गोड्डाः जिले की पहाड़िया आदिम जनजाति समुदाय से आने वाली लड़की मोनालिसा दो हजार बच्चों की दीदी हैं. जिनमें ज्यादातर वैसे लड़के-लड़कियां हैं जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब घरानों से आते हैं. मोनालिसा ने खुद भी गरीबी को जिया है. वो सुंदरपहाड़ी प्रखंड क्षेत्र से आती हैं. शुरू से ही उन्हें खेलों से लगाव था. वो खुद नेटबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी है. उनका चयन भारतीय टीम के लिए भी हुआ. लेकिन पासपोर्ट नहीं बनने के कारण वे भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाई.
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ऐसे बुरे अनुभव के बावजूद उनके हौसलों में कोई कमी नहीं आई. वो लगातार ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को खोज खोज लाती और नेटबॉल का हुनर सिखाने में दिन रात जुट जाती. आज गोड्डा के गांव गांव में नेटबॉल को लोकप्रिय करने का श्रेय मोनालिसा को है. एक आंकड़े के तहत गोड्डा जिले में 2000 के आस पास खिलाड़ी हैं और इन सब के सब खिलाड़ियों की एकमात्र मेंटर मोनालिसा हैं. सभी प्रखंडों में जाकर खुद कैंप लगाती और बच्चों को प्रशिक्षण देती. उन्हें जिला नेटबॉल संघ के सचिव गुंजन झा औक पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी का भी हमेशा सहयोग मिलता है.
गोड्डा के गांधी मैदान में सालों भर बच्चों के साथ पसीना बहाती मोनालिसा को कभी भी कोई देख सकता है. प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों में 5 साल से लेकर 22 साल तक के लड़के और लड़कियां हैं. कई छोटे बच्चे मोनालिशा को मां भी कहते हैं तो ज्यादातर बच्चे उन्हें दीदी कहते हैं. इतना ही नहीं वो कई बच्चों को अपने घर में रख कर रहने, खाने और पढ़ने-लिखने का भी बंदोबस्त करती है. मोनालिशा फिलहाल खुद भी झारखंड की टीम से खेल रही है. जो ईस्ट जोन की नेटबॉल की इकलौती खिलाड़ी हैं. उनके नेतृत्व में गोड्डा की टीम से सजी खिलाड़ियों ने सब जूनियर वर्ग में झारखंड के लिए कांस्य पदक पिछले साल जीता था.