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गिरिडीह: लाल आतंक की जमीन पर दहशत का सेंदरा, नक्सली को मारने के बाद खामोश है इलाका

पुलिस-सुरक्षा बलों की दबिश से परेशान नक्सलियों के सामने अब ग्रामीण भी मुखर हो रहे हैं. गिरिडीह के पीरटांड़ जैसे नक्सलियों के गढ़ में यह देखने को मिल रहा है. यहां अब दहशत का कारोबार करनेवाले माओवादियों के खिलाफ लोगों की गोलबंदी देखने को मिली है.

Villagers killed Naxalites in Giridih
नक्सली का सेंदरा
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Published : Jun 16, 2020, 9:23 AM IST

गिरिडीह: पीरटांड़ के पिपराटांड़ में जमीन विवाद को लेकर पहले एक की हत्या की गयी और बाद में हत्यारोपियों ने मृतक के घरवालों को धमकाना शुरू कर दिया. इस घटना में नक्सली सुरेश मरांडी का नाम सामने आया. अपने ही गांव के लोगों को धमकाने का खमियाजा सुरेश को भुगतना पड़ा और अंततः पुलिस के सामने ही सुरेश का सेंदरा (तीर से हमला कर मार देना) कर दिया गया. दो दिनों पहले की इस घटना के बाद इलाके में पुलिस कैंप कर रही है. हालांकि, इस घटना के बाद इस क्षेत्र में अजब सी खामोशी देखी जा रही है. ऐसे में पुलिस भी अलर्ट पर है.

देखिए पूरी खबर
पहली दफा ग्रामीणों के हाथों मारा गया नक्सली गिरिडीह पीरटांड़ प्रखंड पिछले पांच दशकों से नक्सलियों का न सिर्फ गढ़ रहा है बल्कि यहां के कई नक्सली नेता संगठन में ऊंचे ओहदे पर बैठे हुए हैं. नक्सली भाकपा माओवादी संगठन में सेंट्रल कमिटी मेंबर के पद पर इसी इलाके के मिसिर बेसरा, अनल उर्फ पतिराम मांझी, प्रयाग उर्फ विवेक हैं. इन पर एक करोड़ का इनाम भी है. इसके अलावा सेंट्रल कमिटी में भी अजय महतो समेत कई नेता हैं. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि पीरटांड़, टुंडी और इससे सटे पारसनाथ की तराई में बसे गांवों में नक्सलियों का किस तरह का वर्चस्व रहा है. इन नेताओं के कारण ही इस इलाके में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती रही है. हालांकि, वर्ष 2014 के बाद इसमें बदलाव देखा गया.

2014 से पुलिस की दबिश भी क्षेत्र में बढ़ने लगी. सीआरपीएफ पुलिस ने इलाके में लगातार अभियान चलाया. ऐसे में कई दफा मुठभेड़ भी हुई. कई नक्सली पकड़े गए. इस क्रम में सड़के भी बनी और पुलिस उस इलाके में भी पहुंचने लगी जहां नक्सली छिपा करते थे. पुलिस की पहुंच से नक्सली संगठन का पांव उखड़ने लगा, लेकिन इतना होने के बावजूद ग्रामीण कभी भी नक्सलियों का विरोध नहीं कर सके और न ही भाकपा माओवादी संगठन का विरोध किया.

डराया तो मुखर हुए ग्रामीण
इस बीच कुछ लोग नक्सली संगठन के नाम पर दहशत का कारोबार भी करते रहे. यही काम नक्सली सुरेश मरांडी भी कर रहा था. इसके द्वारा पहले हत्या की गई और बाद में पीड़ित परिवार को ही धमकाया जाने लगा. इसी डर से निकलने के लिए ग्रामीण एकजुट हुए और हिम्मत दिखाते हुए सुरेश का सेंदरा कर डाला. ग्रामीण कहते हैं कि सुरेश संगठन के नाम पर डर पैदा करना चाह रहा था. इसके निशाने पर गांव के छह और लोग थे जिसे यह मारने की प्लानिंग कर चुका था. ऐसे में लोगों ने इसी दहशत को खत्म कर दिया. यहां बता दें कि पीरटांड़ इलाके में नक्सली को मारने का काम पहली दफा ग्रामीणों ने किया है. इस घटना के बाद आज भी ग्रामीण गोलबंद हैं.

क्या है मामला
बता दें कि 3-4 जून को पीरटांड़ थाना इलाके के बिशनपुर पंचायत अंतर्गत पिपराटांड़ में 32 वर्षीय युवक हीरालाल किस्कू की हत्या कर दी गयी थी. युवक का शव उसके घर से थोड़ी दूरी पर अवस्थित कुसुम्भा नाला के पास मिला था. इस हत्या के पीछे जमीन विवाद को कारण बताया गया था. इस मामले में 6-7 लोगों को नामजद किया गया था. एफआईआर के बाद से ही नामजद फरार थे. इस बीच हत्यारोपियों द्वारा पीड़ित परिवार को धमकी दी जा रही थी. इस धमकी से गांव के लोग आक्रोशित थे. बताया जाता है कि शुक्रवार की रात पांच आरोपी अपने गांव पहुंचे और घर में सोए थे. इस बीच सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शनिवार की सुबह नामजदों के घर को घेर लिया और आग लगा दी. हालांकि, जिस कमरे में आग लगायी गयी वहां पर नामजद नहीं सोए हुए थे. इस बीच मामले की सूचना पर थाना प्रभारी अशोक प्रसाद पुलिस की टीम पहुंची. पुलिस ने सभी को घर से निकाला और सभी हत्यारोपी को वाहन पर बैठाने लगे. इसी दौरान लोगों ने एक आरोपी सुरेश मरांडी को तीर से हत्या कर दी. बीच बचाव के क्रम में पुलिस के जवान भी चोटिल हो गए. बाद में पुलिस के द्वारा हवाई फायरिंग करनी पड़ी. लगभग 10 चक्र हवाई फायरिंग के बाद ग्रामीण पीछे हटे.

ये भी पढ़ें: रामगढ़ में दिखा गंगा-जमुनी तहजीब, मुस्लिमों ने दिया हिंदू पड़ोसी के शव को कंधा

एफआईआर दर्ज
इधर, रविवार को आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा हत्यारोपी और नक्सली सुरेश मरांडी की हत्या करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गयी है. इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज हुई है. एक मामला मृतक सुरेश के भाई कालीराम मरांडी के आवेदन पर दर्ज हुआ है. कांड संख्या 26/2020 धारा 147, 148, 149, 341, 323, 427, 436, 307 और 302 भादवि के तहत 10 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 150 से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. एक अन्य प्राथमिकी पुलिस के द्वारा दर्ज की गयी है. इधर, गांव में अभी भी दहशत देखा जा रहा है. जिस परिवार पर हमला हुआ था उसके घरवालों को दूसरे गांव में शिफ्ट करते हुए पुलिस अभिरक्षा में रखा गया है. बता दें कि 3-4 जून को हुई हत्या के आक्रोश में ग्रामीणों ने नक्सली सुरेश मरांडी की हत्या कर दी थी. इस दौरान अन्य 7-8 लोगों को भी मारने पर ग्रामीण अड़े थे. तीर से किए गए हमले में सुरेश को मारे जाने के बाद पुलिस ने 8 लोगों की जान बचायी थी.

गिरिडीह: पीरटांड़ के पिपराटांड़ में जमीन विवाद को लेकर पहले एक की हत्या की गयी और बाद में हत्यारोपियों ने मृतक के घरवालों को धमकाना शुरू कर दिया. इस घटना में नक्सली सुरेश मरांडी का नाम सामने आया. अपने ही गांव के लोगों को धमकाने का खमियाजा सुरेश को भुगतना पड़ा और अंततः पुलिस के सामने ही सुरेश का सेंदरा (तीर से हमला कर मार देना) कर दिया गया. दो दिनों पहले की इस घटना के बाद इलाके में पुलिस कैंप कर रही है. हालांकि, इस घटना के बाद इस क्षेत्र में अजब सी खामोशी देखी जा रही है. ऐसे में पुलिस भी अलर्ट पर है.

देखिए पूरी खबर
पहली दफा ग्रामीणों के हाथों मारा गया नक्सली गिरिडीह पीरटांड़ प्रखंड पिछले पांच दशकों से नक्सलियों का न सिर्फ गढ़ रहा है बल्कि यहां के कई नक्सली नेता संगठन में ऊंचे ओहदे पर बैठे हुए हैं. नक्सली भाकपा माओवादी संगठन में सेंट्रल कमिटी मेंबर के पद पर इसी इलाके के मिसिर बेसरा, अनल उर्फ पतिराम मांझी, प्रयाग उर्फ विवेक हैं. इन पर एक करोड़ का इनाम भी है. इसके अलावा सेंट्रल कमिटी में भी अजय महतो समेत कई नेता हैं. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि पीरटांड़, टुंडी और इससे सटे पारसनाथ की तराई में बसे गांवों में नक्सलियों का किस तरह का वर्चस्व रहा है. इन नेताओं के कारण ही इस इलाके में नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती रही है. हालांकि, वर्ष 2014 के बाद इसमें बदलाव देखा गया.

2014 से पुलिस की दबिश भी क्षेत्र में बढ़ने लगी. सीआरपीएफ पुलिस ने इलाके में लगातार अभियान चलाया. ऐसे में कई दफा मुठभेड़ भी हुई. कई नक्सली पकड़े गए. इस क्रम में सड़के भी बनी और पुलिस उस इलाके में भी पहुंचने लगी जहां नक्सली छिपा करते थे. पुलिस की पहुंच से नक्सली संगठन का पांव उखड़ने लगा, लेकिन इतना होने के बावजूद ग्रामीण कभी भी नक्सलियों का विरोध नहीं कर सके और न ही भाकपा माओवादी संगठन का विरोध किया.

डराया तो मुखर हुए ग्रामीण
इस बीच कुछ लोग नक्सली संगठन के नाम पर दहशत का कारोबार भी करते रहे. यही काम नक्सली सुरेश मरांडी भी कर रहा था. इसके द्वारा पहले हत्या की गई और बाद में पीड़ित परिवार को ही धमकाया जाने लगा. इसी डर से निकलने के लिए ग्रामीण एकजुट हुए और हिम्मत दिखाते हुए सुरेश का सेंदरा कर डाला. ग्रामीण कहते हैं कि सुरेश संगठन के नाम पर डर पैदा करना चाह रहा था. इसके निशाने पर गांव के छह और लोग थे जिसे यह मारने की प्लानिंग कर चुका था. ऐसे में लोगों ने इसी दहशत को खत्म कर दिया. यहां बता दें कि पीरटांड़ इलाके में नक्सली को मारने का काम पहली दफा ग्रामीणों ने किया है. इस घटना के बाद आज भी ग्रामीण गोलबंद हैं.

क्या है मामला
बता दें कि 3-4 जून को पीरटांड़ थाना इलाके के बिशनपुर पंचायत अंतर्गत पिपराटांड़ में 32 वर्षीय युवक हीरालाल किस्कू की हत्या कर दी गयी थी. युवक का शव उसके घर से थोड़ी दूरी पर अवस्थित कुसुम्भा नाला के पास मिला था. इस हत्या के पीछे जमीन विवाद को कारण बताया गया था. इस मामले में 6-7 लोगों को नामजद किया गया था. एफआईआर के बाद से ही नामजद फरार थे. इस बीच हत्यारोपियों द्वारा पीड़ित परिवार को धमकी दी जा रही थी. इस धमकी से गांव के लोग आक्रोशित थे. बताया जाता है कि शुक्रवार की रात पांच आरोपी अपने गांव पहुंचे और घर में सोए थे. इस बीच सैकड़ों की संख्या में लोगों ने शनिवार की सुबह नामजदों के घर को घेर लिया और आग लगा दी. हालांकि, जिस कमरे में आग लगायी गयी वहां पर नामजद नहीं सोए हुए थे. इस बीच मामले की सूचना पर थाना प्रभारी अशोक प्रसाद पुलिस की टीम पहुंची. पुलिस ने सभी को घर से निकाला और सभी हत्यारोपी को वाहन पर बैठाने लगे. इसी दौरान लोगों ने एक आरोपी सुरेश मरांडी को तीर से हत्या कर दी. बीच बचाव के क्रम में पुलिस के जवान भी चोटिल हो गए. बाद में पुलिस के द्वारा हवाई फायरिंग करनी पड़ी. लगभग 10 चक्र हवाई फायरिंग के बाद ग्रामीण पीछे हटे.

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एफआईआर दर्ज
इधर, रविवार को आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा हत्यारोपी और नक्सली सुरेश मरांडी की हत्या करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गयी है. इस मामले में दो प्राथमिकी दर्ज हुई है. एक मामला मृतक सुरेश के भाई कालीराम मरांडी के आवेदन पर दर्ज हुआ है. कांड संख्या 26/2020 धारा 147, 148, 149, 341, 323, 427, 436, 307 और 302 भादवि के तहत 10 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 150 से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया गया है. एक अन्य प्राथमिकी पुलिस के द्वारा दर्ज की गयी है. इधर, गांव में अभी भी दहशत देखा जा रहा है. जिस परिवार पर हमला हुआ था उसके घरवालों को दूसरे गांव में शिफ्ट करते हुए पुलिस अभिरक्षा में रखा गया है. बता दें कि 3-4 जून को हुई हत्या के आक्रोश में ग्रामीणों ने नक्सली सुरेश मरांडी की हत्या कर दी थी. इस दौरान अन्य 7-8 लोगों को भी मारने पर ग्रामीण अड़े थे. तीर से किए गए हमले में सुरेश को मारे जाने के बाद पुलिस ने 8 लोगों की जान बचायी थी.

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