गिरिडीहः जंगलों से घिरा गिरिडीह को वन्य प्राणी का आश्रयणी कहा जाता है. यहां कई तरह के वन्य जीव वास करते हैं. यहीं पर पारसनाथ पहाड़ भी है जो घने जंगलों से घिरा हुआ है. इस क्षेत्र में हाथियों का विचरण भी सालों भर होता रहता है. वन्य प्राणी के लिए सुरक्षित समझे जाने वाले इस क्षेत्र में शिकारियों की चहलकदमी देखी जाती है. वैसे शिकारियों के निशाने पर ज्यादातर छोटे जीव जैसे खरहा, हिरण, जंगली सुअर, शाहिल ही रहे हैं. हाल के दिनों में इन शिकारियों की करतूत का शिकार बड़े जीव हो रहे हैं. ऐसे में वन विभाग की सक्रियता पर सवाल उठने लगा है.
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लोहे के तार के जाल में फंसकर मरा तेंदुआ
दूसरी घटना 10 जनवरी की है. इस बार गावां वन क्षेत्र में एक तेंदुआ मर गया. तेंदुआ भी जंगली सुअर को फंसाने के लिए बिछाए गए लोहा (बाइक क्लच) के तार के जाल में का फंसा था. यहीं पर वह जाल से निकलने के लिए छटपटाता रहा. तेंदुआ की छटपटाहट बढ़ी तो जाल कसता गया और उसने दम तोड़ दिया. इस मामले पर आजसू के नेता संजय साहू का कहना है इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर सार्थक कदम उठाना चाहिए.
फसल बचाने के लिए भी लगाया जाता है जाल
लोगों का कहना है कि शिकारियों की ओर से वन्य प्राणी का शिकार किया जाता है. इसके अलावा जंगली क्षेत्र में फसल लगाने वाले किसान भी जंगली सुअर, नील गाय से बचने के लिए फंदा लगाते हैं. ऐसे में किसानों को भी जागरूक करने की दरकार है, ताकि लुप्त होते वन्य प्राणी की जान नहीं जाए.
नई रणनीति से काम करेगा वन विभाग
तेंदुआ की मौत को वन विभाग ने गंभीरता से लिया है. हाल ही में योगदान देने वाले डीएफओ प्रवेश अग्रवाल का कहना है कि जंगली जानवरों की सुरक्षा को लेकर विभाग हमेशा ही गंभीर रहा है. हाथी और तेंदुआ की मौत को गंभीरता से लिया गया है. ग्रामीण इलाके में जागरूकता फैलाई जाएगी. लोगों को बताया जाएगा की वन्य जीव पर्यावरण के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा क्षेत्र के सभी रेंज अधिकारियों संग बैठक कर क्षेत्र में गश्त को भी बढ़ाया जाएगा.