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गुमला: फसलों को टिड्डियों से बचाने की सभी तैयारियां, विशेष टीम गठित कर दिए गए खास निर्देश - मरुस्थलीय टिड्डियों से फसल बर्बाद

मरुस्थलीय टिड्डी के हमले को देखते हुए गुमला जिले में भी प्रशासन सतर्क है. फसलों को बचाने के लिए जिले में टिड्डी नियंत्रण के लिए एक टीम बनाई गई है. उप विकास आयुक्त हरि कुमार केसरी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल किसानों को इस संबंध में जागरुक करेगा. पर्याप्त मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों के भंडारण तथा इन रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.

फसलों को टिड्डियों से बचाने की सभी तैयारियां
फसलों को टिड्डियों से बचाने की सभी तैयारियां
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Published : Jun 4, 2020, 12:15 PM IST

गुमला: जिले में टिड्डियों के संभावित प्रकोप को लेकर प्रशासन ने कदम उठाना शुरू कर दिया है. कृषि पशुपालन एवम सहकारिता विभाग के आदेश के तहत जिले में टिड्डी नियंत्रण के लिए एक टीम बनाई गई है. उप विकास आयुक्त हरि कुमार केसरी के नेतृत्व में जिलास्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल का गठन किया गया है.

फसलों को टिड्डियों से बचाने की सभी तैयारियां.

राजस्थान, उप्र, मप्र एवं देश के अन्य राज्यों में हुए मरुस्थलीय टिड्डी के हमले को देखते हुए गुमला जिले में भी प्रशासन सतर्क है. मरुस्थलीय टिड्डी के संभावित आक्रमण को देखते हुए उप विकास आयुक्त हरि कुमार केसरी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल की बैठक विकास भवन के सभागार में आयोजित की गई.

बैठक में नियंत्रण कार्य दल के सदस्यों को जिले के अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें संवेदनशील बनाने की बात कही, ताकि आवश्यकता पड़ने पर अल्प सूचना पर टिड्डी दल पर दवा का त्वरित छिड़काव किया जा सके.

इस गठित टीम के संयोजक जिला कृषि पदाधिकारी हैं, जबकि कार्य दल के सदस्य वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी , जिला स्तरीय अग्नि शमन विभाग के पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी तथा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को बतौर सदस्य ग्रुप में शामिल किया गया है.

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि धुआं करके तथा ढोल नगाड़े , बर्तन आदि पीट कर उनके शोर से टिड्डियों को भगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि धुआं करने के लिए किसानों को अपने खाली खेत में थोड़ी थोड़ी दूरी पर सूखे खरपतवार एवं पौधा अवशिष्ट की ढेर तैयार रखना होगा, ताकि टिड्डियों के आक्रमण की स्थिति में ढेरों में आग लगाकर धुआं उत्पन्न किया जा सके.

उन्होंने बताया कि झुंड में रहने वाली मरुस्थलीय टिड्डियां 1 किलोमीटर के दायरे में करोड़ों की संख्या में पाई जाती हैं, जो खेतों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं. इसलिए किसानों को इन मरुस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण से अपने फसलों को बचाने के लिए निरंतर अपने खेतों की निगरानी करना अति आवश्यक है. इस बैठक में उप विकास आयुक्त ने बताया कि जिले में मरुस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण को लेकर किसानों को इसके बचाओ हेतु जागरुक किया जाएगा.

यह भी पढ़ेंः रामगढ़: मतकमा चौक में गोलीकांड का खुलासा, 2 आरोपी गिरफ्तार

जिले में टिड्डियों के आक्रमण से निपटने की तैयारी हेतु पर्याप्त मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों के भंडारण तथा इन रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया. साथ ही उन्होंने किसानों को टिड्डी दल से फसलों के नुकसान एवं उससे बचाव के प्रति जागरूक करने का भी निर्देश दिया है. इसके साथ ही जिले में पिकअप वैन, छोटे ट्रक, ट्रैक्टर आदि को टैग करने का भी निर्देश दिया है.

साथ ही टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोगी हाई स्पीड स्प्रेयर ,पावर स्प्रेयर ,घटोर स्प्रेयर ,नैप सैक स्प्रेयर, वाहनों पर प्रतिष्ठापित किए जाने वाले स्प्रेयर आदि की उपलब्धता की जानकारी ली. इसके अलावा संबंधित पदाधिकारियों को इन स्प्रेयर के विक्रेताओं एवं किसानों से संपर्क करने का निर्देश दिया ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी मदद ली जा सके.

गुमला: जिले में टिड्डियों के संभावित प्रकोप को लेकर प्रशासन ने कदम उठाना शुरू कर दिया है. कृषि पशुपालन एवम सहकारिता विभाग के आदेश के तहत जिले में टिड्डी नियंत्रण के लिए एक टीम बनाई गई है. उप विकास आयुक्त हरि कुमार केसरी के नेतृत्व में जिलास्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल का गठन किया गया है.

फसलों को टिड्डियों से बचाने की सभी तैयारियां.

राजस्थान, उप्र, मप्र एवं देश के अन्य राज्यों में हुए मरुस्थलीय टिड्डी के हमले को देखते हुए गुमला जिले में भी प्रशासन सतर्क है. मरुस्थलीय टिड्डी के संभावित आक्रमण को देखते हुए उप विकास आयुक्त हरि कुमार केसरी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल की बैठक विकास भवन के सभागार में आयोजित की गई.

बैठक में नियंत्रण कार्य दल के सदस्यों को जिले के अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें संवेदनशील बनाने की बात कही, ताकि आवश्यकता पड़ने पर अल्प सूचना पर टिड्डी दल पर दवा का त्वरित छिड़काव किया जा सके.

इस गठित टीम के संयोजक जिला कृषि पदाधिकारी हैं, जबकि कार्य दल के सदस्य वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, जिला उद्यान पदाधिकारी , जिला स्तरीय अग्नि शमन विभाग के पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी तथा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों को बतौर सदस्य ग्रुप में शामिल किया गया है.

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि धुआं करके तथा ढोल नगाड़े , बर्तन आदि पीट कर उनके शोर से टिड्डियों को भगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि धुआं करने के लिए किसानों को अपने खाली खेत में थोड़ी थोड़ी दूरी पर सूखे खरपतवार एवं पौधा अवशिष्ट की ढेर तैयार रखना होगा, ताकि टिड्डियों के आक्रमण की स्थिति में ढेरों में आग लगाकर धुआं उत्पन्न किया जा सके.

उन्होंने बताया कि झुंड में रहने वाली मरुस्थलीय टिड्डियां 1 किलोमीटर के दायरे में करोड़ों की संख्या में पाई जाती हैं, जो खेतों को नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं. इसलिए किसानों को इन मरुस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण से अपने फसलों को बचाने के लिए निरंतर अपने खेतों की निगरानी करना अति आवश्यक है. इस बैठक में उप विकास आयुक्त ने बताया कि जिले में मरुस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण को लेकर किसानों को इसके बचाओ हेतु जागरुक किया जाएगा.

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जिले में टिड्डियों के आक्रमण से निपटने की तैयारी हेतु पर्याप्त मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों के भंडारण तथा इन रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया. साथ ही उन्होंने किसानों को टिड्डी दल से फसलों के नुकसान एवं उससे बचाव के प्रति जागरूक करने का भी निर्देश दिया है. इसके साथ ही जिले में पिकअप वैन, छोटे ट्रक, ट्रैक्टर आदि को टैग करने का भी निर्देश दिया है.

साथ ही टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोगी हाई स्पीड स्प्रेयर ,पावर स्प्रेयर ,घटोर स्प्रेयर ,नैप सैक स्प्रेयर, वाहनों पर प्रतिष्ठापित किए जाने वाले स्प्रेयर आदि की उपलब्धता की जानकारी ली. इसके अलावा संबंधित पदाधिकारियों को इन स्प्रेयर के विक्रेताओं एवं किसानों से संपर्क करने का निर्देश दिया ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी मदद ली जा सके.

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