रांची: पलामू के नीलांबर-पीतांबर यूनिवर्सिटी के भवन निर्माण में भारी गड़बड़ी का आरोप लगा है. आरोप है कि एकेडमिक बिल्डिंग में पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है. इसकी वजह से सभी कक्षाओं में अध्ययन कार्य नहीं हो पा रहा है. एकेडमिक भवन की खिड़कियों में ग्रिल तक नहीं हैं. प्रशासनिक भवन के खिड़की और दरवाजे भी मानक के अनुकूल नहीं दिख रहे हैं.
खिड़की दरवाजे नहीं होने से सुरक्षा खतरों से इनकार नहीं किया जा सकता. कई जगह निर्मित भवन की दीवारों में हल्की दरारें भी आ गईं हैं. 125 करोड़ की लागत से यूनिवर्सिटी बिल्डिंग के निर्माण में बरती गई गड़बड़ी बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रही है. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार से मिलकर इस गड़बड़ी से अवगत कराया है.
![1](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-02-2025/irregularitiesinconstructionofuniversitybuilding_13022025170408_1302f_1739446448_238.jpg)
तीन सदस्यीय जांच टीम गठित
भवन निर्माण की गुणवत्ता की जांच के आग्रह को गंभीरता से लेते हुए कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित करने का फैसला लिया है. यह कमेटी नीलांबर-पीतांबर यूनिवर्सिटी 17 और 18 फरवरी को निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. यह जानकारी वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने दी है.
उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर बताया कि छात्र संगठन की शिकायत पर उन्होंने 11 फरवरी को निरीक्षण किया था. उन्होंने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार शैलेश कुमार मिश्रा से अनियमितताओं के बारे में सवाल पूछे थे. जवाब में रजिस्ट्रार ने कहा था कि प्रशासनिक और शैक्षणिक भवन विश्वविद्यालय प्रबंधन को सौंप दिया गया है.
वित्त मंत्री ने राज्यपाल सह कुलाधिपति को बताया कि प्राक्कलन के हिसाब से कार्यों की जांच किए बिना कुलसचिव ने भवन को हैंडओवर करा लिया. जबकि विश्वविद्यालय के अन्य भवनों के निर्माण की कुल लागत 350 करोड़ रुपये आने वाली है. पेयजल की सुविधा सुनिश्चित किए बिना विशाल भवन निर्माण का क्या औचित्य था. ऐसे में रजिस्ट्रार की भूमिका संदिग्ध नजर आती है.
यह भी पढ़ें:
तीन यूनिवर्सिटी में पीएचडी पाठ्यक्रम पर रोक, UGC ने लिया फैसला
नीलांबर पीतांबर यूनिवर्सिटी की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश, शिकायत पर पुलिस ने रुकवाया निर्माण काम