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नहीं जोड़ पाया बिहार-झारखंड के दिलों को गेरुआ नदी पर बना पुल, ये है मामला

बिहार और झारखंड को जोड़ने वाली गेरुआ नदी पर बना पुल लगभग चार सालों से बनकर तैयार है. लेकिन कुछ जमीनी विवाद के कारण करोड़ो की लागत वाला पुल आज चार सालों से अधूरा पड़ा है.

बिहार और झारखंड को जोड़ने वाली गेरुआ नदी पर बना पुल
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Published : Jun 17, 2019, 10:16 PM IST

गोड्डा: जिले के महगामा प्रखंड के हनवारा में गेरुआ नदी पर बना पुल लगभग चार सालों से बनकर तैयार है. इस पुल के चालू होते ही झारखंड के हनवारा सीमा से बिहार के भागलपुर जिला की सीमा 20 किमी कम हो जाएगी.

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गोड्डा के लोगों का बिहार के भागलपुर शहर से बड़ा ही करीब रिश्ता है. चाहे मार्केटिंग करनी हो या फिर इलाज के लिए अस्पताल जाना, या रेल यात्रा पर निकलनी हो, भागलपुर के बगैर शायद ही काम चलता हो. ऐसे में महगामा, बसंतराय, पथरगामा सहित बड़े इलाके के लोगों के लिए ये रास्ता काफी सुलभ और कम दूरी वाला होगा. नदी सुखी रहने पर इस रास्ते प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं, जो बरसात आते ही बंद हो जायेगें.

बता दें कि इस पुल की शुरुआत भागलपुर के तत्कालीन सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन और झारखंड के गोड्डा सांसद निशीकांत दुबे ने संयुक्त रूप से शरुआत की. सवाल यह है कि बिहार और झारखंड के दिलों को जोड़ने वाली यह पुल बनने के बाद भी आजतक क्यों नहीं चालू हुआ और इस ओर लोग दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहे है.

बता दें कि इस पुल के निर्माण में लगी एजेंसी काम छोड़ कर चली गयी. लोगों की माने तो महज अप्रोच पथ जो बिहार की जमीन पर बनना है, किसी रैयत की निजी जमीन है और उसमें विवाद है. जिस करोड़ो की लागत वाला पुल आज महज कुछ जमीन के खातिर चार सालों से अधूरा पड़ा है. जिस कारण दो राज्य के लोगों के लिए आवागमन दुर्लभ हो गया है.

गोड्डा: जिले के महगामा प्रखंड के हनवारा में गेरुआ नदी पर बना पुल लगभग चार सालों से बनकर तैयार है. इस पुल के चालू होते ही झारखंड के हनवारा सीमा से बिहार के भागलपुर जिला की सीमा 20 किमी कम हो जाएगी.

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गोड्डा के लोगों का बिहार के भागलपुर शहर से बड़ा ही करीब रिश्ता है. चाहे मार्केटिंग करनी हो या फिर इलाज के लिए अस्पताल जाना, या रेल यात्रा पर निकलनी हो, भागलपुर के बगैर शायद ही काम चलता हो. ऐसे में महगामा, बसंतराय, पथरगामा सहित बड़े इलाके के लोगों के लिए ये रास्ता काफी सुलभ और कम दूरी वाला होगा. नदी सुखी रहने पर इस रास्ते प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं, जो बरसात आते ही बंद हो जायेगें.

बता दें कि इस पुल की शुरुआत भागलपुर के तत्कालीन सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन और झारखंड के गोड्डा सांसद निशीकांत दुबे ने संयुक्त रूप से शरुआत की. सवाल यह है कि बिहार और झारखंड के दिलों को जोड़ने वाली यह पुल बनने के बाद भी आजतक क्यों नहीं चालू हुआ और इस ओर लोग दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहे है.

बता दें कि इस पुल के निर्माण में लगी एजेंसी काम छोड़ कर चली गयी. लोगों की माने तो महज अप्रोच पथ जो बिहार की जमीन पर बनना है, किसी रैयत की निजी जमीन है और उसमें विवाद है. जिस करोड़ो की लागत वाला पुल आज महज कुछ जमीन के खातिर चार सालों से अधूरा पड़ा है. जिस कारण दो राज्य के लोगों के लिए आवागमन दुर्लभ हो गया है.

Intro:नही जोड़ पाया बिहार-झारखंड के दिलो को गेरुआ पर बना पुल, चार सालों से बन कर तैयार लेकिन अप्रोच पथ नही


Body:गोड्डा के महगामा प्रखंड के हनवारा में गेरुआ नदी पर बना पुल लगभग चार सालों से बनकर तैयार है।इस पुल के चालू होते ही झारखंड के हनवारा सीमा से बिहार के भागलपुर जिला की सीमा 20 किमी काम हो जाएगी।
गोड्डा के लोगो का पड़ोसी बिहार के भागलपुर शहर से बड़ा ही करीब का रिश्ता है। चाहे अछि मार्केटिंग करनी हो या फिर रोग व्याध का इलाज करने हेतु चिकित्सको के पास जाना हो अथवा रेल यात्रा पर निकलनी हो भागलपुर के बगैर शायद ही काम चलता है।ऐसे में महगामा,बसंतराय,पथरगामा सहित बड़े इलाके के लोगो लिए ये ये रास्ता काफी सुलभ काम दूरी वाला होगा।इस रास्ते अभी नदी में सुख रहने पर आज भी प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते है जो बरसात आते ही बंद हो जायेगे।
सवाल की जिस पुल की शुरुआत बिहार के भागलपुर के तत्कालीन सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन व झारखंड के गोड्डा के सांसद निशीकांत दुबे ने संयुक्त रूप से शरुआत की और बिहार झारखंड के दिलो को जोड़ने की पहल की आज इसे पूरा होने के बाद क्यों नही चालू हुआ।।और फिर इस ओर क्यों नही लोग दिलचस्पी दिखा रहे है।
पुल निर्माण में लगी एजेंसी काम छोड़ कर चली गयी है।लोगो की माने तो महज अप्रोच पथ जो बिहार की जमींन पर बनना है ,जो किसी रैयत की निजी जमीन है,उसमे विवाद है।करोडों की लागत वाला पुल आल महज कुछ जमीन के खातिर चार सालों से अधूरा पड़ा है।और इस कारण दो राज्य के लोगो के लिए आवागमन दुरूह हो गया है।
bt-स्थानीय ग्रामीण
bt-स्थानीय ग्रामीण


Conclusion:na
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