गुमलाः जिला के झारखंड आवासीय विद्यालय चैनपुर में स्कूली छात्राओं से मजदूरी कराने मामला सामने आया है. इसको जिला शिक्षा पदाधिकारी सुनील शेखर कुजुर एवं कस्तूरबा प्रभारी आदित्य राज के द्वारा झारखंड आवासीय विद्यालय चैनपुर पहुंचकर शनिवार को मामले की जांच की गई.
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जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा वार्डन एवं सप्लायर को शोकॉज कर स्पष्टीकरण मांगा गया है. उन्होंने कहा कि जांच की रिपोर्ट डीसी को सौंपा जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि विद्यालय के छात्राओं से पूछा गया. जिसमें छात्राओं ने अपनी स्वेच्छा से ही सिर पर चावल ढोकर लाने की बात कही. वार्डन के द्वारा पत्रकारों से बात करते हुए शिक्षा अधिकार अधिनियम कानून की जानकारी नहीं होने की बात पर उन्होंने कहा कि वार्डन से पूछने पर इस तरह की कोई बयान नहीं देने की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर भी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने आगे बताया कि शुक्रवार को बारिश हुई थी. कच्चा रास्ता है रास्ते में किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत जमीन पड़ता है जो गाड़ी को अंदर आने के लिए अलाउड नहीं कर रहा है. उन्होंने बताया कि वार्डन के द्वारा सीईओ चैनपुर को सड़क के लिए आवेदन दिया गया है. कच्ची सड़क होने के कारण सप्लायर की गाड़ी स्कूल तक नहीं पहुंच पाया जिस समय स्कूल के गार्ड के द्वारा चावल को गाड़ी से ढोकर स्कूल तक लाया जा रहा था. इस परेशानी को देखते हुई स्कूल की छात्राओं ने स्वेच्छा से मदद के नाम पर ट्रक से स्कूल तक चावल को ढोकर ले गयीं. उन्होंने कहा कि स्कूल के वार्डन को सख्त निर्देश दिया गया है कि किसी भी परिस्थिति में स्कूली छात्राओं से काम नहीं करवाना है, वह यहां पढ़ने आतेीहैं उन्हें सिर्फ यहां पढ़ाई करना है.
शुक्रवार को चैनपुर के झारखंड आवासीय विद्यालय चैनपुर में वार्डन लिली ग्रेस के द्वारा यहां पढ़ने वाली बच्चियों से अनाज की बोरी उठवाई गयी. बताया जाता है कि स्कूल का अनाज आया था. ट्रक आने के लिए रोड नहीं होने से ट्रक सड़क पर खड़ी रही. लेकिन वार्डन द्वारा मजदूरों की जगह सड़क से स्कूल 1 किलोमीटर दूर से छात्राओं से सिर पर चावल की बोरी की ढुलाई करायी गई. बता दें कि चैनपुर स्थित झारखंड आवासीय विद्यालय कस्तूरबा स्कूल में ग्रामीण क्षेत्र की गरीब छात्राएं पढ़ने आती हैं. लेकिन उनसे यहां के वार्डन के द्वारा मजदूरों की तरह काम कराया जाता है.
इस मामले को लेकर लोगों का कहना है कि बच्चों को स्कूल पढ़ने भेजा जाता है ना कि मजदूरी करने के लिए. विभाग की लापरवाही के कारण स्कूली छात्राओं से पढ़ाई के नाम पर मजदूरी कराई जा रही है, कभी चावल ढुलवाया जा रहा है कभी घास कटाया जा रहा है. बच्चों से मजदूरी का कार्य स्कूल संचालक मजदूरी राशि बचाने के लिए करवाते हैं. लोगों ने कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसे वार्डन पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.
इस मामले में मीडियाकर्मियों ने दूरभाष पर वार्डन लिली ग्रेस से संपर्क किया तो उन्होंने तेवर भरे शब्दों में कहा कि बच्चों से काम नहीं करवाएंगे तो किससे करवाएंगे. गाड़ी स्कूल तक लाने के लिए रोड नहीं है और चावल भी पहुंचाना जरूरी है, इसलिए स्कूल के बच्चों से ही काम करवाना पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा था कि घर का कार्य है इसे छात्राएं नहीं करेंगी तो कौन करेगा.