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दर-दर भटक रही है डोकलाम शहीद श्रवण उरांव की पत्नी, घरवालों ने ही किया बेघर

देश की सुरक्षा के लिए श्रवण शहीद हो गए. लेकिन उनकी पत्नी निर्मला देवी को परिवार वालों ने घर से बाहर कर दिया

घरवालों ने किया बेघर
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Published : Feb 14, 2019, 1:27 PM IST

गोड्डा: पिछले वर्ष भारत-चीन की सीमा डोकलाम में ड्यूटी के दौरान श्रवण उरांव शहीद हो गए थे. उनका शव जब गांव आया तो पूरा इलाका रो पड़ा था. लेकिन आज शहीद की पत्नी रो रही है, उसे देखने वाला कोई नहीं. ये दुख उसे अपने ही घरवालों से मिला है. न्याय के शहीद श्रवण की पत्नी दर-दर भटक रही है.

देश की सुरक्षा के लिए श्रवण शहीद हो गए. लेकिन उनकी पत्नी निर्मला देवी को परिवार वालों ने घर से बाहर कर दिया. उनकी पत्नी का कहना है कि उनको पेंशन भी नहीं मिल रहा है. जो कुछ मुआवजा सरकार की तरफ से मिला उसको भी घर वाले ले लिए. वहीं विधायक द्वारा आवास मिला उस पर भी घरवालों ने कब्जा कर लिया और उनको घर से निकाल दिया.

घरवालों ने किया बेघर
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वहीं, स्थानीय लोगों की माने तो देवर ने भाभी से शादी कर उनके बच्चे को अपनाने का आश्वासन भी दिया था. इसी उम्मीद में निर्मला देवी ने अपने हिस्से की नौकरी देवर को दे दी. वहीं निर्मला कभी एसपी तो कभी डीसी से गुहार के लिए कार्यालय की चक्कर लगा रही है.

गोड्डा: पिछले वर्ष भारत-चीन की सीमा डोकलाम में ड्यूटी के दौरान श्रवण उरांव शहीद हो गए थे. उनका शव जब गांव आया तो पूरा इलाका रो पड़ा था. लेकिन आज शहीद की पत्नी रो रही है, उसे देखने वाला कोई नहीं. ये दुख उसे अपने ही घरवालों से मिला है. न्याय के शहीद श्रवण की पत्नी दर-दर भटक रही है.

देश की सुरक्षा के लिए श्रवण शहीद हो गए. लेकिन उनकी पत्नी निर्मला देवी को परिवार वालों ने घर से बाहर कर दिया. उनकी पत्नी का कहना है कि उनको पेंशन भी नहीं मिल रहा है. जो कुछ मुआवजा सरकार की तरफ से मिला उसको भी घर वाले ले लिए. वहीं विधायक द्वारा आवास मिला उस पर भी घरवालों ने कब्जा कर लिया और उनको घर से निकाल दिया.

घरवालों ने किया बेघर
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वहीं, स्थानीय लोगों की माने तो देवर ने भाभी से शादी कर उनके बच्चे को अपनाने का आश्वासन भी दिया था. इसी उम्मीद में निर्मला देवी ने अपने हिस्से की नौकरी देवर को दे दी. वहीं निर्मला कभी एसपी तो कभी डीसी से गुहार के लिए कार्यालय की चक्कर लगा रही है.

Intro:डोकलाम शाहिद श्रवण उरांव की पत्नी दर दर ठोकर खाने को को मजबूर,घरवालो ने किया बेघर


Body:पिछले वर्ष भारत और चीन की सीमा डोकलाम में ड्यूटी के दौरान सेना के जवान श्रवण उरांव शहीद हो गए थे।उनका शव जब गांव आया तो पूरा इलाका रो पड़ा था।तब सबने एक वादे किए थे कि उनकी बेवा औऱ बच्चे के सुख दुख का ख्याल प्रशासन व सरकार रखेगी।लेकिन आज न्याय मुआबजे और घर के लिए दर दर की ठोकरे खा रही है।
देश के लिए लड़ते लड़ते श्रवण जिंदगी की जंग हार गया।लेकिन उनकी बेवा निर्मल देवी को उनके ही अपने सास ससुर और देवर सबने घर से बाहर कर दिया।उनका पेंशन नही मिल रहा,वे कहती है पति के शहादत के बाद वो सुध बुध गवा बैठी।तब जो कुछ मुआबजे मिला सभी घर वाले ले लिए।उनके 3 छोटे छोटे बच्चे।विधायक द्वारा आवास मिला वो भी घरवालो ने कब्जा लिया।उन्हें घर से निकल दिया।वे बहन के घर रहते है।स्थानीय लोगो की माने एक वादे के तहत देवर ने बेवा भावी से शादी कर उनके बच्चे को अपनाने का आश्वासन भी दिया था।इसी उम्मीद में बेवा निर्मला देवी अपने हिस्से की नॉकरी देवर को दे दी।आज कोई उनकी सुनने वाला नही।कभी sp कभी dc से गुहार के लिए कार्यालय की चक्कर लगा रही हूं।
bt-निर्मला देवी-शाहीद की पत्नी
bt-निर्मला की बहन
bt-जवाहर लकड़ा-मुखिया
bt-मुक्तिनाथ-सामाजिक कार्यकर्ता
bt-शैलेन्द्र वर्णवाल-sp-गोड्डा


Conclusion:शहीद की बेवा को न्याय की उम्मीद है,क्योंकि उनके पास पूरा जीवन और तीन तीन मासूम को सवारने की जिम्मेदारी भी है।ऐसे प्रशासन व सरकार के अलावा बिभाग को अपने वो वायदे निभाने चाहिए जो वे शहादत के वक़्त उनके आश्रितों से करते है
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