसके बाद नर कंकाल को वापस गुमला पोस्टमार्टम हाउस लाया गया. गुरुवार को ही हीरा दाह से बरामद इस नर कंकाल को अमानवीय और अनैतिकता तरीके से बाइक में बांधकर गुमला सदर अस्पताल पोस्टमार्टम हाउस लाया गया था. जिससे नर कंकाल कई हिस्सों में बट गया था, जिसके बाद गुमला के 5 सदस्य चिकित्सकों की टीम ने उसे फॉरेंसिक और डीएनए जांच के लिए रिम्स रेफर कर दिया.
रविवार को गुमला कोर्ट के आदेश के बाद पति नियुक्त मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में बक्से में सील कर एएसआई अजीत कुमार राय और सुनील कुमार भगत के परिजन सहित लोग मिलकर गुमला सदर अस्पताल पोस्टमार्टम हाउस से रिम्स के लिए रवाना हुए. इस मामले को लेकर गुमला के पुलिस अधीक्षक एचपी जनार्दनन ने शव को बाइक से ढोने के संबंध में कहा कि सुरसांग नक्सल इलाका है. नक्सल इलाका होने के कारण रात को पुलिस का मूवमेंट संभव नहीं था. परिजनों से कहा गया था कि शव को रातभर सुरसांग थाना में रखते हैं. सुबह को पुलिस की निगरानी में शव को गुमला पोस्टमार्टम हाउस ले जाया जाएगा, इसपर परिजन नहीं माने. परिजन अपनी मर्जी से शव को बाइक से गुमला सदर अस्पताल ले गए.
गुमला शहर के लक्ष्मण नगर निवासी बीटेक के छात्र सुनील कुमार भगत का शव साढ़े तीन माह बाद हीरा दाह नदी से मिला है. प्रशासन शव को खोज नहीं पाया, परिजन खुद शव को खोज रहे थे. 5 मार्च को पिता विवेकानंद भगत ने खुद शव को हीरा दाह नदी के बीच पहाड़ के पास खोजा निकाला. परिजनों का आरोप है कि शव मिलने के बाद प्रशासन का जो सहयोग मिलना चाहिए, वह नहीं मिला. साढ़े तीन माह से बेटे के लिए तड़पते रहे, शव खोजते रहे. जब शव मिला तो प्रशासन ने शव को गुमला अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी तक नहीं दी.
हीरा दाह नदी में डूबे युवक सुनील कुमार भगत के पिता विवेकानंद भगत ने डीसी को ज्ञापन सौंपा. बेटे के नर कंकाल को एफएसएल रांची भेजकर उसकी फॉरेंसिक जांच कराकर शव सौंपने की मांग की है. जिससे शव का अंतिम संस्कार परिवार के लोग कर सकें. ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने कहा कि 4 मार्च 2021 को मिले नर कंकाल के बांये पैर में कटे अंगूठा को देखकर बेटे के रूप में पहचान किया. तब सुरसांग थाना जाकर बेटे के शव मिलने की सूचना दी. सूचना मिलने पर थानेदार की उपस्थिति में करीब शाम चार बजे हीरादह से लाश को बाहर निकाला गया. वहीं पर थानेदार ने शव का पंचनामा किया. इस दौरान थानेदार की ओर से शव ले जाने के लिए गाड़ी तक मुहैया नहीं कराई गई. इसलिए वो बाइक से ही कंकाल लेकर रिम्स पहुंचे.
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5 मार्च को सदर अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा मेरे बेटे के नरकंकाल की जांच करने के बाद रिम्स रांची रेफर कर दिया गया. परिवार के लोग दिन के तीन बजे नरकंकाल को लेकर रांची गए. साढ़े पांच बजे रांची पहुंचने के बाद रिम्स के पोस्टमार्टम रूम ले गए. जहां चिकित्सकों ने कहा कि यहां पर फोरेंसिक जांच नहीं होगी. कारण पूछने पर रिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि नरकंकाल को थाना द्वारा सील नहीं किया गया है और ना ही मजिस्ट्रेट की अनुमति ली गयी है. इसलिए इस शव की फॉरेंसिक जांच नहीं की जा सकती है. शव को वापस ले जाओ.
रिम्स के चिकित्सकों से सहयोग नहीं मिलने के कारण रात में नरकंकाल को लेकर गुमला वापस आए. उन्होंने डीसी से नरकंकाल की फॉरेंसिक जांच करने की अनुमति देने की मांग की थी ताकि वे अपने बेटे का दाह संस्कार कर सकें. ज्ञापन सौंपने वालों में अनुसूचित जाति जनजाति सगंठनों के अखिल भारतीय परिसंघ गुमला के सदस्यगण, अध्यक्ष गोविंदा टोप्पो और कमल उरांव मौजूद रहे. जिसके बाद आदेश मिलने के बाद रविवार 11 बजे लेकर रिम्स के लिये रवाना हुए.