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ईसीएल प्रबंधन के लिए जमीन अधिग्रहण करने पहुंची पुलिस का विरोध, वापस लौटा प्रशासन

गोड्डा के तालझारी गांव में ईसीएल प्रबंधन की जमीन अधिग्रहण करने पहुंची पुलिस का ग्रामीणों ने जोरदार विरोध किया. काफी देर तक स्थिति सामान्य नहीं होने पर पुलिस प्रशासन को वापस लौटना पड़ा.

Opposition of police in godda
विरोध प्रदर्शन करते लोग
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Published : Jan 9, 2021, 8:17 AM IST

गोड्डा: जिले के ललमाटिया थाना क्षेत्र के तालझारी गांव में प्रशासन और ईसीएल प्रबंधन की जमीन अधिग्रहण करने गयी पुलिस का ग्रामीणों ने हरवे हथियार के साथ विरोध किया. इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि किसी कीमत पर ईसीएल को जमीन नहीं देंगे. दरअसल, ईसीएल जमीन अधिग्रहण को लेकर प्रबंधन और आदिवासी ग्रामीण आमने-सामने हो गए. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती हुई थी, तो दूसरी ओर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जमा होकर यह कह रहे थे कि वे किसी कीमत पर जमीन नही देंगे.

ये भी पढ़ें-कॉपरेटिव बैंक घोटाले में एजीएम और व्यवसायी के खिलाफ चार्जशीट, CID ने जांच के बाद दायर की अंतिम चार्जशीट

आदिवासी अपने पारंपरिक हथियार और मांदर से लैस थे. काफी देर तक दोनों तरफ से तनातनी की स्थिति बनी रही, अंततः प्रशासन और प्रबंधन के लोग वापस लौट गए.
ललमटिया ECL राजमहल परियोजना के लोग तालझारी गांव के आदिवासी ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहण के लिए गए थे. वे अपने साथ बुलडोजर भी लेकर गए थे. प्रबंधन का कहना था कि रैयतों की ओर से सहमति दी गयी है, लेकिन जैसे ही प्रबंधन के लोग आदिवासियों की जमीनों पर बुलडोजर चलाने गए तो ग्रामीण उग्र हो गए.

प्रशासन की ओर से स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए यहां काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी. वहीं, आदिवासी ग्रामीणों ने ईसीएल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. काफी संख्या में पुलिस बल आदिवासियों को समझाने में लगे रहे, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे. उनका आरोप था कि ईसीएल जबरदस्ती आदिवासियों की जमीन हड़पना चाहती है. आदिवासी ढोल नगाड़े, तीर धनुष के साथ सैकड़ों की संख्या में पहुंचे हुए थे. उनका कहना था कि वे किसी कीमत पर जमीन नहीं देना चाहते हैं.

काफी देर तनातनी के बाद एसडीओ के नेतृत्व में गयी पुलिस टीम वापस लौट गई. ये क्षेत्र ईसीएल खनन क्षेत्र से बिल्कुल सटा हुआ है और जमीन नहीं देना चाह रहा है. जिस तरीके से गोड्डा में अडानी पावर प्लांट के अधिकारियों की ओर से जमीन को हड़पने का काम किया जा रहा था. उसी तरीके से अब राजमहल परियोजना ईसीएल गरीब आदिवासियों की जमीन पर जबरदस्ती बुलडोजर चला रही है. मौके पर डीएसपी महगामा के साथ भारी संख्या में जिला पुलिस, आईआरबी और सीआईएसएफ के जवान मौजूद रहे. हांलाकि प्रशासन की ओर से कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ.

गोड्डा: जिले के ललमाटिया थाना क्षेत्र के तालझारी गांव में प्रशासन और ईसीएल प्रबंधन की जमीन अधिग्रहण करने गयी पुलिस का ग्रामीणों ने हरवे हथियार के साथ विरोध किया. इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि किसी कीमत पर ईसीएल को जमीन नहीं देंगे. दरअसल, ईसीएल जमीन अधिग्रहण को लेकर प्रबंधन और आदिवासी ग्रामीण आमने-सामने हो गए. मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती हुई थी, तो दूसरी ओर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जमा होकर यह कह रहे थे कि वे किसी कीमत पर जमीन नही देंगे.

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आदिवासी अपने पारंपरिक हथियार और मांदर से लैस थे. काफी देर तक दोनों तरफ से तनातनी की स्थिति बनी रही, अंततः प्रशासन और प्रबंधन के लोग वापस लौट गए.
ललमटिया ECL राजमहल परियोजना के लोग तालझारी गांव के आदिवासी ग्रामीणों की जमीन अधिग्रहण के लिए गए थे. वे अपने साथ बुलडोजर भी लेकर गए थे. प्रबंधन का कहना था कि रैयतों की ओर से सहमति दी गयी है, लेकिन जैसे ही प्रबंधन के लोग आदिवासियों की जमीनों पर बुलडोजर चलाने गए तो ग्रामीण उग्र हो गए.

प्रशासन की ओर से स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए यहां काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी. वहीं, आदिवासी ग्रामीणों ने ईसीएल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. काफी संख्या में पुलिस बल आदिवासियों को समझाने में लगे रहे, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे. उनका आरोप था कि ईसीएल जबरदस्ती आदिवासियों की जमीन हड़पना चाहती है. आदिवासी ढोल नगाड़े, तीर धनुष के साथ सैकड़ों की संख्या में पहुंचे हुए थे. उनका कहना था कि वे किसी कीमत पर जमीन नहीं देना चाहते हैं.

काफी देर तनातनी के बाद एसडीओ के नेतृत्व में गयी पुलिस टीम वापस लौट गई. ये क्षेत्र ईसीएल खनन क्षेत्र से बिल्कुल सटा हुआ है और जमीन नहीं देना चाह रहा है. जिस तरीके से गोड्डा में अडानी पावर प्लांट के अधिकारियों की ओर से जमीन को हड़पने का काम किया जा रहा था. उसी तरीके से अब राजमहल परियोजना ईसीएल गरीब आदिवासियों की जमीन पर जबरदस्ती बुलडोजर चला रही है. मौके पर डीएसपी महगामा के साथ भारी संख्या में जिला पुलिस, आईआरबी और सीआईएसएफ के जवान मौजूद रहे. हांलाकि प्रशासन की ओर से कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ.

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