गिरिडीहः झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन ( संवर्धन और सुविधाजनक ) विधेयक 2022 के खिलाफ सूबे के खाद्यान व्यवसायी हड़ताल पर चले गए हैं. इसका असर बाजार में साफ दिखा. बुधवार को हड़ताल के पहले दिन शहर की प्रमुख मंडी गद्दी मुहल्ला, टुंडी रोड में सन्नाटा पसरा रहा. यहां की लगभग सभी थोक दुकानों पर ताला लटका रहा. इन दुकानों के काम कर घर का चूल्हा जलाने वाले मजदूरों को आज काम नहीं मिला. ईटीवी भारत संवाददाता अमरनाथ सिन्हा ने बुधवार को मंडी का हाल जाना. यहां पर मिले थोक विक्रेता रामकुमार, सुजीत साव ने बताया कि नया शुल्क लगाने का हम विरोध कर रहे हैं. शुल्क बढ़ोतरी से इसका असर बाजार पर पड़ना तय है. आम लोगों की थाली भी महंगी हो जाएगी. कहा कि जब तक सराकर शुल्क में कटौती नहीं करती है तबतक यह हड़ताल चलता रहेगा.
मजदूरों का बुरा हालः इस बंद का सीधा असर मंडियों से सामान ढोने व बोरियों को उठाने वाले मजदूरों पर पड़ा है. मजदूरों को काम नहीं मिला है. गद्दी मोहल्ला में मिले मजदूर आफताब ने बताया कि सुबह से वे ठेला लेकर घूम रहे हैं लेकिन काम नहीं मिला. इसके अलावा अन्य मजदूरों का यही हाल दिखा.
बैरंग घूमे ग्राहकः ग्रामीण इलाके से खरीदारी करने बाजार पहुंचे लोगों को बैरंग वापस जाना पड़ा है. बेंगाबाद से गद्दी मोहल्ला पहुंचे एक किसान ने बताया कि वे चावल -दाल खरीदने मंडी आये थे. सोचा कि यहां कुछ सस्ता मिलेगा लेकिन यहां तो सभी दुकान ही बंद है. कहा कि वे बगैर सामान खरीदे ही वापस जा रहे हैं.
फिर फूंका पुतलाः हड़ताल के पहले दिन सुबह में चेंबर ऑफ कॉमर्स के द्वारा मंत्री बादल पत्रलेख का पूतला फूंका गया था. वहीं शाम को चेंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज की तरफ से टावर चौक के पास पुतला दहन किया गया. यहां पर चेंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्रीज के सचिव राहुल बर्मन ने सराकर की नीति पर हमला बोला. कहा कि कृषि मंत्री द्वारा यहां के व्यापारियों व जनता का दोहन किया जा रहा है. कृषि बिल लागू होने से आम लोगों पर बोझ पड़ेगा.
घूम घूम कर बंद कराया गया बाजारः इस बंद को सफल बनाने के लिए खाद्यान विक्रेताओं ने काफी मेहनत की. खाद्यान के कई दुकानदार के साथ चैम्बर के लोग दुकान बंद करवाने निकले. दुकानदारों को समझाया गया कि यह हड़ताल क्यूं जरूरी है.
बोकारो में भी विरोधः कृषि मंडी शुल्क के नए कानून को वापस करने की मांग को लेकर चास-बोकारो के अनाज का व्यापार पूरी तरह बंद कर दिया है. चास का कृषि बाजार समिति,सदर बाजार और साहू मार्केट की दुकानें बंद थी. रोजाना भीड़ भाड़ और चहल पहल रहने वाले दोनों मार्केट में सन्नाटा पसरा हुआ है. वहीं व्यवसायियों ने डीसी कार्यालय के समक्ष धरना भी दिया. विधायक बिरंची नारायण के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल डीसी से मिला और ज्ञापन सौंपा. धरना में शामिल स्थानीय बीजेपी विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि यह सरकार व्यवसायी किसान विरोधी है. सरकार से आग्रह है इस बिल को खत्म कर व्यवसायियों को राहत दे.
पाकुड़ में भी हड़तालः झारखंड में कृषि शुल्क एक से दो प्रतिशत बढ़ाने के खिलाफ चेंबर ऑफ कॉमर्स व सैकड़ों व्यवसायी सड़क पर उतरे और सरकार से खाद्यान्न सामग्री से टैक्स हटाने की मांग की. सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंड्रस्टीज के आह्वान पर पाकुड़ जिले के फल, सब्जी व अन्य खाद्यान्न सामग्री का कारोबार पूरी तरह ठप रहा.
रामगढ़ में भी बंद रही दुकानेंः रामगढ़ बाजार समिति की सभी खाद्यान्न दुकानें फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आह्वान पर बंद रही. कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री पर सरकार की ओर से दो प्रतिशत कृषि बाजार शुल्क लगाने को लेकर अनिश्चितकालीन दुकानों को बन्द कर दिया गया है. इस बंदी को होलसेल आलू प्याज के व्यवसायियों ने समर्थन दिया. रामगढ़ जिले के बाजार समिति के थोक व्यापारियों के साथ साथ जिले के खाद्यान्न बेचने वाले सभी दुकानदारों ने कृषि उत्पाद की खरीद-बिक्री पर सरकार की ओर से दो प्रतिशत कृषि बाजार शुल्क लगाए जाने के विरोध में पूरी तरह अपनी दुकानों को बंद रखा.